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संडे नवजीवन : मोदी चरित की हड़बड़ी

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मोदी चरित की हड़बड़ी -अजय ब्रह्मात्मज चुनाव के मौसम में नेताओं के जीवन की झांकियां शब्दों में प्रस्तुत की जाती रही हैं.कोई चालीसा लिखता है तो कोई पुराण...कुछ पॉपुलर फ़िल्मी धुनों पर गीत बनाते हैं.चुनाव के दौरान ऑडियो-वीडियो के जरिये नेताओं और संबंधित पार्टियों के बारे में आक्रामक प्रचार किया जाता है. एक ही कोशिश रहती है कि मतदाताओं को को लुभाया जा सके.पहली बार ऐसा हो रहा है कि सत्ताधारी प्रधानमंत्री के जीवन पर एक फिल्म और एक वेब सीरीज की तैयारी चल रही है.इन्हें भाजपा की तरफ से आधिकारिक तौर पर नहीं बनवाया जा रहा है,लेकिन उक्त पार्टी का मौन व मुग्ध समर्थन है.पूरी कोशिश है कि चुनाव के पहले इन्हें दर्शकों के बीच लाकर उनके मतों को प्रभावित किया जाए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बड़े परदे के साथ डिजिटल प्लेटफार्म पर पेश करने की हड़बड़ी स्पष्ट है. फिल्म ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ और वेब सीरीज ‘मोदी’ का निर्माण चुनाव के मद्देनज़र ही हो रहा है. निर्माता संदीप सिंह,सुरेश ओबेरॉय,आनंद पंडित और आचार्य मनीष ने जनवरी के पहले हफ्ते में ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ का फर्स्ट लुक अनेक राष्ट्रिय भाषाओँ में जरी कि

संडे नवजीवन : जीवित पात्रों का जीवंत चित्रण वाया मोहल्ला अस्सी

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संडे नवजीवन जीवित पात्रों का जीवंत चित्रण वाया मोहल्ला अस्सी अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्मों के इतिहास में साहित्यिक कृत्यों पर फ़िल्में बनती रही हैं.और उन्हें लेकर विवाद भी होते रहे हैं.ज्यादातर प्रसंगों में मूल कृति के लेखक असंतुष रहते हैं.शिकायत रहती है कि फ़िल्मकार ने मूल कृति के साथ न्याय नहीं किया.कृति की आत्मा फ़िल्मी रूपांतरण में कहीं खो गयी.पिछले हफ्ते डॉ. काशीनाथ सिंह के उपन्यास ‘काशी का अस्सी ’ पर आधारित ‘मोहल्ला अस्सी ’ देश के चंद सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई.इस फिल्म के प्रति महानगरों और उत्तर भारत के शहरों की प्रतिक्रियाएं अलग रहीं.यही विभाजन फिल्म के अंग्रेजी और हिंदी समीक्षकों के बीच भी दिखा.अंग्रेजी समीक्षक और महानगरों के दर्शक ‘मोहल्ला अस्सी ’ के मर्म को नहीं समझ सके.फिल्म के मुद्दे उनके लिए इस फिल्म की बनारसी लहजे(गालियों से युक्त) की भाषा दुरूह और गैरज़रूरी रही.पिछले कुछ सालों में हम समाज और फिल्मों में मिश्रित(हिंग्लिश) भाषा के आदी हो गए हैं.इस परिप्रेक्ष्य में ‘मोहल्ला अस्सी ’ में बोली गयी हिंदी को क्लिष्ट कहना लाजिमी है. रिलीज से दो दिनों पहले डॉ. काशी

संडे नवजीवन : राष्ट्रवाद का नवाचार

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संडे नवजीवन राष्ट्रवाद का नवाचार -अजय ब्रह्मात्मज सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ पर हिंदी फिल्म ‘उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक’ का टीजर आया. इस फिल्म में विकी कौशल प्रमुख नायक की भूमिका में है. 1 मिनट 17 सेकंड के टीजर में किसी संय अधिकारी की अनुभवी.आधिकारिक और भारी आवाज़ में वाइस् ओवर है. बताया जाता है कि ‘हिंदुस्तान के आज तक के इतिहास में हम ने किसी भी मुल्क पर पहला वार नहीं किया. 1947,61,75,99... यही मौका है उनके दिल में डरर बिठाने का. एक हिन्दुस्तानी चुप नहीं बैठेगा. यह नया हिंदुस्तान है. यह हिंदुस्तान घर में घुसेगा और मारेगा भी.’ वरिष्ठ अधिकारी की इस अधिकारिक स्वीकारोक्ति और घोषणा के बीच जवान ‘अहिंसा परमो धर्मः’ उद्घोष दोहराते सुनाई पड़ते हैं. सभी जानते हैं कि पाकिस्तान ने 18 सितम्बर 2016 को कश्मीर के उरी बेस कैंप में घुसपैठ की थी और 19 जवानों की हत्या कर दी थी. भारत ने डर बिठाने की भावना से सर्जिकल स्ट्राइक किया था. इस सर्जिकल स्ट्राइक को देश की वर्तमान सरकार ने राष्ट्रीय गर्व और शोर्य की तरह पेश कर अपनी झेंप मिटाई थी. गौर करें तो इस संवाद में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया ग