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चालू हो गया आमिर खान का वेब साईट

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चवन्नी ने कल आप को एक दुख भरी खबर के साथ ही सुखद सूचना दी थी.उस सूचना के अनुसार आज ठीक १२ बज कर १ मिनट पर आमिर खान ने अपना वेब साईट आरम्भ कर दिया.यह वेब साईट अन्य फिल्म स्टारों की तरह केवल दिखाने या लुभाने के लिए नहीं है.आप अगर पंजीकरण कर लेते है तो आप आमिर खान से बात कर सकते हैं.आमिर ने वादा किय है कि वे बार-बार यहाँ आएंगे और सभी से बातचीत करेंगे.आमिर बहस के लिए भी तैयार हैं. चवन्नी के कुछ पाठकों को लग सकता है कि ऐसा क्या है कि चवन्नी हमेशा आमिर की ही बातें करता है.चवन्नी को लगता है कि अगर कोई स्तर अपने प्रशंसकों से बहस और बातचीत के लिए तैयार है तो उसकी जानकारी हिंदी के प्रशंसकों और पाठकों को भी मिलनी चाहिऐ.अब आप ही कहो कि आप ऐसा मौका गंवाना चाहेंगे. आमिर खान के वेक साईट पर फिलहाल चैट और ब्लॉग के लिंक शुरू किये गए हैं.आज रात में ९ से १० के बीच आमिर चैट रूम में रहेंगे.सोच क्या रहे हैं ,लौग कीजिये अपना सवाल रखिये .अपनी जिज्ञाशाएं शांत कीजिये। आमिर खान के वेक साईट का पता है... http://www.aamirkhan.com/

बंद हुआ आमिर खान का ब्लॉग

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चवन्नी बडे दुख के साथ आप को बता रह है कि आमिर खान ने अपने ब्लॉग को बंद करने का फैसला ले लिया है.उनहोंने अपने आख़िरी ख़त में लिखा है कि उन्हें भी इस बात के बेहद तकलीफ है,क्यों कि ब्लॉग के जरिये कई नए दोस्त बने थे और कुछ नयी बातें सामने आयी थीं.आमिर ने लिखा है कि एक तो उनके पास समय नही है और फिर ब्लॉग का बैंडविड्थ भी नही मिल पायेगा.हम सभी जानते हैं कि काम के पक्के आमिर खान एक बार में एक ही काम करते हैं और पूरे मनोयोग से करते हैं.जैसे अगर वह आप से मिल राहे हैं तो उनका पूरा ध्यान सिर्फ आप पर रहता है. इस दुख भरी खबर से चवन्नी भी काफी दुःखी हुआ था...आमिर थोड़े मजाकिया मिजाज के आदमी हैं.उनहोंने ब्लॉग पर लिखे अपने आख़िरी ख़त में एक लम्बा स्पेस देने के बाद बताया है कि अब उनका ब्लॉग नयी जगह पर जा रह है और उसका नया पता होगा.यहाँ पर और भी कई खूबियां रहेंगी.आमिर अपना वेब साईट लेकर आ राहे हैं.उस वेब साईट का चैट रूम चौबीस घंटे खुला रहेगा.वहाँ आमिर कभी बता कर तो कभ बिना बताये आएंगे और सभी से बातें करेंगे.अगर कोई दिलचस्प बात कर रह होगा तो वे उसके साथ चैट रूम में अलग से बात करेंगे। http://www.aamirkhan.

जोधा अकबर की पहली झलक

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चवन्नी को याद नही कि कभी किसी निर्माता या निर्देशक ने अपनी फिल्म के ट्रेलर बेखने के लिए मीडिया को औपचारिक निमंत्रण दिया हो.आशुतोष गोवारिकर ने १० तारीख को ट्रेलर देखने का निमंत्रण भेजा है.जोधा अकबर में ऐश्वर्या राय जोधा की भूमिका निभा रही हैं और अकबर बने हैं हृतिक रोशन .यह फिल्म पहले १२ अक्तूबर को रिलीज होने वाली थी.अब यह अगले साल आएगी.१० तारीख को पहली झलक देखने के बाद चवन्नी आप को ट्रेलर के बारे में बतायेगा.

जॉन-बिपाशा:अंतरंग पल

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जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु को लेकर पत्र-पत्रिकाओं में तरह-तरह की बातें छपती रहती हैं.कुछ गॉसिप लेखक दोनों को अलग करने में तुले हैं.चवन्नी दोनों से अलग-अलग और एक साथ भी मिल चूका है.दो अंतरंग प्रेमियों की भाव और दैहिक मुद्राओं से कोई अनुमान लगा सकता है कि प्रेमियों के संबंध कितने गहरे हैं.ठीक है कि दोनों ऐक्टर हैं,लेकिन दोनों मनुष्य भी तो हैं। चलिए चवन्नी आप के लिए दोनों के अंतरंग पलों को बयां करती तसवीरें ले आया है.ये तसवीरें बिपाशा बसु के ब्लोग से ली गयी हैं। http://bipashabasunet।com/cms/ बिपाशा का पर्सनल वेब पोर्टल

चवन्नी सर्वेक्षण

चवन्नी के पाठक बढ़ रहे हैं.यह तो खुशी की बात है.इस ब्लौग पर चवन्नी ने दो सर्वेक्षण किये.उसे अच्छा लगा कि पाठकों ने सर्वेक्षण में हिस्सा लिया।पहला सर्वेक्षण था.चवन्नी पर आने से क्या मिलता है? चार विकल्प थे.१.उपयोगी फिल्म समीक्षा,२.बढती है जिज्ञासा,३.मिलती है जानकारी और४.होती है सनसनी।सचमुच खुशी की बात है कि किसी पाठक को चवन्नी सनसनी नही देता.४१% को चवन्नी पर अजय ब्रह्मात्मज की फिल्म समीक्षा उपयोगी लगी.३४% ने मत दिया कि चवन्नी पढने से जिज्ञासा बढती है और २५% की राय में चवन्नी उनकी जानकारी बढाता है।दुसरे सर्वेक्षण में पूछा गया था कि सांवरिया और ओम शांति ओम में से आप पहले कौन सी फिल्म देखेंगे.तीसरा विकल्प था कोई नही.३०% ने कहा कि वे कोई फिल्म नहीं देखेंगे.चवन्नी अपने इन पाठकों की नाराजगी नहीं समझ पा रहा है. बहरहाल सांवरिया और ओम शांति ओम दोनों को बराबर मत मिले.दोनों फिल्मों को चवन्नी के पाठकों ने ३५-३५% मत दिए।चवन्नी अपने पाठकों को और सक्रिय रूप में देखना चाहता है।

अच्छे विषय पर बुरी फिल्म है इट्स ब्रेकिंग न्यूज

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-अजय ब्रह्मात्मज अच्छे विषय पर बुरी फिल्म का उदाहरण है इट्स ब्रेकिंग न्यूज। मीडिया के बढ़ते प्रभाव और मीडिया में अपनाए जा रहे तरीकों पर सवाल उठाती यह फिल्म पटकथा और विषय की समझ के अभाव में शुरू से ही लड़खड़ा जाती है। हालांकि फिल्म के कुछ प्रसंगों से मीडिया के अंदर चल रही गतिविधियों से दर्शक परिचित और चकित होंगे। सच दिखाने का दावा करने वाले अंदरूनी तौर पर कितने झूठे और दिखावटी हो सकते हैं? मीडिया को बेनकाब करने और मीडिया कवरेज की मर्यादा पर सवाल उठाने में यह फिल्म नाकाम रहती है। फिल्म की मुख्य अभिनेत्री कोयल पुरी अपने किरदार को निभाने में कमजोर साबित हुई हैं। फिल्म के नायक अभिमन्यु सिंह छोटी सी भूमिका में प्रभावित करते हैं। उन्हें अपनी संवाद अदायगी पर ध्यान देने की जरूरत है। मुख्य कलाकार : कोयल पुरी, अभिमन्यु सिंह, हर्ष छाया, स्वाति सेन, शिशिर शर्मा निर्देशक : विशाल ईनामदार तकनीकी टीम : निर्माता-श्रेयस म्हासकर, पटकथा-जयंत पवार, संवाद-संजय मोरे, संगीत-कौशल ईनामदार

थ्रिलर व कॉमेडी के बीच पिस गयी गो

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-अजय ब्रह्मात्मज क्लिक..क्लिक.. यह है राम गोपाल वर्मा फ्लिक राम गोपाल वर्मा जितनी फिल्में बनाते हैं.. उनकी कंपनियों के नाम भी उतने ही हैं। कभी फैक्ट्री तो कभी आरजीवी फिल्म्स तो कभी यह फ्लिक.. इरादा क्या है? शायद दर्शकों को लगातार तंग करना..। राम गोपाल वर्मा फ्लिक की गो के निर्देशक मनीष श्रीवास्तव हैं। उन्होंने इस फिल्म की योजना क्यों और कैसे बनाई, उसे रामू ने क्यों मंजूर किया? यह तो दोनों से मिल कर ही पूछा जा सकता है। फिलहाल फिल्म हमारे सामने है, जिसमें नायक अभय (गौतम) और नायिका वसु (निशा कोठारी) गा रहे हैं बैंड बजा दे। वो अपना तो क्या बैंड बजाएंगे.. दर्शकों का बैंड बजाने पर जरूर लगे हैं। शायद ये भी बता रहे हैं कि रामू का भी बैंड बज गया है। दो युवा प्रेमी अपने माता-पिता से नाराज होकर घर से भागते हैं। उन्हें नहीं मालूम कि अनजाने में किन चंगुलों में फंसते जा रहे हैं। ऐसे विषय पर एक रोमांचक फिल्म बन सकती थी, लेकिन मनीष श्रीवास्तव कभी थ्रिलर तो कभी कॉमेडी का सहारा लेते दिखते हैं। हम सभी जानते हैं कि दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय.. गो भी चकनाचूर हो जाती है। उम्दा एक्टर के।के. मेनन अधपक

शुक्रवार, 5 अक्तूबर, 2007

चवन्नी की सलाह मानें तो इस हफ्ते किसी नयी फिल्म को देखने का जोखिम न उठाएं. 'इट्स ब्रेकिंग न्यूज', 'गो', 'छोड़ो न यार'और '50 लाख' फिल्में रिलीज हुई है. इनमें से '50 लाख' चवन्नी ने नहीं देखी है, इसलिए उसके बारे में कुछ भी कहना गलत होगा. बाकी तीन औसत से कमजोर फिल्में हैं. रामू कैंप की 'गो' का तो गाना ही है . बैंड बजा दे. लगता है राम गोपाल वर्मा अपना और अपनी टीम का बैंड बजा कर ही रहेंगे. चवन्नी निराश है, लेकिन हताश नहीं है. चवन्नी को उम्मीद है कि रामू 'सरकार राज' से लौटेंगे. 'इट्स ब्रेकिंग न्यूज' तो अ।पके धैर्य को ब्रेक करने वाली फिल्म है. कोयल पुरी को अभिनय की अच्छी और पूरी ट्रेनिंग लेनी चाहिए और अपना हिंदी उच्चारण भी दुरूस्त करना चाहिए. 'छोड़ो न यार' का शीर्षक ही बता देता है कि उसे दर्शकों से क्या उम्मीद है. इस हफ्ते सुनील दत्त और नरगिस के जीवन पर लिखी नम्रता एवं प्रिया दत्त की लिखी किताब विमोचित हुई. बांद्रा के एक पंचसितारा होटल में अ।योजित इस कार्यक्रम में दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, महेश भट्ट, संजय खान, सायरा बानो

गांधी और फिल्म

{चवन्नी को अजय ब्रह्मात्मज का यह आलेख बापू की जयंती पर प्रासंगिक लगा।} -अजय ब्रह्मात्मज यह संयोग किसी फिल्मी कहानी की तरह ही लगता है। फैमिली फिल्मों में किसी संकट के समय नालायक बेटा कुछ ऐसा कर बैठता है, जिससे परिवार की प्रतिष्ठा बच जाती है। 'लगे रहो मुन्ना भाई' ऐसे ही नालायक माध्यम का सृजन है, जिसे गांधी जी बिल्कुल पसंद नहीं करते थे। उन्होंने फिल्मों के प्रति अपनी बेरूखी और उदासीनता छिपा कर नहीं रखी। समय-समय पर वे इस माध्यम के प्रति अपनी आशंका जाहिर करते रहे। फिल्में देखने का उन्हें कोई शौक नहीं था और वह फिल्मी हस्तियों के संपर्क में भी नहीं रहे। उनकी मृत्यु के 59सालों के बाद उसी माध्यम ने उन्हें फिर से चर्चा में ला दिया है। 'लगे रहो मुन्ना भाई' ने विस्मृति की धूल में अदृश्य हो रहे गांधी को फिर से प्रासंगिक बना दिया है। किशोर और युवा दर्शक गांधी के मूलमंत्र सत्य और अहिंसा से परिचित हुए हैं और जैसी खबरें आ रही हैं, उससे लगता है कि गांधी का दर्शन हमारे दैनिक एवं सामाजिक व्यवहार में लौट रहा है। गांधी पुरातनपंथी नहीं थे, लेकिन तकनीकी आधुनिकता से उन्हें परहेज था। कुटीर उद्यो

बिंदास बिपाशा बसु

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बिपाशा बसु से चवन्नी की चंद मुलाकातें हैं. सब से पहले एतबार के सेट पर मुलाकात हुई थी और खूब लंबी बात हुई थी.बिपाशा की कही बातें चवन्नी अभी तक नहीं भूल सका है.अरे भूल गया पहली मुलाकात तो बांद्रा के एक फ्लैट में हुई थी,जहां वह पेइंग गेस्ट के तौर पर रहती थी.फिल्मों में आए अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.बांद्रा में महबूब स्टूडियो की पीछे की गलियों में एक छोटे फ्लैट में उसने डेरा डाला था.तब उसकी अजनबी पूरी हो गयी थी.करीना कपूर ने कुछ उल्टा-सीधा बोल दिया था. अपनी करीना न ...चवन्नी को दिल की साफ लगती है.उसे जो समझ में आता है...बोल देती है.उसकी बातें जाहिर है उसकी समझ से तय होती हैं.कपूर खानदान की टूटे परिवार की लड़की की सोच की कल्पना चवन्नी कर सकता है.एक बातचीत में उसने चवन्नी को बताया था कि वह रोल पाने के लिए किसी डायरेक्टर के घर जाकर खाना नहीं बनाती या शॉपिंग पर नहीं जाती.अरे...रे..रे.. चवन्नी क्या बताने लगा.वैसे रोल हथियाने और पाने के लिए लड़कियां क्या -क्या करती हैं...इस पर कभी अलग से चवन्नी लिखेगा. तो बात हो रही थी बिपाशा की.बिपाशा छोटी उम्र में ही दुनियादार हो गयी.वह खुद मुंबई आयी और उसने