Posts

बालिकाओं पर प्रियंका चोपड़ा के विचार

यहां प्रियंका चोपड़ा ने बालिकाओं और भारतीय समाज की मानसिकता की बातें की हैंं। उनकी स्‍पष्‍टता प्रभावित करती है।

चौंकना और चौंकाना चाहती हूं-माही गिल

Image
-अजय ब्रह्मात्मज - किस मानसिक अवस्था में हैं अभी आप? 0 अभी मैं केवल घर के बारे में सोच रही हूं। पिछले कुछ समय से कोई शूटिंग नहीं की है। जहां रहती हूं, उसे सुंदर बनाने पर ध्यान दे रही हूं। यों भी फिल्मों की रिलीज के बाद मैं अक्सर गायब हो जाती हूं। जल्दी ही कहीं लंबी यात्रा पर निकलूंगी। - अभी तक के फिल्मी सफर को किसी रूप में देखती हैं? 0 मैं सही समय पर फिल्मों में आई। इन दिनों दर्शक नए प्रयोग पसंद कर रहे हैं। मैंने कुछ फिल्में कर ली हैं, लेकिन अभी बहुत करना बाकी है। अलग-अलग जोनर की फिल्में करूंगी। मैंने अभी तक ढंग से रोमांस नहीं किया है। हॉरर और एक्शन बाकी है। कॉमेडी फिल्म भी करनी है। - इस सफर में क्या सीखा और आत्मसात किया? 0 कई एक्टर और डायरेक्टर मिले। उनसे सीखा और समझा। अनुराग कश्यप में बच्चों जैसा उत्साह है। वे प्रेरित करते हैं। तिग्मांशु धूलिया खुद बहुत अच्छे अभिनेता हैं। वे आपकी तैयारी को परिमार्जित कर देते हैं। उनके सुझाव इंटरेस्टिंग होते हैं। रामगोपाल वर्मा के प्रयोगों में मजा आया। सतीश कौशिक के साथ पुराने समय और तरीके को समझा। - ‘देव डी’  में आप के आगमन ने चौंका दिया था। बाद

पत्रलेखा

सिटीलाइट्स की नायिका की भूमिका निभा रही पत्रलेखा शिलांग की हैं। सिटीलाइट्स उनकी पहली फिल्‍म है।

सिटीलाइट्स के बारे में हंसल मेहता

कमी नहीं है काम की-अभिषेक बच्‍चन

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     इन दिनों अभिषेक बच्चन फराह खान की ‘हैप्पी न्यू ईयर’ और उमेश शुक्ला की ‘आल इज वेल’ की शूटिंग कर रहे हैं। इन दोनों फिल्मों की शूटिंग समाप्ति तक कबड्डी का सीजन आ जाएगा। कबड्डी लीग की एक टीम उनके पास है। जुलाई में आरंभ होने वाले इस लीग के मैचों में पूरा समय देने की उनकी कोशिश रहेगी। इस साल के अंत में अमित शर्मा के साथ उनकी अगली फिल्म आरंभ होगी। लगातार व्यस्त अभिषेक बच्चन के बारे में कहीं खबर आई कि उनके पास फिल्में नहीं हैं, इसलिए वे कबड्डी पर ध्यान दे रहे हैं।     थोड़े नाराज स्वर में वे स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहते हैं, ‘अभी कुछ महीने पहले ही ‘धूम 3’ रिलीज हुई थी। कैसे कोई कह सकता है कि मेरी फिल्मों को रिलीज हुए काफी समय हो गए। इस साल के अंत तक ‘हैप्पी न्यू ईयर’ और ‘आल इज वेल’ भी रिलीज आ जाएगी। ये फिल्में कम हैं क्या? मुझे लगता है कि मैं कुछ पत्रकारों के निगाहों में खटकता हूं। वे निराधार फब्तियां कसते रहते हैं।’  शाहरुख खान के होम प्रोडक्शन और फराह खान के निर्देशन में बन रही ‘हैप्पी न्यू ईयर’ के बारे में पूछने पर वे कहते हैं, ‘वह फराह खान की शैली की फिल्म है। फुल

हंसल-राजकुमार की पुरस्कृत जोड़ी की ‘सिटीलाइट्स’

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     ‘शाहिद’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हंसल मेहता और राजकुमार राव की निर्देशक-अभिनेता जोड़ी एक नई फिल्म ‘सिट लाइट्स’ के साथ आ रही है। ‘सिटीलाइट्स’ महानगरों में आजीविका की तलाश में आए छोटे शहरों के विवश लोगों की प्रतिनिधि कहानी है। हंसल मेहता की ‘सिटी लाइट्स’ का नायक राजस्थान के एक छोटे से कस्बे से मुंबई आता है। भट्ट बंधुओं की कंपनी विशेष फिल्म्स के लिए बनी इस फिल्म के निर्माण में फॉक्स स्टार ने सहयोग किया है।     संयोग ही है कि हंसल मेहता और राजकुमार राव एक साथ आए। पहले इस फिल्म के निर्देशन के लिए अजय बहल का चुनाव किया गया था। निर्माता मुकेश भट्ट से तालमेल नहीं बिठा पाने के कारण अजय बहल फिल्म से अलग हो गए थे। महेश भट्ट ने खुद ‘शाहिद’ देखी थी। उन्हें लगा कि हंसल मेहता ‘सिटी लाइट्स’ की थीम के साथ न्याय कर सकेंगे। यह फिलीपिंस की फिल्म ‘मैट्रो मनीला’ की आधिकारिक रिमेक है। हिंदी में इसके किरदार स्थानीयता की वजह से बदल गए हैं। फिल्म के लिए राजकुमार राव का चुनाव पहले हो चुका था। वे फिल्म में बने रहे। हंसल मेहता के आने के बाद निर्देशक-अभिनेता की जोड़ी को जल्दी

मैं स्वयं पापा की फैन हूं - सौंदर्या आर अश्विन

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     रजनीकांत की नई फिल्म ‘कोचडयान’ की निर्देशक उनकी बेटी सौंदर्या आर अश्विन हैं। शुरू से ही सौंदर्या की अभिरुचि कॉमिक्स, ग्राफिक्स और एनीमेशन में रही। बचपन में अमर िचत्र कथा उनकी प्रिय सीरिज रही। बेटी की रुचि का ध्यान रखते हुए रजनीकांत ने सौंदर्या को प्रोत्साहित किया। नतीजा सामने है। रजनीकांत की प्रायोगिक महात्वाकांक्षी फिल्म ‘कोचडयान’ का उन्होंने निर्देशन किया। परफारमेंस कैप्चरिंग टेकनीक में बनी यह भारत की पहली फिल्म है। सौंदर्या के इस प्रयास की अमिताभ बच्चन ने भी तारीफ की है। पिछले दिनों सौंदर्या मुंबई में थीं। ‘कोचडयान’ हिंदी और भोजपुरी में भी रिलीज होगी। - ‘कोचडयान’ का अर्थ क्या है? 0 को का मतलब राजा और चडयान मतलब लंबे बाल। ‘कोचडयान’ का अर्थ हुआ लंबे बाल वालों का राजा। ‘कोचडयान’ भगवान शिव का अनुयायी है। वह शिव के विध्वंसक रूप में यकीन रखता है। फिल्म में वह तांडव नृत्य भी करता है। - फिल्म की थीम क्या है? क्या ‘कोचडयान’ मिथकीय चरित्र है? 0 नहीं, यह पूरी तरह से काल्पनिक कहानी है। यह ‘राणा’ का प्रीक्वल है। कोडयान राणा का पिता है। कोचडयान सिद्ध राजा,नर्तक और योद्धा

दरअसल : युवा निर्देशक का आत्मदंश

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     पिछले हफ्ते एक युवा निर्देशक से मुलाकात हुई। देसी तेवर के साथ आए इस निर्देशक की पहली फिल्म की दस्तक सभी ने सुनी थी। अपने शहर की राजनीति और दुविधाओं को उन्होंने फिल्म का रूप दिया था। फिल्म सराही गई थी। अनेक युवा अभिनेताओं को उस फिल्म से पहचान मिली थी। बाद में उस निर्देशक ने लोकप्रिय सितारों और घरानों के बच्चों के साथ फिल्में बनाईं। वे सब आधी-अधूरी ही रहीं। न फिल्में रिलीज हुई और न उनकी पहचान गाढ़ी हुई। फिल्में बनें और पूरी न हों यो पूरी होकर रिलीज न हों तो निर्देशक के बारे में सीधे या दबी जबान से सभी यही कहते हैं, ‘कुछ तो प्राब्लम है? कौन रिस्क ले।’     यह वक्त होता है अपनी इच्छाशक्ति बनाए रखने का। जब चारों तरफ से हौसले पस्त करने की साजिशें चल रही हों तो सुबह के इंतजार में अंधेरी रात से गुजरना पड़ता है। निर्देशक ने हिम्मत नहीं हारी। वे छोटे-मोटे प्रयास करते रहे। उन्होंने एक पुरानी चर्चित फिल्म को हल्का सा ट््िवस्ट दिया। नए अंदाज में पेश किया। वह फिल्म चली और खूब चली। इतनी चली कि उनका दफ्तर गुलजार हो गया। स्ट्रगलर और स्टार का तांता लग गया। पता चला कि हर स्टार उनक

फिल्‍म समीक्षा : क्‍या दिल्‍ली क्‍या लाहौर

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज  ओथे भी अपने, येथे भी अपने गुलजार की पंक्तियों और आवाज में आरंभ होती क्या दिल्ली क्या लाहौर विभाजन की पृष्ठभूमि रच देती है। सरहद की लकीर को स्वीकार करने के साथ कबड्डी खेलने का आह्वान करते शब्द वास्तव में विभाजन के बावजूद भाईचारे की जरूरत पर जोर देती है। हिंदी फिल्मों में विभाजन की पीड़ा,समस्या और त्रासदी पर गिनी-चुनी फिल्में ही बनी हैं। इस लिहाज से विजय राज का यह प्रयास उल्लेखनीय और सराहनीय है। फिल्म का कैनवास छोटा है। महज दो किरदारों के माध्यम से निर्देशक ने विभाजन के दंश को उकेरने की सफल कोशिश की है। रहमत अली ने जिंदगी के 32 साल दिल्ली में बिताए हैं। विभाजन के बाद वह लाहौर चला जाता है? वहां वह फौज में भर्ती हो जाता है। दूसरी तरफ समर्थ प्रताप शास्त्री 35 साल की आरंभिक जिंदगी बिताने के बाद दिल्ली चला आता है। उसे भारतीय सेना में बावर्ची की नौकरी मिल जाती है। समर्थ का ठिकाना दिल्ली का रिफ्यूजी कैंप है तो रहमत को लाहौर के मुहाजिर खाना में शरण मिली है। संयोग ऐसा बनता है कि दोनों सीमा पर एक-दूसरे से टकराते हैं। दोनों एक-दूसरे के दुश्मन हैं,क्योंकि दोन

फिल्‍म समीक्षा : पुरानी जींस

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज  हिंदी फिल्मों में प्रेम कहानी की तरह ही दोस्ती की कहानी भी बार-बार रिपीट की जाती है। इस दोस्ती के बीच बाज दफा एक लड़की भी रहती है। दो दोस्त एक ही लड़की को चाहते हैं। लड़की समय पर अपना प्रेम जाहिर नहीं कर पाती और उसकी वजह से दोस्तों में गलतफहमियां पैदा होती हैं और फिर ...पुरानी जींस ऐसी ही एक पुरानी कहानी है,जिसमें नए कलाकार लिए गए हैं। साथ में एक दोस्त के परिवार की कहानी भी जोड़ दी गई है ताकि कुछ ड्रामा क्रिएट हो। अफसोस लेखक और निर्देशक तनुश्री चटर्जी बसु इस पुरानी कहानी को नया अंदाज देने में असफल रही हैं। फिल्म के लिए कसौली की पृष्ठभूमि चुनी गई है। इस खूबसूरत शहर में पांच दोस्त हैं,जो कसौली काउब्वॉय के नाम से मशहूर हैं। सैम उनमें सबसे धनी और स्मार्ट है। सारे दोस्त उसका कहा मानते हैं। हिंदी फिल्मों में दोस्ती के आधार में पैसों की वजह से यह नायकत्व आसानी से मिल जाता है। चूंकि सिड भी कवि है, इसलिए उसे भी बराबर का महत्व मिला है। बा•ी तीन दोस्त से अधिक पिछलग्गु लगते हैं। बहरहाल शहर में नई लड़की नयनतारा आती है। दिलफेंक सैम उसे देखते ही फिदा हो जाता है, ल