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फिल्‍म समीक्षा : दे दना दन

-अजय ब्रह्मात्‍मज प्रियदर्शन अपनी फिल्मों का निर्देशन नहीं करते। वे फिल्मांकन करते हैं। ऐसा लगता है कि वे अपने एक्टरों को स्क्रिप्ट समझाने के बाद छोड़ देते हैं। कैमरा ऑन होने के बाद एक्टर अपने हिसाब से दिए गए किरदारों को निभाने की कोशिश करते हैं। उनकी फिल्मों के अंत में जो कंफ्यूजन रहता है, उसमें सीन की बागडोर एक्टरों के हाथों में ही रहती है। अन्यथा दे दना दन के क्लाइमेक्स सीन को कैसे निर्देशित किया जा सकता है? दे दना दन प्रियदर्शन की अन्य कामेडी फिल्मों के ही समान है। शिल्प, प्रस्तुति और निर्वाह में भिन्नता नहीं के बराबर है। हां, इस बार किरदारों की संख्या बढ़ गई है। फिल्म के हीरो अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी हैं। उनकी हीरोइनें कट्रीना कैफ और समीरा रेड्डी है। इन चारों के अलावा लगभग दो दर्जन कैरेक्टर आर्टिस्ट हैं। यह एक तरह से कैरेक्टर आर्टिस्टों की फिल्म है। वे कंफ्यूजन बढ़ाते हैं और उस कंफ्यूजन में खुद उलझते जाते हैं। फिल्म नितिन बंकर और राम मिश्रा की गरीबी, फटेहाली और गधा मजदूरी से शुरू होती है। दोनों अमीर होने की बचकानी कोशिश में एक होटल में ठहरते हैं, जहां पहले से ही कुछ ल

मांगी थी एक गाड़ी,मिली छह गाडियां-अक्षय कुमार

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-अजय ब्रह्मात्मज अक्षय कुमार लगातार फिल्मों की शूटिंग कर रहे हैं। समय मिलते ही बीच-बीच में मीडिया से भी बातें कर रहे हैं। उनकी आने वाली नई फिल्म है ब्लू, इसलिए उन्होंने सारी बातचीत इसी पर केंद्रित रखी। ब्लू के प्रोमोशन से ऐसा लग रहा है कि यह अंडर वाटर सिक्वेंस वाली ऐक्शन फिल्म है। क्या यह सच है? ब्लू एक एडवेंचर फिल्म है। लोगों ने अंग्रेजी में इंडियाना जोंस, बॉण्ड की फिल्में और दूसरी एडवेंचर फिल्में देखी होंगी। ऐसी फिल्मों में ऐक्शन और एडवेंचर होता है। कहानी का बस एकपतला धागा रहता है। इस फिल्म की बात करूं, तो मुझे मालूम है कि समुद्र के अंदर कहीं खजाना छिपा हुआ है। उस खजाने की जानकारी सिर्फ संजय दत्त के पास है। मुझे वह खजाना चाहिए। खजाना मुझे मिलता है कि नहीं, यह अंत में पता चलेगा। खजाने की खोज में आई मुश्किलों पर ही यह एक घंटे पचास मिनट की फिल्म है। एडवेंचर फिल्म में बाकी मसाले तो होंगे? इसमें गाने जरूर हैं, लेकिन इमोशनल ड्रामा नहीं है। इस फिल्म में लोगों को अंडर वाटर के अनोखे विजुअल्स देखने को मिलेंगे। दर्शक फिल्म में एक नई दुनिया का दर्शन करेंगे। किसी भारतीय फिल्म में उन्होंने ऐसा एडव

दरअसल:विदेशी लोकेशन का आकर्षण

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-अजय ब्रह्मात्मज आए दिन हिंदी फिल्मों के जरिए हम किसी न किसी देश की यात्रा करते हैं। अमेरिका और इंग्लैंड के शहर और ऐतिहासिक स्थापत्य की झलक हम वर्षो से फिल्मों में देखते आ रहे हैं। एक दौर ऐसा आया था, जब किसी न किसी बहाने मुख्य किरदार यानी नायक-नायिका विदेश पहुंच जाते थे और फिर हिंदी के गरीब दर्शक अपने गांव-कस्बे और शहरों के सिनेमाघरों में उन विदेशी शहरों को देखकर खुश होते थे। एक टिकट में दो फायदे हो जाते थे, यानी मनोरंजन के साथ पर्यटन भी होता था। गौर करें, तो उस दौर में विदेशी लोकेशनों को फिल्मकार कहानी में अच्छी तरह पिरोकर पेश करते थे। फिर एक दौर ऐसा आया कि कहानी देश में चलती रहती थी और गाने आते ही नायक-नायिका विदेशी लोकेशनों में पहुंच जाते थे। यश चोपड़ा की फिल्मों में सुंदर और रोमांटिक तरीके से स्विट्जरलैंड की वादियां दिखती रहीं। उसके बाद करण जौहर जैसे निर्देशक अपनी फिल्म को लेकर विदेश चले गए। कभी खुशी कभी गम में उन्होंने जो विदेश प्रवास किया, वह अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। उनके बैनर की फिल्में अभी तक भारत नहीं लौटी हैं। उनकी अगली फिल्म माई नेम इज खान भी अमेरिका में शूट हुई है। पिछले

दरअसल:फिसलन भी है कामयाबी

६०० वीं पोस्ट...आप सभी को धन्यवाद। -अजय ब्रह्मात्मज स्कूल के दिनों में कहीं पढ़ा था, मैं नियम पर चलता हूं, इसलिए रोज नियम बदलता हूं। जिस दिन जो करने का मन हो, वैसा ही नियम बना लो। कहने के लिए हो गया कि नियमनिष्ठ हैं और मन मर्जी भी पूरी हो गई। अपने फिल्म सितारों के लिए कुछ वैसी ही बात कही जा सकती है। कभी कोई फिल्म फ्लॉप होती है, तो सितारे कहते हैं, फिल्म नहीं चल पाई, लेकिन मेरे काम की सराहना हुई। फिर फिल्म बुरी होने के बावजूद हिट हो जाए, तो सितारों के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है और उनका बयान होता है, समीक्षक कुछ भी लिखें, दर्शकों ने फिल्म पसंद की है न? हिट और फ्लॉप दोनों ही स्थितियों में खुद को संतुष्ट करते हुए दर्शकों को मुगालते में रखने की यह कोशिश स्टारडम का हिस्सा हो गया है। सितारे अपने इस अंतर्विरोध को समझते हैं, लेकिन यह स्वीकार नहीं कर पाते कि उनसे भूल हुई है। अक्षय कुमार आज कल ऐसे ही अंतद्र्वद्व और संशय से गुजर रहे हैं। चांदनी चौक टू चाइना और 8-10 तस्वीर के फ्लॉप होने के बाद उनकी कमबख्त इश्क हिट हुई है। अगर तीनों फिल्मों की तुलना करें, तो किसी को भी श्रेष्ठ फिल्म की श्रेणी में

फ़िल्म समीक्षा:कमबख्त इश्क

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ऊंची दुकान, फीका पकवान -अजय ब्रह्मात्मज कोई शक नहीं कि निर्माता साजिद नाडियाडवाला पैसे खर्च करते हैं। वह अपने शौक और जुनून के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। कमबख्त इश्क की शूटिंग हालीवुड के स्टूडियो में करनी हो या फिल्म में हालीवुड के एक्टर रखने हों, वह रत्ती भर भी नहीं हिचकते। अब यह अलग बात है कि उनके लेखक और निर्देशक हिंदी फिल्म के चालू फार्मूले में हालीवुड-बालीवुड की संगति नहीं बिठा पाते। यही वजह है कि फिल्म सारी भव्यता, नवीनता और खर्च के बावजूद चूं-चूं का मुरब्बा साबित होती है। सब्बीर खान के निर्देशन में बनी कमबख्त इश्क ऊंची दुकान, फीका पकवान का ताजा उदाहरण है। फिल्म में अक्षय कुमार और करीना कपूर की जोड़ी है। दोनों हाट हैं और दोनों के चहेते प्रशंसकों की कमी नहीं है। प्रशंसक सिनेमाघरों में आते हैं और अपने पसंदीदा सितारों को कमजोर और अनगढ़ किरदारों में देख कर निराश लौटते हैं तो अपनी शर्मिदगी में किसी और को फिल्म के बारे में कुछ नहीं बताते। नतीजतन ऐसी फिल्में आरंभिक उत्साह तो जगाती हैं, लेकिन उसे जारी नहीं रख पातीं। कमबख्त इश्क अक्षय कुमार और करीना कपूर की पुरानी फिल्म टशन से कंपीटिशन कर

फ़िल्म समीक्षा:8x10 तस्वीर

भेद खुलते ही सस्पेंस फिस्स नागेश कुकुनूर ने कुछ अलग और बड़ी फिल्म बनाने की कोशिश में अक्षय कुमार के साथ आयशा टाकिया को जोड़ा और एक नई विधा में हाथ आजमाने की कोशिश की। इस कोशिश में वे औंधे मुंह तो नहीं गिरे, लेकिन उनकी ताजा पेशकश पिछली फिल्मों की तुलना में कमजोर रही। कहा जा सकता है कि कमर्शियल कोशिश में वे कामयाब होते नहीं दिखते। नागेश वैसे निर्देशकों के लिए केस स्टडी हो सकते हैं, जो अपनी नवीनता से चौंकाते हैं। उम्मीदें जगाते हैं, लेकिन आगे चलकर खुद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के कोल्हू में जुतने को तैयार हो जाते हैं। अपनी पहली फिल्म हैदराबाद ब्लूज से उन्होंने प्रभावित किया था। डोर तक वह संभले दिखते हैं। उसके बाद से उनका भटकाव साफ नजर आ रहा है। 8/10 तस्वीर में नागेश ने सुपर नेचुरल शक्ति, सस्पेंस और एक्शन का घालमेल तैयार किया है। जय पुरी की अपनी पिता से नहीं निभती। वह उनके बिजनेश से खुश नहीं है। पिता-पुत्र के बीच सुलह होने के पहले ही पिता की मौत हो जाती है। जय को शक है कि उसके पिता की हत्या की गई है। जय अपनी सुपर नेचुरल शक्ति से हत्या का सुराग खोजता है। उसके पास अद्भुत शक्ति है। वह तस्वीर के

फ़िल्म समीक्षा:चांदनी चौक टू चायना

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चूं चूं का मुरब्बा निकली 'चांदनी चौक टू चायना' निखिल आडवाणी, रोहन सिप्पी और उनकी टीम को अंदाजा लग गया होगा कि 'चांदनी चौक टू चायना' का प्रचार भारत में गैरजरूरी है। यहां इस फिल्म को पसंद कर पाना मुश्किल होगा, लिहाजा वे अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा में अपनी फिल्म का प्रचार और प्रीमियर करते रहे। मालूम नहीं, उनकी मेहनत क्या रंग ले आयी? अक्षय कुमार का आकर्षण और दीपिका पादुकोण का सौंदर्य भी इस फिल्म से नहीं बांध सका। फिल्म की कहानी लचर थी और पटकथा इतनी ढीली कि गानों से उन्हें जोड़ा जाता रहा। 'चांदनी चौक टू चायना' में न तो चांदनी चौक की पुरजोश सरगर्मी दिखी और न चायना की चहल-पहल। साल के पहले बड़े तोहफे के रूप में आई 'चांदनी चौक टू चायना' चूं चूं का मुरब्बा निकली। यह स्थापित होता है कि सिद्धू चांदनी चौक का है,लेकिन वह चायना में कहां और किस शहर या देहात में है ... यह लेखक और निर्देशक के जहन में रहा होगा। पर्दे पर हमें कभी शांगहाए दिखता है, तो कभी पेइचिंग की फॉरबिडेन सिटी तो कभी नकली चीनी गांव ... इस गांव में बांस की खपचियों से बने मकान हैं। मकान में दैनिक उपयोग के ऐ

ऐक्शन-कॉमेडी दोनों हैं चांदनी चौक टू चाइना में : रोहन सिप्पी

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कई फिल्में बना चुके रोहन सिप्पी की नई फिल्म है चांदनी चौक टू चाइना। अक्षय कुमार और दीपिका पादुकोण अभिनीत इस फिल्म को लेकर उनसे बातचीत हुई। प्रस्तुत हैं उसके अंश.. फिल्म का आइडिया कैसे आया? श्रीधर राघवन ने यह फिल्म लिखी है। कहानी अक्षय कुमार को पसंद आ गई। दोनों उस पर काम कर रहे थे। पहले इसे श्रीराम राघवन डायरेक्ट करने वाले थे, लेकिन वे किसी और प्रोजेक्ट में व्यस्त हो गए। इस बीच सलाम-ए-इश्क रिलीज हुई। मेरी निखिल से बात हुई। उन्हें भी फिल्म की स्क्रिप्ट पसंद आई। इस तरह फिल्म शुरू हो गई। अक्षय की निजी जिंदगी और फिल्म की कहानी में समानता है? श्रीधर ने उनके साथ खाकी में काम किया था। उस फिल्म के समय ही इसका आइडिया आया था। फिल्म और उनकी निजी जिंदगी में कुछ बातें एक जैसी जरूर हैं, लेकिन दोनों में काफी अंतर भी है। सबसे बड़ा अंतर यही है कि फिल्म का अंत है, लेकिन अक्षय का करियर तो लगातार आगे बढ़ता जा रहा है! फिल्म में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिनमें उनकी जिंदगी की झलक मिल सकती है। हम सभी जानते हैं कि वे इस फिल्म के पहले चीन नहीं गए थे। हमारी कहानी का एक हिस्सा चीन में ही है। यह एक आम लड़के की कहानी है, ज

कैफियत कैटरीना कैफ की

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रफ्ता-रफ्ता ये हुआ कैफ-ए-तसव्वुर का असर, दिल के आईने में तस्वीर उतर आई है.. किसी शायर की ये पंक्तियां आज ही हॉट अभिनेत्री कैटरीना कैफ की तारीफ में जरूर नहीं लिखी गई हैं, लेकिन उनकी कैफियत का नजारा इससे जरूर मिल जाता है। कैफ का सीधा अर्थ है आनंद और नशा। कैटरीना में ये दोनों ही खूबियां हैं। अब यदि यह कहें कि वे दर्शकों को मदहोश करने के साथ ही आनंदित भी करती हैं, तो शायद गलत नहीं होगा। यही वजह है कि कश्मीरी पिता और ब्रितानी मां की यह लाडली महज अपनी खूबसूरती से हिंदी फिल्मों के करोड़ों दर्शकों के दिलों पर राज कर रही हैं। अगर अदाकारी और टैलेंट के तराजू पर कैटरीना को तौलें, तो उनका वजन सिफर से ज्यादा नहीं होगा! फिर क्या वजह है कि वे करोड़ों दर्शकों के दिलों की मल्लिका बनी हुई हैं? कुछ बात तो जरूर होगी कि उनका नशा दर्शकों और निर्देशकों दोनों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। हमने कैटरीना कैफ के साथ काम कर चुके निर्देशकों और कलाकारों से इस बारे में बात की। उनकी फिल्मों की रिलीज के दौरान हुई मुलाकातों में जानना चाहा कि वे क्यों अपनी फिल्मों में कैटरीना को रखते हैं और उनकी कामयाबी का राज क्या है? कैटरी

मन में न हो खोट तो क्यों आँख चुराएँ?

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टीवी शो बिग बॉस के अंतिम दिन मंच पर शिल्पा शेट्टी के साथ अक्षय कुमार के आने की खबर से मीडिया में उत्सुकता बनी हुई थी। लोग कयास लगा रहे थे कि महज औपचारिकता निभाई जाएगी और दोनों का व्यवहार एक-दूसरे के प्रति ठंडा रहेगा। यहां अक्षय और शिल्पा दोनों की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने शो के विजेता को जानने की जिज्ञासा बनाए रखी। अक्षय को मंच पर बुलाते समय शिल्पा की आवाज एक बार लरज गई थी। हो सकता है कि यह उस इवेंट का दबाव हो या संभव है कि पुरानी यादों से गला रुंध गया हो! मौके की नजाकत को भांपते हुए शिल्पा ने फौरन खुद को और कार्यक्रम को संभाला। बाद में दोनों ने चुहलबाजी भी की और इवेंट को रसदार बना दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था कि अंतरंग संबंध जी चुके दो व्यक्ति किसी सार्वजनिक मंच पर साथ आए हों और उन्होंने परस्पर बेरुखी नहीं दिखाई हो! औपचारिकताओं के अधीन दुश्मनों को भी हाथ मिलाते और गले लगाते हम देखते रहते हैं। ग्लैमर व‌र्ल्ड में संबंध बनते-बिगड़ते रहते हैं। कहा तो यही जाता है कि यहां यादों की गांठ नहीं बनती, लेकिन गौर करें, तो संबंध टूटने के बाद फिल्म स्टार पूर्व प्रेमियों, प्रेमिकाओं, पत्नियों और

फ़िल्म समीक्षा:सिंह इज किंग

नए ट्रेंड की कॉमेडी -अजय ब्रह्मात्मज खून खौलने का मुहावरा आपने जरूर सुना होगा, देखा नहीं होगा। सिंह इज किंग में आप इसे देख सकते हैं। एक मुर्गी को पकड़ने के पीछे पूरे गांव को नष्ट-ध्वस्त करने का दृश्य भी है सिंह इज किंग में है। आस्ट्रेलिया जाने वाले यात्री गलत बोर्डिग पास लेकर इजिप्ट पहुंच सकते हैं और वहां के एयरपोर्ट अधिकारी उन यात्रियों को शहर घूमने के लिए एक दिन का वीसा भी दे देते हैं। सिंह इज किंग में यह मुमकिन है। हैल्मेट की तरह घड़े को पहनकर पुजारी बगैर दूल्हा-दुल्हन को देखे शादी के मंत्रोच्चार करे और किसी और की शादी करा दे....यह सिंह इज किंग जैसी फिल्म में ही संभव है। सभी कह रहे हैं कि बुद्धि को ताक पर रख दें और सिंह इज किंग के नानसेंस ड्रामा का आनंद लें। लॉजिक भूल जाएं और अक्षय कुमार एवं कैटरीना कैफ के मैजिक पर ध्यान दें। भूतनी के गीत पर झूमें और हैप्पी सिंह एवं लकी सिंह के कारनामों पर हंसे। दाढ़ी बढ़ाए और पगड़ी बांधे विभिन्न साइज और शक्लों के सिंहों को पंजाब के साहनिवाल से आस्ट्रेलिया तक में देखें और गौर करें कि दिल का नेक हैप्पी सिंह सभी का हृदय परिवर्तन करत

कैटरिना और अक्षय की नजदीकियां

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यह तस्वीर अक्षय कुमार और कैटरिना कैफ की है.अक्षय कुमार दिल्ली की टीम की हौसलाआफजाई के लिए हमेशा पहुँच जाते हैं.कैटरिना कैफ विजय माल्या की टीम के साथ हैं.पिछले दिनों दोनों एक साथ मैच देख रहे थे.जाहिर सी बात है की दोनों अपनी-अपनी टीम के लिए ही वहाँ रहे होंगे.लेकिन लोगों कि निगाह का क्या कहेंगे? उन्होंने ने कुछ और ही देखा. मैच तो सारे लोग देख रहे थे,लेकिन घरों में टीवी पर मैच देख रहे दर्शक अक्षय और कैटरिना की नजदीकियां देख रहे थे। चवन्नी की रूचि इन बातों में नहीं रहती कि कौन किस के करीब आया या कौन किस से दूर गया.लेकिन अक्षय-कैटरिना का मामला थोड़ा अलग है.चवन्नी ने शोभा डे के स्तम्भ में पढ़ा.उन्होंने साफ लिखा है कि सलमान को समझ जाना चाहिए कि कैटरिना क्या संकेत दे रही हैं.शोभा मानती हैं कि दोनों की शारीरिक मुद्राओं से ऐसा नहीं लग रहा था कि वे केवल सहयोगी कलाकार हैं.शोभा डे के इस निरीक्षण पर गौर करने की जरूरत हैं.क्योंकि शोभा डे बोलती हैं तो हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री सुनती है। सच क्या है?यह तो अक्षय या कैटरिना ही बता सकते हैं...हाँ,कुछ समय तक अब दोनों चर्चा में रहेंगे और इसी बहने उनकी फ़िल्म स