दिख रहा है ‘बोल’ का असर - हुमैमा मलिक

-अजय ब्रह्मात्‍मज

शोएब मंसूर की पाकिस्तानी फिल्म बोलमें हुमैमा मलिक ने जैनब की भूमिका निभायी है। जैनब अपने पिता से बगावत करती है। वह परिवार और परिवेश की परंपरा पर कुछ सवाल उठाती है। शोएब मंसूर की बोलभारत में 31 अगस्त को रिलीज हो रही है। सप्तरंग ने इस पाकिस्तानी अदाकारा से खास बातचीत की।

- शोएब मंसूर की फिल्म बोलका पाकिस्तान में क्या रेस्पांस रहा है। यह फिल्म अब भारत में रिलीज हो रही है।

0 मुझे बहुत खुशी है कि हमारी फिल्म भारत में रिलीज हो रही है। शोएब मंसूर ने बेहद उम्दा फिल्म बनायी है। इस फिल्म ने पहले हफ्ते में ही माई नेम इज खानऔर दबंगके रिकार्ड तोड़े। पाकिस्तान फिल्म इंडस्ट्री के हालात बहुत अच्छी नहीं है। फिर भी अच्छा लगता है कि एक फिल्म आती है और आप को उसमें लीड एक्टर का काम मिलता है। इस फिल्म को आडिएंस का जबरदस्त रेस्पांस मिला है। प्रीमियर के बाद मैं निकली तो वहां मौजूद लोग मुझे नहीं,पर्दे पर दिखी जैनब को छूना चाहते थे। अपनी सिंपैथी दिखा रहे थे।

- जैनब बहुत ही रैडिकल और बोल्ड किरदार है। वह अपने अब्बा के खिलाफ जाती है और फैमिली के हक में बड़े फैसले लेती है।

0 जी, मुझे जैनब का किरदार निभाने का मौका मिला और मैंने उसे बखूबी निभाया है। मैं बहुत फख्र महसूस करती हूं। शोएब मंसूर ने इस किरदार को बहुत खूबसूरत डायमैंशन दिए हैं। जब अपने परिवार के हालात पर फिल्म बनती है तो या तो लोगों को बहुत अच्छी लगती है या फिर बिल्कुल पसंद नहीं आती। मौलवी और फंडामेंटलिस्ट नहीं चाहते कि कई बातें कही जाएं या फिल्मों से ऐसी बातें हों। इस फिल्म ने सब कुछ कह दिया है। बोल दिया है।

- हालांकि उम्मीद के साथ फिल्म खत्म होती है, लेकिन फिल्म एक लेवल पर डिप्रेस और उदास करती है?

0 ऐसी फिल्म के लिए जरूरी था कि वह डिप्रेस करे। डिप्रेस होने पर ही आडिएंस जुड़ाव महसूस करते हैं। इस फिल्म में अगर जैनब जिंदा रहती तो उसकी तकलीफ का एहसास इस लेवल पर नहीं हो पाता। उसके मरने से आडिएंस को शर्मिंदगी महसूस होती है। फिल्म की यही खूबसूरती है। पाकिस्तान अवाम ने इस फिल्म को देखा और सराहा है। माशाअल्लाह, ‘बोलने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं।

-क्या खास बात असर हुआ है बोलका?

0बोलके जरिए इस नेशन के लोगों के पास मैसेज पहुंचा है और उनकी जिंदगी में तब्दीलियां आ रही हैं। सोच और अंदाज के साथ उसूल बदल रहे हैं। बाप की सोच बदल रही है। औरत का दर्जा बुलंद हो चुका है। एक इस्लामिक मुल्क में मुस्लिम औरत का काम केवल पर्दा करना और चुप रहना नहीं है। उसका काम है अपने हक के लिए लडऩा और अपनी आवाज में बोलना। मैं पाकिस्तानी मुस्लिम लडक़ी हूं। इसी मुल्क में पैदा हुई। मैंने यहीं तरक्की पाई। मुस्लिम होने के साथ मैं बुलंद और तरक्कीपसंद औरत भी हूं। औरतों को बुर्के में छिपा देने से काम नहीं चलेगा।

- फिल्म में एक डायलॉग में आप अपने अब्बा से कहती हैं, ‘मर्द हैं न... लाजवाब होते ही हाथ उठा देते हैं...

0 ये सच है। यह सिर्फ पाकिस्तान का सच नहीं है। इंडिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, लंदन और अमेरिका में भी यही होता है। जब भी बीवी या बेटी अपने शौहर या अब्बा से कोई सवाल करती है और उसका वाजिब जवाब नहीं होता तो मर्दों का हाथ उठ जाता है। वह थप्पड़ मार देता है। मर्द लाजवाब होता है तो उसके हाथ चलने लगते हैं।

- आप इस फिल्म के सिलसिले में भारत आएंगी?

0 बिल्कुल आऊंगी और भारत की अवाम से बातें करूंगी। मैं तो चाहती हूं कि भारत-पाकिस्तान का इंटरेक्शन बढ़े। आमदरफ्त बढ़ेगी तो गलतफहमियां खत्म होंगी।

- क्या कोई हिंदी फिल्म भी करना चाहेंगी?

0 बिला शक ... मुझे अमिताभ बच्चन खासे पसंद हैं। मैं उनके साथ और दूसरे अदाकारों के साथ हिंदी फिल्में करना चाहूंगी। कुछ बातें चल रही हैं। अगर बात बनी तो आप को बताऊंगी।


Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम