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दरअसल: कौन जाता है देश के फेस्टिवल में?

हर साल दुनिया भर में सैकड़ों फिल्म फेस्टिवल आयोजित होते हैं। उनमें से दर्जन भर अपने देश में ही होते हैं। भारत में आयोजित फेस्टिवल में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्यरत फिल्म निदेशालय के सौजन्य से आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का खास महत्व इसलिए भी है, क्योंकि यह देश का सबसे बड़ा फिल्म फेस्टिवल है। पं.नेहरू के निर्देश पर इसकी शुरुआत हुई थी। फिल्म फेस्टिवल ने भारत में फिल्म संस्कृति को विकसित करने में बड़ा योगदान किया। सत्यजीत राय से लेकर अनुराग कश्यप तकअनेक निर्देशक फेस्टिवल की फिल्मों से प्रेरित होकर निजी सोच के साथ सक्रिय हुए। इन दिनों स्थानीय फिल्म सोसाइटी, प्रदेश की सरकारों और कुछ संगठनों द्वारा देश के मुख्य शहरों में अनेक फेस्टिवल आयोजित होते रहते हैं। इनके स्वरूप में थोड़ी भिन्नता जरूर है, लेकिन अगर लोग विभिन्न फेस्टिवल में प्रदर्शित फिल्मों की सूची देखें, तो पाएंगे कि कुछ फिल्म हर फेस्टिवल में शामिल की गई हैं। वास्तव में, अपने देश में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन पंचरंगी अचार की तरह होता है। उसमें हर तरह की फिल्में शामिल की जाती हैं। आयात की गई या भेंट में मिलीं पुरस्कृत फि

गोवा में फिल्म फेस्टिवल

पिछले दिनों चवन्नी गोवा में था.वहाँ इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल चल रहा है और फिल्मों के जानकार,प्रेमी और पत्रकारों की भीड़ लगी है.सबसे ज्यादा तो अधिकारी मौजूद हैं.सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय,फिल्म निदेशालय और पत्र एवं सूचना विभाग के अधिकारियों के साथ ही गोवा के भी अधिकारी हैं.इनकी संख्या फिल्म देखनेवालों से ज्यादा है.तभी तो उद्घाटन समरोह में जब शाहरुख़ खान आये तो उनके साथ लगभग २० अधिकारी थे.क्या ज़रूरत थी उनकी?चवन्नी को लगता है कि ज्यादातर तो फोटो खींच और खिंचवा रहे होंगे। भारत में आयोजित फिल्म फेस्टिवल को विदेशी फेस्टिवल की तरह ब्रांड बनने की कोशिश लंबे समय से चल रही है.गोवा में फेस्टिवल के आयोजन को चार साल हो गए,लेकिन अभी तक न तो ब्रांड बना और न गोवा फेस्टिवल की कोई पहचान बनी.सब कुछ इतना सरकारी हो जाता है कि तरकारी हो जाता है.सही ढंग से प्रचार भी नही किया जाता.मीडिया की रूचि वैसे ही कम रहती है और फिर उन्हें जिस तरीके से तंग किया जाता है कि उसमें मजबूरन वे तौबा कर लेते हैं.इस बार भी जब तक शाहरुख़ खान थे तब तक मीडिया खास कर टीवी मीडिया के लोग बने रहे.उधर शाहरुख़ निकले और इधर वे निकले। कायद