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इरोटिक लव स्टोरी है खामोशियां

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- अजय ब्रह्मात्मज             करण दारा निर्देशित ‘ खामोशियां ’ विशेष फिल्म्स के बैनर तले बनी महेश भट्ट और मुकेश भट्ट की प्रस्तुति है। भट्ट बंधुओं ने स्टारविहीन फिल्मों का सफल फार्मूला विकसित कर लिया है। उनकी फिल्मों में अपेक्षाकृत नए या कम पॉपुलर स्टार रहते हैं। फिल्म के गीत-संगीत पर पूरा ध्यान दिया जाता है। उनकी फिल्मों का कोई न कोई गीत रिलीज के पहले ही चार्टबस्टर हो जाता है। फिल्म का सब्जेक्ट बोल्ड और इरोटिक रहता है। उनकी ताजा फिल्म ‘ खामोशियां ’ में इन मसालों का इस्तेमाल हुआ है। महेश भट्ट अपनी फिल्मों को लेकर कभी बचाव की मुद्रा में नहीं रहते। वे स्पष्ट कहते हैं कि दर्शक ऐसी फिल्में पसंद करता है। ट्रेड के लिए भी ऐसी फिल्मों में रिस्क कम रहता है। ज्यादातर फिल्में सफल हो जाती हैं।             ‘ खामोशियां ’ के प्रति महेश भट्ट आश्वस्त हैं। फिल्म के बारे में वे कहते हैं ,‘ नई फिल्म ‘ खामोशियां ’ में हम ‘ राज ’ का ड्रामा रिवाइव करने जा रहे हैं। यह त्रिकोणीय प्रेमकहानी है। इसमें ‘ जिस्म ’ की बिपाशा बसु जैसी हीरोइन है , जो दो मर्दों के साथ खेलती है। चुडै़ल जैसा मिजाज है उसका। इ

दरअसल : वीकएंड के बाद न फिसलें फिल्में

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- अजय ब्रह्मात्मज             पिछले दिनों गए जमाने के एक पीआरओ से बात हो रही थी। पीआरओ मतलब फिल्म के प्रचार की जिम्मेदारी संभालने वाला व्यक्ति। इन दिनों उन्हें अलग-अलग नाम दिए जाने लगे हैं। पीआरओ का मुख्य काम होता है फिल्म की पब्लिसिटी देखना। पहले टीवी नहीं था। रेडियो का भी इतना जोर नहीं था। अखबारों में फिल्मों के केवल रिव्यू आते थे। कुछ फिल्म पत्रिकाएं होती थीं। उन पत्रिकाओं में फिल्म के स्टारों के इंटरव्यू और बाकी संबंधित सामग्रियां प्रकाशित होती थीं। सभी चीजें इस तरह से नियोजित की जाती थीं कि फिल्म की रिलीज और उसके बाद भी हवा बनी रहे। दर्शक फिल्में देखने आएं। उन्होंने बताया कि फिल्म की रिलीज के बाद भी हमारा काम जारी रहता था , क्योंकि फिल्में अलग-अलग टैरिटरी में अलग-अलग समय पर सिल्वर और गोल्डन जुबली मनाया करती थीं। वे आजकल के पीआरओ से ईष्र्या कर रहे थे कि उनका काम फिल्म की रिलीज के दो -चार हफ्ते पहले से आरंभ होता है और रिलीज के वीकएंड के साथ समाप्त हो जाता है। वजह यही है कि शायद ही कोई फिल्म वीकएंड के बाद थिएटर में सरवाइव करती है। यहां तक कि 100 करोड़ की कमाई की फिल्में

आज परिवार के साथ रहेंगी विद्या बालन

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- अजय ब्रह्मात्मज             विद्या बालन इन दिनों मोहित सूरी निर्देशित ‘ हमारी अधूरी कहानी ’ की शूटिंग कर रही हैं। मुंबई में शूटिंग करने से घर लौट आने की सुविधा मिलती है। वैसे नाइट शिफ्ट की अपनी दिक्कतें होती हैं। विद्या मानती हैं कि इस फिल्म के लिए चुने जाने से वे बेहद खुश हैं। इच्छा थी कि कभी महेश भट्ट के साथ काम करने का मौका मिले। वे डायरेक्शन से रिटायर हो चुके हैं , इसलिए वह इच्छा तो पूरी नहीं हो सकती। लिहाजा विद्या बालन ने उनकी लिखी फिल्म में काम करने से संतोष किया। विद्या मानती हैं कि भट्ट साहब खुले स्वभाव के व्यक्ति हैं। द़निया के तमाम विषयों पर उनका अलग नजरिया रहता है। उनके साथ बैठने और बातें करने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।             ‘ हमारी अधूरी कहानी ’ महेश भट्ट के माता-पिता करी प्रेमकहानी से प्रेरित है। महेश भट्ट ने अपनी आत्कथात्मक फिल्मों में उनकी जिंदगी की झलकियां दिखाई हैं। इस बार उस प्रेमकहानी का संदर्भ रहेगा , जो अधूरी सी रह गई। फिल्म के बारे में अभी कुछ भी जाहिर करने से संकोच करती हैं विद्या। वह कहती हैं ,‘ अभी तो हम शूटिंग ही कर रहे हैं। फिल्म रि

आप की पसंद की 5 पोस्‍ट

2014 में मैंने चवन्‍नी चैप पर आप के लिए 305 पोस्‍ट किए। 2007 से मैं निरंतर लिख रहा हूं। इस बीच कई पाठक कलाकार,पत्रकार और फिल्‍मकार बने। मुझे खुशी होती है,जब यह पता चलता है कि उनके विकास में चवन्‍नी की भूमिका रही है। मैं आगे भी लिखता रहूंगा। इसे स्‍वावलंबी बनाने की दिशा में सोच रहा हूं। आप में जानकार मुझे सुझाव दे सकते हैं। अपेक्षित मदद कर सकते हैं। साथ ही यह भी बताएं कि चवन्‍नी की खनक कैसेट बढ़ाई जाए। फिलहाल आग्रह है कि पिछले साल की पोस्‍ट में से अपनी पसंद की पांच पोस्‍ट का उल्‍लेख करें। पढ़ने की सुविधा के लिए आर्काइव में जा सकते हैं। दिसंबर से जनवरी तक की यह सूची है।     ▼  December (25)     रॉन्ग नंबर के लोग विरोध कर रहे हैं : आमिर खान     पीके फिल्‍म की धुरी है यह गीत और संवाद     बाक्स आफिस सालाना रिपोर्ट     फिल्‍म समीक्षा : अग्‍ली     दरअसल : 2014 की मेरी पसंद की 12 फिल्में     हिंदी सिनेमा से भी जुड़े थे के बालाचंदर     अग्‍ली के लिए लिखे गौरव सोलंकी के गीत     बस अच्छी फिल्में करनी है - अनुष्का शर्मा     दरअसल : राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी     इंपैक्‍ट 2

रॉन्ग नंबर के लोग विरोध कर रहे हैं : आमिर खान

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-स्मिता श्रीवास्‍तव  विवादों के बीच राजकुमार हिरानी की 'पीके' 200 करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी है। फिल्म पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया जा रहा है। फिल्म को लेकर उठने वाले विवाद के पीछे इसमें दिखाए गए कुछ दृश्य हैं। दरअसल, 'पीके' में धर्म के नाम पर होने वाली कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया गया है। भगवान और धर्म-कर्म के नाम पर चल रहे धार्मिक उद्योगों पर सवालिया निशान लगाया गया है। फिल्म चमत्कार दिखाने वाले संतों को भी कठघरे में खड़ा करती है। हवा से सोना पैदा करने वाले बाबा चंदा क्यों लेते हैं या देश की गरीबी क्यों नहीं दूर करते? धर्म के नाम पर खौफ पैदा करने वालों पर भी नकेल कसी गई है। फिल्म में स्पष्ट संदेश है कि जब ईश्वर ने तर्क-वितर्क की शक्ति दी है तो अतार्किक बातों पर हम आंखें मूंद कर विश्वास क्यों करते हैं। इन सबके बीच सवाल उठ रहा है कि सिर्फ हिंदू धर्म पर ही चोट क्यों की गई। बाकी धर्मालंबियों पर ऊंगली क्यों नहीं उठाई? पूछने पर आमिर खान कहते हैं, 'फिल्म मानवता का संदेश देती है। दूसरा, अंधविश्वास के खिलाफ अलख जग

पीके फिल्‍म की धुरी है यह गीत और संवाद

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पीके के पर चल रहे इस विवाद के संदर्भ में कि फिल्‍म में केवल हिंदू धर्म और साधु-संतों पर निशाना साध गया है...  पेश है फिल्‍म का एक गीत और वह महत्‍वपूर्ण संवाद जो फिल्‍म की धुरी है....112वें मिनट से 116 वें मिनट तक आप फिल्‍म में इन्‍हें सुन सकते हैं।   Bhagwan Hai Kahan Re Tu Lyrics Hai suna ye poori dharti tu chalata hai Meri bhi sun le araj mujhe ghar bulata hai Bhagwan hai kahan re tu Hey Khuda hai kahan re tu Hai suna tu bhatke mann ko raah dikhata hai Main bhi khoya hun mujhe ghar bulata hai Bhagwan hai kahan re tu Hey Khuda hai kahan re tu Aa... Main pooja karun ya namajein padhun Ardaasein karun din rain Na tu Mandir mile, na tu Girje mile Tujhe dhoondein thake mere nain Tujhe dhoondein thake mere nain Tujhe dhoondein thake mere nain Jo bhi rasmein hain wo saari main nibhata hoon In karodon ki tarah main sar jhukata hoon Bhagwan hai kahan re tu Aye Khuda hai kahan re tu Tere naam kayi, tere chehre kayi Tujhe paane ki raahein kayi Har raah chalaa

बाक्स आफिस सालाना रिपोर्ट

-अजय ब्रह्मात्मज      साल खत्म होने को है। अनुराग कश्यप की ‘अग्ली’ रिलीज हो चुकी है। पिछले हफ्ते राजकुमार हिरानी की ‘पीके’ रिलीज हुई। इस फिल्म ने आशा के अनुरूप कलेक्शन किया। हालांकि पहले दिन 26 करोड़ से कुछ अधिक के कलेक्शन से ऐसा लगा था कि दर्शकों ने फिल्म को पूरी तरह पसंद नहीं किया। टिकटों की ऊंची दर का मामला भी सामने आया। फिर भी ‘पीके’ ने शनिवार और रविवार को कामयाब फिल्मों की बढ़त दिखाई। शनिवार को फिल्म का कलेक्शन बढ़ कर 30 के लगभग हो गया और रविवार को तो ‘पीके’ ने 38 करोड़ का आंकड़ा छू लिया। फिल्मों के कलेक्शन में वीकएंड के तीन दिनों में ऐसी बढ़त दिखे तो माना जाता है कि वह फिल्म हिट होगी। ट्रेड पंडित कह रहे हैं कि ‘पीके’ हिट फिल्म है। इसने पलिे हफ्ते में 182 करोड1 का कलेक्‍शन कर नया रिकार्ड बना लिया है।अब देखना यह है कि वह कितनी बड़ी हिट होती है।     2014 बाक्स आफिस के हिसाब से बहुत संतोषजनक नहीं रहा है। 2012 की 24 और 2013 की 25 की तुलना में 2014 में केवल 19 फिल्में ही कामयाब फिल्मों की श्रेणी में आ सकीं। इस साल केवल 8 फिल्में ही 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर सकीं। बड़ी फिल्मों की

फिल्‍म समीक्षा : अग्‍ली

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- अजय ब्रह्मात्‍मज  अग्ली अग्ली है सब कुछ अग्ली अग्ली हैं सपने अग्ली अग्ली हैं अपने अग्ली अग्ली हैं रिश्ते अग्ली अग्ली हैं किस्तें अग्ली अग्ली है दुनिया अब तो बेबी सबके संग हम खेल घिनौना खेलें मौका मिले तो अपनों की लाश का टेंडर ले लें बेबी लाश का टेंडर ले लें क्योंकि अग्ली अग्ली है सब कुछ।     अनुराग कश्यप की फिल्म 'अग्ली' के इस शीर्षक गीत को चैतन्य की भूमिका निभा रहे एक्टर विनीत कुमार सिंह ने लिखा है। फिल्म निर्माण और अपने किरदार को जीने की प्रक्रिया में कई बार कलाकार फिल्म के सार से प्रभावित और डिस्टर्ब होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही भूमिका निभाने की उधेड़बुन को यों प्रकट कर पाते हैं। दरअसल, इस गीत के बोल में अनुराग कश्यप की फिल्म का सार है। फिल्म के थीम को गीतकार गौरव सोलंकी ने भी अपने गीतों में सटीक अभिव्यक्ति दी है। वे लिखते हैं, जिसकी चादर हम से छोटी, उसकी चादर छीन ली, जिस भी छत पर चढ़ गए हम, उसकी सीढ़ी तोड़ दी...या फिल्म के अंतिम भाव विह्वल दृश्य में बेटी के मासूम सवालों में उनके शब्द संगदिल दर्शकों के सीने में सूइयों की तरह चुभते हैं। इन दि

दरअसल : 2014 की मेरी पसंद की 12 फिल्में

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-अजय ब्रह्मात्मज 2014 समाप्त हो गया। कल आखिरी शुक्रवार होगा। अनुराग कश्यप की ‘अग्ली’ रिलीज होगी। पहले तय था कि उनकी ‘बांबे वेलवेट’ क्रिसमस के मौके पर रिलीज होगी। पोस्ट प्रोडक्शन में लग रहे समय की वजह से अब यह फिल्म मई में रिलीज होगी। पिछले हफ्ते राजकुमार हिरानी की ‘पीके’ रिलीज होने के साथ प्रशंसित हुई। गौर करें तो 2014 में भी फिल्मों का हाल कमोबेश 2013 रके समान ही रहा। च्यादातर बड़े और लोकप्रिय स्टारों ने मसाला एंटरटेनर फिल्में ही कीें। अपनी बढ़त और पोजीशन बनाए रखने की फिक्र में पॉपुलर स्टार हमेशा की तरह लकीर के फकीर बने रहे। स्थापित डायरेक्टरों का भी यही हाल रहा। उन्होंने भी लकीर छोडऩे का साहस नहीं किया। अच्छी बात है कि फिर भी कुछ बेहतरीन और उल्लेखनीय फिल्में 2014 में प्रदर्शित हुईं। उनमें से कुछ को कामयाबी और तारीफ दोनों मिली और कुछ केवल सराही गईं। याद करें तो हम समय गुजरने के साथ यह भूल जाते हैं कि रिलीज के समय किस फिल्म ने कितना बिजनेस किया था। हमें बेहतरीन फिल्में ही याद रह जाती हैं। 2014 की रिलीज फिल्मों में से अपनी पसंद  12 फिल्में चुनना अधिक मुश्किल काम नहीं रहा। 1. हाईवे

हिंदी सिनेमा से भी जुड़े थे के बालाचंदर

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अजय ब्रह्मात्मज ‘एक दूजे के लिए’ के निर्देशक के बालचंदर का कल चेन्नई में निधन हो गया। मृत्यु के समय वे 84 साल के थे। 9 जुलाई 1930 को उनका जन्म हुआ था। हिंदी सिनेमा के दर्शक उन्हें मुख्य रूप से ‘एक दूजे के लिए’ के निर्देशक के तौर पर जानते हैं। वे यह भी जानते हैं कि तमिल सिनेमा के वर्तमान सुपरस्टार रजनीकांत और कमल हासन का करियर के बालाचंदर ने ही संवारा था। उन्होंने अन्य कई स्टारों को पहला मौका दिया। के बालाचंदर मूलत: रंगकर्मी और लेखक थे। उन्होंने आरंभ में नाटक लिखे और उनका मंचन किया। रागिनी रिक्रिएशन उनकी रंग संस्था थी। हिंदी में ‘एक दूजे के लिए’ के निर्देशन से पहले उन्होंने ‘आईना’ का निर्देशन किया था और अनेक फिल्मों के लेखन से जुड़े थे। सबसे पहले फणि मजुमदार ने उनके नाटक ‘मेजर चंद्रकांत’ पर आधारित ‘ऊंचे लोग’(1965) का निर्देशन किया था। ‘ऊंचे लोग’ सेना के रिटायर मेजर चंद्रकांत की कहानी है। अंधे मेजर चंद्रकांत रिटायर होने के बाद अपने तीनों बेटे की शादी करते हैं। उसके बाद उनकी जिंदगी में भारी तब्दीली आती है। फिर 1968 में एसएस वासन ने ने के बालचंदर की तमिल फि