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‘हाईवे’ के हमसफर वीरा और महावीर

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-अजय ब्रह्मात्मज     ‘हाईवे’ के हमसफर हैं वीरा त्रिपाठी और महावीर भाटी। दोनों अलग मिजाज के हैं, लेकिन इस सफर में साथ हैं। कुछ मजबूरियां हैं कि उनके रास्ते जुदा नहीं हो सकते। साथ-साथ चलते हुए उन्होंने देश के छह राज्यों के रास्ते नापे हैं। वे अनेक शहरों, कस्बों और गांवों से गुजर रहे हैं। दिल्ली की वीरा त्रिपाठी आभिजात्य परिवार की अमीर लडक़ी है। समझने की बात तो दूर रही,अभी उसने ठीक से दुनिया देखी ही नहीं है। दूसरी तरफ महावीर भाटी है। वह गूजर है। आपराधिक पृष्ठभूमि के महावीर को दुनिया के सारे गुर मालूम हैं। वह चालाक और दुष्ट भी है। दो विपरीत स्वभाव के किरदारों की रहस्यमय यात्रा की कहानी है ‘हाईवे’। इसे इम्तियाज अली डायरेक्ट कर रहे हैं और  निर्माता हैं साजिद नाडियाडवाला।     वीरा त्रिपाठी और महावीर भाटी से हमारी मुलाकात पहलगाम में हो गई। पहलगाम से 16 किलोमीटर दूर है अरू घाटी। अरू घाटी में उपर पहाडिय़ों पर दोनों के मौजूद होने की खबर मिली थी। स्थानीय गाइड और सहायकों की मदद से घोड़े पर सवार होकर ऊपर पहुंचना था। दो दिन पहले बारिश हो जाने से फिसलन बढ़ गई थी। कीचड़ तो पूरे भारत में बेहिसाब मिलती ह

इम्तियाज अली की सिनेमाई चेतना - राहुल सिंह

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चवन्‍नी के पाठकों के  लिए मोहन्ल्‍ला लाइव से साधिकार                                                                                                    सो चा न था कि फकत चार फिल्मों में लगभग एक-सी ‘सिचुएशन्स’ को ‘एक्सप्लोर’ करते हुए, कोई हमारे समय के ‘मेट्रोपोलिटियन यूथ’ की ‘साइकि’ को (खासकर मुहब्बत के मामले) में इस कदर पकड़ सकता है। ‘सोचा न था’ से लेकर ‘रॉक स्टार’ के बीच के फासले को जिस अंदाज में इम्तियाज अली ने तय किया है, वह थोड़ा गौरतलब है। कंटेंट इम्तियाज अली की पहली फिल्म ‘सोचा न था’ का हीरो वीरेन (अभय देओल) एक रीयल स्टेट के समृद्ध कारोबारी परिवार से है। दूसरी फिल्म, ‘जब वी मेट’ में आदित्य कश्यप (शाहिद कपूर) एक बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट परिवार से है। तीसरी फिल्म, ‘लव आज कल’ में जय (सैफ अली खान) एक कैरियरिस्ट युवक है, जिसके सपने से उसके ‘क्लास’ का पता चलता है। चौथी फिल्म ‘रॉक स्टार’ का जर्नादन जाखड़ उर्फ जार्डन (रणबीर कपूर) एक जबर्दस्त ‘कांप्लिकेटेड मिक्सचर’ है। यह चारों फिल्म इम्तियाज अली की सिनेमाई चेतना के विकास में, अब तक आये चार पड़ावों की तरह है। इसमे

जार्डन को जीने की खुशी से मस्‍त रण्‍बीर कपूर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज अमूमन फिल्म रिलीज होने के बाद न तो डायरेक्टर किसी से मिलते हैं और न ही ऐक्टर.., लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। रॉकस्टार की रिलीज के बाद जेजे यानी जॉर्डन यानी रणबीर कपूर लोगों से मिले। फिल्म की कामयाबी और चर्चा से वे खुश थे। उन्होंने फिल्म की मेकिंग, किरदार, एक्टिंग और इससे संबंधित अनेक मुद्दों पर बातें कीं। बर्फी की शूटिंग के लिए ऊटी निकलने से पहले बांद्रा स्थित अपने बंगले कृष्णराज में हुई मुलाकात में वे अच्छे नंबरों से पास हुए बच्चे की तरह खुश थे। प्रस्तुत हैं उनके ही शब्दों में उनकी बातें.. फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले के छह महीने हमने और इम्तियाज ने साथ बिताए थे। उस किरदार को समझना बहुत जरूरी था। बॉडी लैंग्वेज और फिजिकल अंदाज तो आ जाएगा। खास कपड़े पहनना, बालों को लंबा करना, दाढ़ी बढ़ाना.. ये सब बड़ी बातें नहीं हैं। किसी किरदार को समझने की एक आंतरिक प्रक्रिया होती है। जॉर्डन की म्यूजिकल क्वालिटी को समझना था। बात करना और चलना भी आ गया था, लेकिन वह अंदर से कैसे सोचता है? एक दो दिनों की शूटिंग के बाद समझ में आ गया। समझ में आने के बाद हम किरदार के साथ एकाकार हो जाते हैं

दरअसल:अनुराग, इम्तियाज और विशाल

-अजय ब्रह्मात्मज अपनी पसंद की फिल्मों के बारे में लिखना सहज नहीं होता। साल की 100 से अधिक फिल्मों में से श्रेष्ठ फिल्मों को चुनना व्यक्तिगत अभिरुचि के साथ इस तथ्य पर भी निर्भर करता है कि व्यापक दर्शक वर्ग ने उन फिल्मों को कैसे रिसीव किया? सन 2009 की बात करूं, तो सबसे पहले तीन युवा निर्देशकों की फिल्मों का उल्लेख करूंगा। अनुराग कश्यप, इम्तियाज अली और विशाल भारद्वाज की फिल्में हिंदी फिल्मों में आ रहे बदलाव का संकेत देती हैं। तीनों फिल्मकार हिंदी प्रदेश के हैं। उन्होंने हिंदी समाज के सोच और मुहावरे को बारीकी से फिल्मों में रखा है। तीनों की अलग शैली है और अपनी विलक्षणता से उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को अचंभित किया है। अनुराग कश्यप की पहली फिल्म पांच थी। लंबे समय तक वह सेंसर की उलझनों और निर्माता की उदासी के कारण डिब्बे में पड़ी रही। इधर किसी ने उसे इंटरनेट पर लीक कर दिया। अभी अनुराग के प्रशंसक उसे इंटरनेट से डाउनलोड कर धड़ल्ले से देख रहे हैं। अनुराग की ब्लैक फ्राइडे पसंद की गई थी, लेकिन उसे फीचर फिल्म नहीं माना गया। फिर भी मुंबई के दंगों पर आधारित ब्लैक फ्राइडे उस समय के विचलित लोगों क