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'द्रोण' में मेरा लुक और कैरेक्टर एकदम नया है-अभिषेक बच्चन

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-अजय ब्रह्मात्मज कह सकते हैं कि अभिषेक बच्चन के करिअर पर थ्री डी इफेक्ट का आरंभ 'द्रोण' से होगा। यह संयोग ही है कि उनकी आगामी तीनों फिल्मों के टाइटल 'डी' से आरंभ होते हैं। 'द्रोण', 'दोस्ताना' और 'दिल्ली-६' में विभिन्न किरदारों में दिखेंगे। 'द्रोण' उनके बचपन के दोस्त गोल्डी बहल की फिल्म है। इस फंतासी और एडवेंचर फिल्म में अभिषेक बच्चन 'द्रोण' की शीर्षक भूमिका निभा रहे हैं। पिछले दिनों मुंबई में उनके ऑफिस 'जनक' में उनसे मुलाकात हुई तो 'द्रोण' के साथ ही 'अनफारगेटेबल' और बाकी बातों पर भी चर्चा हुई। फिलहाल प्रस्तुत हैं 'द्रोण' से संबंधित अंश ... - सबसे पहले 'द्रोण' की अवधारणा के बारे में बताएं। यह रेगुलर फिल्म नहीं लग रही है। 0 'द्रोण' अच्छे और बुरे के सतत संघर्ष की फिल्म है। सागर मंथन के बाद देवताओं ने एक साधु को अमृत सौंपा था। जब साधु को लगा कि असुर करीब आ रहे हैं और वे उससे अमृत छीन लेंगे तो उसने अमृत घट का राज प्रतापगढ़ के राजा वीरभद्र सिंह को बताया और उनसे सौगंध ली कि वे अमृत की रक्षा

जाने तू.. देखकर सभी को मजा आएगा: अब्बास टायरवाला

अब्बास टायरवाला ने निर्देशन से पहले फिल्मों के लिए गीत और स्क्रिप्ट लिखे। लगातार लेखन के बाद एक दौर ऐसा भी आया, जब उन्हें न ही कुछ सूझ रहा था और न कुछ नया लिखने की प्रेरणा ही मिल पा रही थी! इसी दौर में उन्होंने निर्देशन में उतरने का फैसला किया और अपनी भावनाओं को जानू तू या जाने ना का रूप दिया। यह फिल्म चार जुलाई को रिलीज हो रही है। बातचीत अब्बास टायरवाला से.. जाने तू या जाने ना नाम सुनते ही एक गीत की याद आती है। क्या उस गीत से प्रेरित है यह फिल्म? बिल्कुल है। यह मेरा प्रिय गीत है। गौर करें, तो पाएंगे कि इतने साल बाद भी इस गीत का आकर्षण कम नहीं हुआ है। पुराने गीतों की बात ही निराली है। इन दिनों एक फैशन भी चला है। नई फिल्मों के शीर्षक के लिए किसी पुराने गीत के बोल उठा लेते हैं। फिल्म की थीम के बारे में जब मुझे पता चला कि प्यार है, तो इसके लिए मुझे जाने तू या जाने ना बोल अच्छे लगे। इस गीत में खुशी का अहसास है, क्योंकि यह लोगों को उत्साह देता है। मैंने इसी तरह की फिल्म बनाने की कोशिश की है। कोशिश है कि फिल्म लोगों को खुशी दे। जाने तू या जाने ना के किरदार इसी दुनिया के हैं या आजकल की फिल्मो

प्रियंका चोपड़ा, बारिश और एक मुलाकात

इन दिनों अंतरंग बातचीत तो छोड़िए, अंतरंग मुलाकातें भी नहीं हो पातीं। एक्टर व्यस्त हैं और फिल्म पत्रकार जल्दी से जल्दी अखबारों की जगह भरने में सिर्फ कानों और आंखों का सहारा ले रहे हैं। दिल और दिमाग अपने कोनों में दुबके पड़े हैं। आश्चर्य है कि इस स्थिति से सभी खुश हैं... अखबार के मालिक, संपादक, पत्रकार, पाठक और फिल्मी हस्तियां... इस स्थिति की परिस्थिति पर फिर कभी, फिलहाल चवन्नी की मुलाकात पिछले दिनों प्रियंका चोपड़ा से हुई। चवन्नी के पाठकों के लिए विशेष रूप से इस मुलाकात का विवरण... प्रियंका चोपड़ा से अजय ब्रह्मात्मज मिलने गए थे। चूंकि चवन्नी हमेशा उनके साथ रहता है, इसलिए स्वाभाविक रूप से इस इंटरव्यू के लिए मौजूद था। चवन्नी ने अजय से कहा भी कि गाड़ी निकाल लो। बारिश का दिन है। अपनी गाड़ी रहेगी तो गीले नहीं होंगे और भीगी हुई बातों से आप भी बचे रहोगे, लेकिन अजय को प्रियंका चोपड़ा के इंटरव्यू के बाद स्वानंद किरकिरे से मिलने के लिए बांद्रा भी जाना था, इसलिए गाड़ी निकालना मुनासिब नहीं था। बारिश में अनजानी सड़कों के गड्ढों की जानकारी नहीं रहती और फिर मुंबई में पार्किंग इतनी बड़ी समस

घर का द्वार खोल दिया है: अमिताभ बच्चन

इन दिनों अमिताभ बच्चन आक्रामक मुद्रा में हैं। ऐसा लगता है कि वे किसी भी आरोप, प्रश्न या आशंका पर चुप नहीं रहना चाहते। आजकल आपकी ब्लॉगिंग की बहुत चर्चा है। यह माध्यम आपके संपर्क में कब आया? -हाल ही में। यह बहुत अच्छा माध्यम है। हम अपने प्रशंसकों के साथ व्यक्तिगत संपर्क कर सकते हैं। यह मुझे बहुत अच्छा लगता है। जैसे आप और हम अभी आमने-सामने बैठकर बातें कर रहे हैं, उसी तरह हम प्रशंसकों के साथ बातें कर सकते हैं। आपके ब्लॉग पर लोगों के कमेंट्स में पूछा जा रहा है कि बच्चन जी क्या हिंदी में ब्लॉगिंग नहीं कर सकते? -हां, अवश्य करेंगे। यह टेक्नोलॉजी मेरे लिए नई है। मेरे कंप्यूटर में अभी वह सॉफ्टवेयर नहीं है जो हिंदी में कनवर्ट कर देता है। वह अभी बन रहा है। जैसे ही बन जाएगा, उसके बाद हम सीधे हिंदी में भी लिखेंगे। एक सवाल हवा में है कि बच्चन जी ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्यों वे ब्लॉग पर सभी के जवाब लिख रहे हैं? ऐसी स्थिति क्यों आ गई? -क्यों परेशान हो रहे हैं? कैसी स्थिति आ गई है? ये मेरा जीवन है, उसे मैं अपने ढंग से व्यतीत करना चाह रहा हूं। मुझे अब एक जरिया प्राप्त हो गया है, जिससे मै

हर बच्चा 'स्पेशल' होता है-आमिर खान

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पॉपुलर हिंदी फिल्म स्टारों में आमिर खान अकेले ऐसे अभिनेता हैं, जिनकी फिल्म इतने लंबे गैप के बाद आ रही है। दर्शकों को याद होगा कि उनकी पिछली फिल्म यशराज कैंप की फना थी। उसके बाद आमिर अलग-अलग कारणों से सुर्खियों में जरूर रहे, लेकिन वे साथ ही साथ खामोशी से अपनी नई फिल्म भी पूरी करते रहे। लगान के बाद उनके प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म है तारे जमीं पर। वे इसके निर्माता-निर्देशक तो हैं ही, साथ ही इसमें अभिनय भी कर रहे हैं। पिछले दिनों आमिर खान से मुलाकात हुई। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश.. बधाई कि आप अभिनेता और निर्माता के बाद निर्देशक भी बन गए। क्या फिल्म तारे जमीं पर में अभिनेता आमिर खान को निर्देशक आमिर खान ने चुना? अच्छा सवाल है, लेकिन मैं बता दूं कि इस फिल्म में मेरी भागीदारी पहले एक्टर और प्रोड्यूसर की जरूर थी, लेकिन डायरेक्टर मैं बाद में बन गया। लोग कह सकते हैं कि डायरेक्टर आमिर को एक्टर आमिर गिफ्ट में मिल गया। सच कहूं, तो मैंने सोच रखा था कि जब डायरेक्टर बनूंगा, तो फिल्म में एक्टिंग नहीं करूंगा, लेकिन इस फिल्म में सिचुएशन कुछ ऐसी बनी कि पहले एक्टर, फिर डायरेक्टर बन गया। फिल