21वीं सदी का सिनेमा
- अजय ब्रह्मात्मज समय के साथ समाज बदलता है। समाज बदलने के साथ सभी कलारूपों के कथ्य और प्रस्तुति में अंतर आता है। हम सिनेमा की बात करें तो पिछले सौ सालों के इतिहास में सिनेमा में समाज के समान ही गुणात्मक बदलाव आया है। 1913 से 2013 तक के सफर में भारतीय सिनेमा खास कर हिंदी सिनेमा ने कई बदलावों को देखा। बदलाव की यह प्रक्रिया पारस्परिक है। आर्थिक , सामाजिक और राजनीतिक बदलाव से समाज में परिवर्तन आता है। इस परिवर्तन से सिनेमा समेत सभी कलाएं प्रभावित होती हैं। इस परिप्रेक्ष्य में हिंदी सिनेमा को देखें तो अनेक स्पष्ट परिवर्तन दिखते हैं। कथ्य , श्ल्पि और प्रस्तुति के साथ बिजनेस में भी इन बदलावों को देखा जा सकता है। हिंदी सिनेमा के अतीत के परिवर्तनों और मुख्य प्रवृत्तियों से सभी परिचित हैं। मैं यहां सदी बदलने के साथ आए परिवर्तनों के बारे में बातें करूंगा। 21 वीं सदी में सिनेमा किस रूप और ढंग में विकसित हो रहा है ? सदी के करवट लेने के पहले के कुछ सालों में लौटें तो हमें निर्माण और निर्देशन में फिल्म बिरादरी का स्पष्ट वर्चस्व दिखता है। समाज के सभी क्षेत्रों क