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फ़िल्म समीक्षा:गजनी

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आम दर्शकों की फिल्म -अजय ब्रह्मात्मज फिल्म रिलीज होने से पहले आमिर खान ने कहा था, लंबे समय के बाद मैं एक्शन थ्रिलर कर रहा हूं। इस फिल्म के जरिए मेरी कोशिश है कि आम दर्शकों का मनोरंजन करूं। वह अपने उद्देश्य में सफल हुए हैं। गजनी आम दर्शकों को पसंद आ रही है। यह हिंदी फिल्मों की मुख्यधारा की परंपरा की फिल्म है, जिसमें तर्क पर संयोग हावी रहता है। आप फिल्म में कार्य-कारण संबंध खोजने लगे तो निराश होंगे। इस फिल्म का आनंद सिर्फ देखने में है। संजय सिंहानिया (आमिर खान) अपनी पे्रमिका को गुंडों से बचा नहीं पाया है। वह खुद भी गजनी (प्रदीप रावत) के गुस्से का शिकार होता है। इस हमले की वजह से वह स्मृति विलोप का रोगी हो जाता है। उसकी स्मृति का क्रम 15 मिनट से ज्यादा देर तक नहीं बना रहता। इस लिए वह अपने शरीर पर लिखे काम, नाम व नंबर, तस्वीर और कार्ड के जरिए घटनाओं और लक्ष्य को याद रखता है। अभी उसका एकमात्र लक्ष्य गजनी तक पहुंचना और उसे मारना है। उसकी सामान्य जिंदगी में लौटने पर हम पाते हैं कि वह एक सामान्य व्यक्ति था। जाने-अनजाने वह एक साधारण माडल कल्पना (असिन) से प्रेम करने लगता है। वह अपनी वास्तविकता ज

एक्शन,थ्रिल और रोमांस का संगम है 'गजनी'-आमिर खान

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आमिर खान का एक इंटरव्यू २४ दिसम्बर को पोस्ट किया था.उसी इंटरव्यू का यह असंपादित मूल है.यहाँ आमिर खान से 'गजनी' के साथ और भी विषयों पर बातें हुईं.आमिर के प्रशंसकों और सिनेमा के अध्येताओं को यह इंटरव्यू विशेष खुशी देगा,क्योंकि अभिनेता आमिर ने यहाँ कुछ और भी बातें की हैं...पढने का आनंद लें... अपनी नई फिल्म गजनी के बारे में आमिर खान कहते हैं कि यह प्योर थ्रिलर फिल्म है, जो दर्शकों को बिल्कुल अलग तरह का अनुभव देगी। आमिर कहते हैं कि दर्शकों को मेरी फिल्मों को लेकर खास जिज्ञासा रहती है इसलिए उन्हें हमारी फिल्म से उम्मीद भी अधिक रहती है। आमिर ने गजनी सहित अपने फिल्मी जीवन और नई योजनाओं पर खुलकर उद्गार व्यक्त किए। -कहा जा रहा है कि आमिर खान ने 'गजनी' के प्रचार में बाजी मार ली है। यह कितना सचेत प्रयास है? <>जहां तक बाजी मारने की बात है तो उसके लिए फिल्म रिलीज होने दीजिए। हां, हाइप जरूर है। वह शायद इसलिए है कि मेरी फिल्में साल में एक दफा आती हैं तो लोगों की जिज्ञासा रहती है। मेरे मामले में दर्शकों की उम्मीद हर फिल्म के साथ बढ़ती जा रही है। पिछली फिल्म उन्हें अच्छी लगती है तो

दरअसल:साल की समाप्ति

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-अजय ब्रह्मात्मज आज गजनी की रिलीज के साथ 2008 की फिल्मों की रिलीज की कहानी खत्म हो गई। तमाम प्रचार, जिज्ञासा और उम्मीदों के बावजूद कहना मुश्किल है कि गजनी दर्शकों को कितनी पसंद आएगी! निर्माता कुछ अमू‌र्त्त आकलनों के आधार पर अपनी फिल्म को रिलीज के पहले ही हिट मान बैठते हैं। कई बार वे सही होते हैं, लेकिन ज्यादातर दर्शक उनकी उम्मीदों पर पानी फेर देते हैं। आदित्य चोपड़ा की रब ने बना दी जोड़ी का उदाहरण ताजा है। यशराज फिल्म्स के इस दावे में कोई दम नहीं है कि फिल्म ने पहले सप्ताहांत में 60 करोड़ का बिजनेस कर लिया है। इस स्तंभ केपाठकों को अच्छी तरह आंकड़ों का यह झांसा मालूम है। सच है कि रिलीज के अगले सोमवार से रब.. के दर्शक नदारद होते गए। हां, अनुष्का शर्मा के रूप में एक नई और कॉन्फिडेंट हीरोइन जरूर मिल गई। 2008 हमें अनुष्का के साथ ही इमरान खान, हरमन बावेजा, निखिल द्विवेदी, राजीव खंडेलवाल और असिन की ठोस शुरुआत की वजह से याद रहेगा। ये कलाकार आने वाले सालों में पर्दे पर जगमगाएंगे। हम इनके भावपूर्ण अभिनय के जरिए मुस्कराएंगे, रोएंगे, हंसेंगे और राहत भी महसूस करेंगे। आम धारणा है कि हिंदी फिल्मों मे

मैं अहिंसक व्यक्ति हूँ: आमिर खान

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आमिर खान अभिनीत एक्शन थ्रिलर 'गजनी' की रिलीज से पहले ही काफी चर्चा हो रही है। आइए नजर डालते है इस फिल्म के आक्रामक प्रचार से लेकर आमिर के व्यक्तिगत विचार के हर पहलू पर- इन दिनों काफी चर्चा है कि आमिर खान ने 'गजनी' के प्रचार में बाजी मार ली है? जहां तक बाजी मारने की बात है, तो उसके लिए फिल्म रिलीज होने दीजिए। हाँ, हाइप जरूर है। यह इसलिए है कि मेरी फिल्म साल में एक दफा आती है, तो लोगों की जिज्ञासा रहती है। दर्शकों ने लंबे समय से कोई एक्शन थ्रिलर नहीं देखी है। मुृझे लगता है कि पूरा हाइप इन सारी स्थितियों का मिला-जुला असर ऐसा कहा गया कि आमिर खान ने सलमान खान से दोस्ती निभायी और शाहरुख खान की फिल्म के समय अपनी फिल्म का प्रचार झोंक दिया। क्या किसी को हराने का मन रहता है? किसी को हराने में मेरी कोई रुचि नहीं है। हमारी वजह से किसी का नुकसान नहीं होगा। फिल्म के प्रचार के लिए मल्टीप्लेक्स कर्मचारियों ने 'गजनी' का लुक अपनाया। जो भी दर्शक 'रब ने बना दी जोड़ी' देखने गया, उसे 'गजनी' के लुक में कर्मचारी दिखे। टिकट खरीदने से लेकर सीट पर बैठने, पॉपकार्न खरीदने और

एक तस्वीर:असिन

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जी..यह तस्वीर गजनी की हीरोइन असिन की है.हमने सोचा कि क्यों न आप सभी को एक अलग छवि दिखाई जाए .अभी उनकी ग्लैमरस तस्वीर तो आप हर जगह देख रहे हैं.फ़िल्म में भी उन्हें इस छवि में देखेंगे.कैसा रहा यह अवलोकन?

आमिर खान या शाहरुख़ खान

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सिर्फ़ मीडिया ही नहीं,आम दर्शकों की भी रूचि होती है.हम सभी पैदाइशी होड़ में रूचि लेते हैं.बचपन में ही हमारे प्रतियोगिता हमउम्र बच्चों से करवाई जाती है.अरे,देखो तो कैसे दोड़ता है मुन्ना... यह तो राजू से आगे निकल जाएगा ... बेटा दौड़ो तो और हम तब से कभी अपनी खुशी तो कभी दूसरों के रोमांच के लिए दौड़ते रहते हैं.दुनिया की होड़ में शामिल हो जाते हैं। आदिम ज़माने में शिकार, मुर्गाबाजी ,पतंगबाजी,घुड़दौड़ ,स्वयंवर,परीक्षा,नौकरी,प्रेम, शादी, बच्चों की परवरिश हर समय और जगह एक होड़ चलती रहती है.यह इंसानी फितरत है.मनुष्य की आदिम प्रवृत्ति है.इन दिनों क्रिकेट,फुटबॉल और राजनीती तक में इस होड़ और उठापटक के दर्शन होते हैं.हमें आनंद मिलता है.हम स्फुरित होते हैं और परम आनंद की लालसा में होड़ को बढ़ावा देते हैं। आजकल हिन्दी फिल्मों के दो पॉपुलर स्टार में ऐसी ही होड़ की कल्पना की जा रही है.माना जा रहा की शाहरुख़ खान और आमिर खान के बीच आगे रहने की ज़ंग चल रही है.इस ज़ंग का अलग-अलग कोणों से चित्रण किया जाता है.बताया जाता है की इस चक्र में कौन आगे रहा और कौन पीछे सरकता नज़र आ रहा है.लोकप्रियता सूची में शीर्ष पर क

सिनेमा का तिलस्‍म...-युनूस खान

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हिन्दी टाकीज-२० इस बार हिन्दी टाकीज की अगली कड़ी युनूस खान लेकर आए हैं.युनूस मुंबई में रहते हैं और अपनी मीठी बोली से सभी की ज़िन्दगी में मिठास घोलते हैं.हाँ,उसके लिए ज़रूरी नहीं है कि आप का उनसे संपर्क हुआ हो। ऐसे मीठे लोग दुर्लभ होते जा रहे हैं। शायद यह छोटे शहर का संस्कार हो या फिर युनूस का आत्मज्ञान। हिन्दी टाकीज के लिए लिखने का आग्रह उन्होंने बहुत पहले स्वीकार कर लिया था,लेकिन लेख भेजने में थोड़ी देर हो गई। युनूस खान का ब्लॉग संगीतप्रेमियों के बीच बहुत पॉपुलर है. उनके परिचय की बात करें तो... मध्‍यप्रदेश के दमोह शहर में जन्‍म । शिक्षा दीक्षा मध्‍यप्रदेश के अलग अलग शहरों में । कविताएं लिखता हूं । सिनेमा-संगीत पर दैनिक भास्‍कर में साप्‍ताहिक कॉलम 'स्‍वरपंचमी' । विविध भारती मुंबई में पिछले बारह वर्षों से उदघोषक । दुनिया भर की फिल्‍मों में रूचि । उनके बाकी ब्लॉग पर आप जन चाहते हों तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें... http://www.radiovani.blogspot.com http://www.tarang-yunus.blogspot.com http://www।radionamaa.blogspot.com htttp://www.shrota.blogspot.com http://www.batkahi-mamta.b

अब बतियाए होत क्या जब दर्शक हो गए लेट

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१२ दिसम्बर को 'रब ने बन दी जोड़ी' रिलीज हुई.कहा जा रहा था कि बॉक्स ऑफिस पर चल रही उदासी खुशी में बदलेगी.यशराज का बैनर,आदित्य चोपड़ा का निर्देशन और शाहरुख़ खान के होने की वजह से यह उम्मीद सही थी.लेकिन हुआ क्या? फ़िल्म ने ७० से ८०% का व्यापार किया,जो इन दिग्गजों की फ़िल्म के लिए शर्मनाक है। हालाँकि चापलूस ट्रेड विशेषज्ञ इसही बड़ा कलेक्शन बता रहे हैं। अब समझाया जा रहा है कि चूंकि फ़िल्म की लगत ज्यादा नहीं है,इसलिए यशराज की अच्छी कमाई होगी.उनके इस कयास में खास दम नहीं है.देश भर के अखबार और ब्लॉग लिखने वाले उत्साही यशराज की विज्ञप्ति को सच मान कर 'रब ने बना दी जोड़ी' को हिट बता रहे है. अभी कोई नहीं पूछ रहा है कि शाहरुख़ ब्रांड की कीमत कैसे गिर गई? दूसरी तरफ़ यशराज हमेशा कि तरह इस मुगालते में रहे कि उनकी फ़िल्म तो लोग देखने आयेंगे ही.उन्होंने फ़िल्म के प्रचार पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.शाहरुख़ खान ने चाँद अंग्रेज़ी पत्रकारों से बात की और चैनलों पर शेखी बघारते रहे.उन्होंने फ़िल्म से ज्यादा अपनी बात की.शाहरुख़ खान को मालूम नहीं है कि आजकल दर्शक उनकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे

फ़िल्म समीक्षा:वफ़ा

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दर्दनाक अनुभव काका उर्फ राजेश खन्ना की फिल्म वफा से उम्मीद नहीं थी। फिर भी गुजरे जमाने के इस सुपर स्टार को देखने की लालसा थी। यह उत्सुकता भी थी कि वापसी की फिल्म में वह क्या करते हैं? हिंदी फिल्मों के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना ने कभी अपने अभिनय और अनोखी शैली से दर्शकों को दीवाना बना दिया था। दूज के चांद जैसी अपनी मुस्कराहट और सिर के झटकों से वह युवाओं को सम्मोहित करते थे। आरंभिक सालों में लगातार छह हिट फिल्मों का रिकार्ड भी उनके नाम है। फिर इस सुपरस्टार को हमने गुमनामी में खोते भी देखा। वफा से एक छोटी सी उम्मीद थी कि वह अमिताभ बच्चन जैसी नहीं तो कम से कम धर्मेंद्र जैसी वापसी करेंगे। लगा जवानी में दर्शकों के चहेते रहे राजेश खन्ना को प्रौढ़ावस्था में देखना एक अनुभव होगा। अनुभव तो हुआ, मगर दर्दनाक। एक अभिनेता, स्टार और सुपरस्टार के इस पतन पर। क्या वफा से भी घटिया फिल्म बनाई जा सकती है? फिल्म देखने के बाद बार-बार यही सवाल कौंध रहा है कि राजेश खन्ना ने इस फिल्म के लिए हां क्यों की? किसी भी फिल्म की क्रिएटिव टीम से पता चल जाता है कि वह कैसी बनेगी? अपने समय के तमाम मशहूर निर्माता-निर्देशको

एक तस्वीर:कैटरिना कैफ

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आज कैटरिना कैफ की एक तस्वीर.यह तस्वीर क्या-क्या बोलती है?आप सुन और समझ रहे होंगे.मुमकिन हो तो अपनी सुनी-समझी बात चवन्नी को भी बताएं.शुभ दर्शन,शुभ दिन.