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उन छः में शामिल तुम भी थे, ये काम तो है हमदर्दों का

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खुर्शीद अनवर जैसे अनेक दोस्‍तों के जज्‍बे को सलाम करते हुए स्‍वांग की यह प्रस्‍तुति....   बुरकी  बुरकी विच मलाया  केड़ा ऐ तू जाप जपाया  फिकरां दा तू रोणा पा के  क्यूं बस मैनू डरना सखाया  माँ नी मेरी में नई डरना  तेरे वरगा में नई बणना   डुब  डुब जाना में नई तरना  में तां अखां बंद कर तुरना  फड के जुत्ती हथ विच खड़ना  में तां अखां बंद कर तुरना डुब  डुब जाना में नई तरना  में तां अखां बंद कर तुरना  माँ नी मेरी में नई डरना  तेरे वरगा में नई बणना  ये काम नहीं है शहरों का  ना रात का ना दोपेहरों का   ना ख़ाली ख़ाली सड़को का  ना खिड़की का ना पर्दों का   कपड़े के नाप के फ़र्कों का   क्या मर्दों का नामर्दों का  उन छः में शामिल तुम भी थे  ये काम तो है हमदर्दों का   माँ नी मेरी मैं नई डरना  तेरे वरगा मैं नई बणना  माँ नी मेरी मैं नई डरना  तेरे वरगा मैं नई  बणना   बाबा ये काम तुम्हारा है  तुम जब जब मुझसे कहते थे  बेटा घर जल्दी आ जाना  किस बात से इतना डरते थे  सामान हूँ चोरी हो जाउंगी  महसूस मुझको ये होता था  हर बार तुम

पांच तस्‍वीरें : चेन्‍नई एक्‍सप्रेस

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चवन्‍नी के पाठकों और शाहरुख खान,दीपिका पादुकोण और रोहित शेट्टी के प्रशंसकों के लिए खास...

भानु अथैया का तमाचा

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-अजय ब्रह्मात्मज     पिछले दिनों खबर आई कि कॉस्ट्यूम डिजायनर भानु अथैया ने ‘गांधी’ फिल्म के लिए मिले आस्कर पुरस्कार की स्टैचू अकादेमी को लौटा दी। 86 वर्षीया भानु अथैया को नहीं लगता कि 1983 में आस्कर पुरस्कार की स्मृति चिह्न के रूप में मिला स्टैचू उनके देश में सुरक्षित रहेगा। उन्होंने इस स्टैचू के साथ ‘गांधी’ फिल्म के शोध और डिजायन से संबंधित कागजात भी अकादेमी को भेंट किए। उनका तर्क है कि भारत में जब रवींद्रनाथ टैगोर का नोबल पुरस्कार का मेडल चोरी हो सकता है तो उन्हें मिले स्टैचू की क्या कद्र होगी? उन्होंने देश में हो रही कीमती और महत्वपूर्ण कलाकृतियों की चोरियों का भी उल्लेख किया है।     भानु अथैया ने अकादेमी को स्टैचू लौटा कर देश और समाज के गाल पर झन्नाटेदार तमाचा जड़ दिया है। कहने को हमारी सभ्यता का इतिहास हजारों साल पुराना है, लेकिन हम अभी तक इतने सचेत नहीं हुए हैं कि पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं को सरक्षित रख सकें। इस देश की व्यवस्था जिस लचर तरीके से चल रही है, उससे भी बुरी स्थिति धरोहरों की संरक्षा की है। प्राकृतिक और स्वाभाविक रूप से बच रहे ऐतिहासिक धरोहरों और दस्तावेजों के प्रत

सलमान खान से मयंक शेखर की बातचीत

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आज सलमान खान का जन्‍मदिन है। उनका यह इंटरव्‍यू मयंक शेखर ने लिया ढाईघंटे तक चले इस इंटरव्‍यू में सलमान खान ने दिल खोल कर बातें की हैं। उनके जन्‍मदिन पर उनके प्रशंसकों के लिए चवन्‍नी की भेंट। माफ करें,यह इंटरव्‍यू अंगे्रजी में है और कुछ लंबा है। n a conversation that lasts about two and half hours, held over a single sitting with a live audience in 2010, actor Salman Khan takes you into the little known world of possibly the most reclusive of Indian super-star. By Mayank Shekhar A lot of people may not know or remember this but Maine Pyar Kiya was in fact not your first film, it was Biwi Ho To Aisi (1988).   A lot of people know that, in fact. And that I prayed for that film to not do well. But it did 100 days’ business, so just imagine how God doesn’t listen to me. But wasn’t that an odd choice: to debut with fourth or fifth billing in a film headlined by Rekha, Farooq Sheikh, Bindu and Kader Khan? Arrey, but you have to get work also na! I had no choice. It was

प्रभावशाली फिल्‍मी हस्तियां : विद्या बालन,आमिर खान और रणबीर कपूर

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विद्या बालन चूंकि खान हिंदी फिल्मों में कामयाबी के पर्याय माने जाते हैं,इसलिए विद्या बालन की अप्रतिम कामयाबी के मद्देनजर उन्हें ‘लेडी खान’ टायटल से नवाजा गया। तब विद्या बालन ने मजाक में ही एक सच कहा था कि अब औरों की कामयाबी विद्या बालन से आंकी जानी चाहिए।बहरहाल,‘किस्मत कनेक्शन’ के समय चौतरफा विध्वंसात्मक आलोचना और छींटाकशी के केंद्र में आई दक्षिण भारतीय मूल की इस मिडिल क्लास लडक़ी ने साड़ी पहनने के साथ लक्ष्य साधा और फिर ‘इश्किया’ से अपने कदम बढ़ा दिए।हिंदी फिल्मों की निर्बंध नायिका विद्या बालन ने उसके बाद हर नई फिल्म से खास मुकाम हासिल किया। पहले ‘डर्टी पिक्चर’ और फिर ‘कहानी’ उन्होंने इस कथित सच को झुठला दिया कि हिंदी फिल्में सिर्फ हीरो के दम पर चलती हैं और हीरोइनें तो केवल नाच-गाने के लिए होती हैं। नाच-गानों से विद्या बालन को परहेज नहीं है। वह इनके साथ ही चरित्रों की गहराई में उतरना जानती हैं। वह उन्हें विश्वसनीय और प्रभावपूर्ण बना देती हैं। अभिनय के साथ उनमें आम भारतीय महिला का लावण्य है। उन्होंने सबसे पहले नायिकाओं केलिए जरूरी ‘जीरो साइज’ का मिथक तोड़ा। अपनी जोरदार कामयाबी से उन्ह

टीवी अवतार में दिखेंगे अनिल कपूर

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-अजय ब्रह्मात्मज       अपनी पीढ़ी के अभिनेताओं में अनिल कपूर ही सक्रिय और सक्षम दिख रहे हैं। ‘ स्लमडाग मिलियनेयर ’ ने शिथिल हो रहे उनके करिअर में नई गति दे दी। वे देश से निकल कर विदेश में पहचाने गए। उन्हें वहां की फिल्म मिली और टीवी शो ...  ऐसे ही एक टीवी शो ‘ 24 ’ ने अनिल कपूर पर ऐसा असर डाला कि उन्होंने उसे भारत में पेश करने के अधिकार खरीदे। ‘ 24 ’ नामक क्राइम थ्रिलर अमेरिका का लोकप्रिय टीवी शो है। पिछले कुछ समय से इस टीवी शो की तैयारी में लगे अनिल कपूर ने अब चैनल का चुनाव कर लिया है। अगले साल के पहले उत्तरार्द्ध में इसका प्रसारण होगा। असके साथ ही अनिल कपूर का टीवी अवतार होगा। उन्होंने इस शो की खासियत , तैयारी और संभावनाओं पर झंकार से बातचीत की ... - ‘ 24 ’  का खयाल कैसे आया ? 0 मैं अमेरिका में ‘ 24 ’  टीवी शो की शूटिंग कर रहा था। तीन-चार एपीसोड करने के बाद ऐसा लगा कि इसमें कुछ बात है। अगर भारत में इसे ले जाया जाए तो दर्शक पसंद करेंगे। ऐसा लगने पर मैंने ‘ 24 ’ के पहले के भी सीजन देखे। मुझे यह भारत के लिए प्रासंगिक शो लगा। मैंने उनसे इस संबंध में बात की तो उन्होंने कहा कि