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दिमाग का एक्‍शन है ‘दृश्‍यम’ -अजय देवगन

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दिमाग का एक्‍शन है ‘ दृश्‍यम ’ में - अजय देवगन - अजय ब्रह्मात्‍मज अजय देवगन ने हालिया इमेज से अलग जाकर ‘ दृश्‍यम ’ की है। इस फिल्‍म में वे सामान्‍य नागरिक विजय सालस्‍कर हैं। विजय अपने परिवार को बचाने के लिए सारी हदें पार करता है। पिछले दिनों मुंबई के महबूब स्‍टूडियो में उनसे मुलाकात हुई। वहां वे एक बनियान कंपनी के लिए फोटो शूट कर रहे थे। - आप भी विज्ञापनों और एंडोर्समेंट में दिखने लगे हैं ? 0 मैं ज्‍यादा विज्ञापन नहीं करता। इस कंपनी के प्रोडक्‍ट पर भरोसा हुआ तो हां कह दिया। यह मेरी पर्सनैलिटी के अनुकूल है। - ‘ दृश्‍यम ’ के लिए हां करने की वजह क्‍या रही ? ‘ सिंघम ’ से आप की एक्‍शन हीरो की इमेज मजबूत हो गई है। क्‍या यह उस इमेज से निकलने की कोशिश है ? 0 हम हमेशा एक जैसी फिल्‍में नहीं कर सकते। दर्शकों के पहले क्रिटिक उंगली उठाने लगते हैं। यह फिल्‍म मुझे अच्‍छी लगी। मैं ओरिजिनल फिल्‍म को क्रेडिट देना चाहूंगा। कमल हासन भी इसकी तमिल रीमेक बना रहे हैं। मैंने उनसे बात की थी। पूछा था कि उन्‍होंने क्‍या तब्‍दीली की है ? उन्‍होंने किसी भी चेंज से मना किया। उनका कहना था क

फिल्‍म समीक्षा : एक्‍शन जैक्‍सन

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  सही कहते हैं। अगर बुरी प्रवृत्ति या आदत पर आरंभ में ही रोक न लगाई जाए तो वह आगे चल कर नासूर बन जाती है। प्रभु देवा ने फिल्म 'वांटेड' से हिंदी फिल्मों में कदम रखा। तभी टोक देना चाहिए था। वे रीमेक बना रहे हों या कथित ऑरिजिनल कहानी चुन रहे हों। उनकी फिल्में एक निश्चित फॉर्मूले पर ही चलती हैं। उनकी फिल्मों में एक्शन, वायलेंस, डांस, रोमांस... इन चार तत्वों का अनुपात और क्रम बदलता रहता है। कथानक पटकथा और संवाद जैसी चीजें तो भूल ही जाएं। प्रभु देवा शब्दों से ज्यादा दृश्यों में यकीन करते हैं। उनकी फिल्मों में स्क्रिप्ट राइटर से बड़ा योगदान कैमरामैन, साउंड रिकॉर्डिस्ट, कोरियोग्राफर, एक्शन डायरेक्टर और हीरो का होता है। 'एक्शन जैक्सन' में तो उन्होंने दो-दो अजय देवगन रखे हैं। दो हीरोइनें भी हैं - सोनाक्षी सिन्हा और मनस्वी ममगई। दोनों का काम या तो हीरो पर रीझना है या फिर खीझना है। 'एक्शन जैक्सन' जैसी फिल्में देखते समय अजय देवगन सरीखे कद्दावर और लोकप्रिय अभिनेता की बेचारगी का एहसास होता है। 'जख्म', 'तक्षक', 'अपहर

हर बार अलग अवतार में सोनाक्षी सिन्‍हा

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-अजय ब्रह्मात्मज  दो महीनों में सोनाक्षी सिन्हा की तीन फिल्में आएंगी। इनमें वह तीन पीढिय़ों के अभिनेताओं के साथ दिखेंगी। पहली फिल्म अजय देवगन के साथ ‘ऐक्शन जैक्सन’ है। उसके बाद दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत के साथ ‘लिंगा’ आएगी और फिर 2015 की शुरूआत अर्जुन कपूर एवं मनोज बाजपेयी के साथ आ रही ‘तेवर’ से होगी। तीनों के विषय और परिदृश्य अलग हैं।     सोनाक्षी सिन्हा पहले ‘ऐक्शन जैक्सन’ की बात करती हैं,‘यह प्रभु देवा की फिल्म है। श्ह बहुत ही मसालेदार,एंटरटनिंग बौर ऐक्शन पैक्ड फिल्म है। इस फिल्म में पहली बार मेरे प्रशंसक मुझे वेस्टर्न ड्रेस में देखेंगे। चार सालों से लोग पूछ रहे थे कि मैं वेस्टर्न लुक में कब आऊंगी? तो लीजिए मैं आ गई। इस बार वे सभी खुश हो जाएंगे। इस फिल्म में मूरे चुने जाने की एक बड़ी वह मेरी कॉमिक टाइमिंग है। प्रभु देवा और अजय सर ने मुझे यही बताया। प्रभु और अजय दोनों के साथ पहले काम कर चुकी हैं। उन्हें लगा कि मैं रोल को संभाल पाऊंगी। बहुत ही फनी कैरेक्टर है मेरा। मैं ऐसी लडक़ी हूं,जिसका लक इतना खराब रहता है कि वह हमेशा फनी सिचुएशन में फंस जाती है। प्रभु देवा की फिल्म है तो सौंग

फिल्‍म समीक्षा : सिंघम रिटर्न्‍स

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-अजय ब्रह्मात्‍मज              रोहित शेट्टी एक बार फिर एक्शन ड्रामा लेकर आ गए हैं। तीन सालों के बाद वे 'सिंघम रिटर्न्‍स' में बाजीराव सिंघम को लेकर आए हैं। इस बीच बाजीराव सिंघम मुंबई आ गया है। उसकी पदोन्नति हो गई है। अब वह डीसीपी है, लेकिन उसका गुस्सा, तेवर और समाज को दुरुस्त करने का अभिक्रम कम नहीं हुआ है। वह मुंबई पुलिस की चौकसी, दक्षता और तत्परता का उदाहरण है। प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वच्छ राजनीति के गुरु दोनों उस पर भरोसा करते हैं। इस बार उसके सामने धर्म की आड़ में काले धंधों में लिप्त स्वामी जी हैं। वह उनसे सीधे टकराता है। पुलिस और सरकार उसकी मदद करते हैं। हिंदी फिल्मों का नायक हर हाल में विजयी होता है। बाजीराव सिंघम भी अपना लक्ष्य हासिल करता है।              रोहित शेट्टी की एक्शन फिल्मों में उनकी कामेडी फिल्मों से अलग कोशिश रहती है। वे इन फिल्मों में सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को पिरोने की कोशिश करते हैं। उनकी पटकथा वास्तविक घटनाओं और समाचारों से प्रभावित होती है। लोकेशन और पृष्ठभूमि भी वास्तविक धरातल पर रहती है। उनके किरदार समाज का हिस्सा होने के साथ

...तब ज्यादा मेहनत करता हूं-रोहित शेट्टी

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दबाव में ज्यादा मेहनत करता हूं-रोहित शेट्टी -अजय ब्रह्मात्मज     रोहित शेट्टी इस दौर के कामयाब निर्देशक हैं। ‘सिंघम रिटन्र्स’ उनकी दसवीं फिल्म है। अजय देवगन और अभिषेक बच्चन के साथ उनकी पहली फिल्म ‘जमीन’ 2003 में आई थी। फिल्म को दर्शकों ने अधिक पसंद नहीं किया था। तीन सालों की तैयारी और सोच-विचार के बाद उन्होंने अजय देवगन के साथ ‘गोलमाल’ बनाई तो सभी सशंकित थे। अजय देवगन उसके पहले एक्शन स्टार या फिर इंटेस एक्टर के तौर पर जाने जाते थे। संदेह यही था कि क्या कॉमिक रोल में रोहित अजय देवगन अपने प्रशंसको और दर्शकों को संतुष्ट कर पाएंगे? आशंका तो रोहित और अजय के भी मन में थी,लेकिन उन्होंने नाप-तौल कर जोखिम उठाने की हिम्मत की थी। फिल्म चलीइ और खूब चली। इतनी चली कि अब ‘गोलमाल 4’ की बात चल रही है। उसके बाद दो और फिल्मों में रोहित को जबरदस्त कामयाबी नहीं मिली। ‘संडे’ और ‘आल द बेस्ट’ ने भी सामान्य बिजनेस किया। अभी तक रिलीज हुई उनकी नौ फिल्मों में से छह ने दर्शकों को खुश किया है। इस बीच 2011 में उन्होंने ‘सिंघम’ बना कर यह साबित कर दिया के वह केवल कॉमेडी में ही कामयाब नहीं हैं। एक्शन पर भी उनकी पकड

मन के काम में मजा है -अजय देवगन

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-अजय ब्रह्मात्मज पिछले दिनों अजय देवगन हैदराबाद की रामोजी राव फिल्मसिटी में ‘सिंघम रिटन्र्स’ की शूंटिंग कर रहे थे। यह 2011 में आई ‘सिंघम’ का सिक्वल है। अब बाजीराव सिंघम गोवा से ट्रांसफर होकर मुंबई आ गया है। यहां उसकी भिड़ंत अलग किस्म के व्यक्तियों से होती है। ये सभी राजनीति और सामाजिक आंदोलन की आड़ में अपने स्वार्थो में लगे हैं। हैदराबाद की रामोजी राव फिल्मसिटी रोहित शेट्टी को प्रिय है। वे यहां के नियंत्रित माहौल में शूूटिंग करना पसंद करते हैं। काम तेजी से होता है और लक्ष्य तिथि तक फिल्म पूरी करने में आसानी रहती है। ‘सिंघम रिटन्र्स’ 15 अगस्त को रिलीज होगी।     अजय देवगन पिछले कुछ समय से आजमाए हुए सफल निर्देशकों के साथ ही काम कर रहे हैं। रोहित शेट्टी के साथ उनकी खूब छनती है। फिल्मों में आने से पहले की उनकी दोस्ती का आधार परस्पर विश्वास है। ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के अलावा रोहित शेट्टी ने मुख्य रूप से अजय देवगन के साथ ही काम किया है। दोनों की जोड़ी हिट और सफल है। उन्होंने ‘सिंघम’ की शूटिंग 45 दिनों में कर ली थी। इस बार ़3 दिनों का ज्यादा समय मिला है। ‘सिंघम रिटन्र्स’ फलक और गहराई मे

फिल्‍म समीक्षा : सत्‍याग्रह

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  -अजय ब्रह्मात्‍मज                    इस फिल्म के शीर्षक गीत में स्वर और ध्वनि के मेल से उच्चारित 'सत्याग्रह' का प्रभाव फिल्म के चित्रण में भी उतर जाता तो यह 2013 की उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक फिल्म हो जाती। प्रकाश झा की फिल्मों में सामाजिक संदर्भ दूसरे फिल्मकारों से बेहतर और सटीक होता है। इस बार उन्होंने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है। प्रशासन के भ्रष्टाचार के खिलाफ द्वारिका आनंद की मुहिम इस फिल्म के धुरी है। बाकी किरदार इसी धुरी से परिचालित होते हैं।               द्वारिका आनंद ईमानदार व्यक्ति हैं। अध्यापन से सेवानिवृत हो चुके द्वारिका आनंद का बेटा भी ईमानदार इंजीनियर है। बेटे का दोस्त मानव देश में आई आर्थिक उदारता के बाद का उद्यमी है। अपने बिजनेस के विस्तार के लिए वह कोई भी तरकीब अपना सकता है। द्वारिका और मानव के बीच झड़प भी होती है। फिल्म की कहानी द्वारिका आनंद के बेटे की मृत्यु से आरंभ होती है। उनकी मृत्यु पर राज्य के गृहमंत्री द्वारा 25 लाख रुपए के मुआवजे की रकम हासिल करने में हुई दिक्कतों से द्वारिका प्रशासन को थप्पड़ मारते हैं। इस अपराध

भविष्य की फिल्मों के प्रति मैं सचेत हूं-अजय देवगन

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अजय देवगन का यह इंटरव्‍यू अगस्त 2004 में टैंगो चार्ली की शूटिंग के दरम्‍यान मुंबई की फिल्‍मसिटी में किया गया था। चवन्‍नी के पाठकों और अजय देवगन के प्रशंसकों के लिए खास भेंट है यह... - रोल के चुनाव में आप काफी प्रयोग कर रहे हैं। बिल्कुल अलग-अलग स्वभाव की फिल्में हैं आपके। इस चुनाव के पीछे कोई पद्धति है क्या ? 0 पहले यह धारणा थी कि हीरो को हीरो की तरह ही व्यवहार करना चाहिए। उसे एक ही तरह का किरदार निभाना चाहिए। अब इसमें बदलाव आ गया है। दर्शक बदल गए हैं। वे दूसरी तरह की फिल्में स्वीकार कर रहे हैं। इससे हमें भी स्कोप मिला है कि अलग-अलग रोल कर सकें। जैसा कि हॉलीवुड में होता है। इससे संतुष्टि भी मिलती है और अलग काम करने का आनंद भी मिलता है। यह भाव नहीं आता कि अरे यार आज फिर शूटिंग में जाना है और वही सब करना है। गाना गा रहे हैं आप या उसी प्रकार के दृश्य कर रहे हैं। किरदार अलग हों तो उन्हें निभाते हुए कुछ सोचना पड़ता है। यह रोचक बात है। - आपका यह निर्णय करिअर के लिहाज से कितना लाभदायक साबित हुआ ? 0 बहुत ही फायदा हुआ। दर्शकों से सराहना भी मिली। मीडिया ने भी सराहा। आजकल दूसरे एक

फैमिली एंटरटेनमेंट है ‘चेन्नई’ एक्सप्रेस-रोहित शेट्टी

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-अजय ब्रह्मात्मज     अजय देवगन के साथ अनेक सफल फिल्में देने के बाद रोहित शेट्टी शाहरुख खान के साथ ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ लेकर आ रहे हैं। दो सफल स्टार के अनुभव अलग रहे होंगे। क्या उनके अप्रोच और बाकी चीजों में कोई बड़ा फर्क होता है? रोहित शेट्टी शाहरुख के बारे में बताते हैं, ‘सभी को लगता है कि बिगेस्ट स्टार शाहरुख खान अपने बैगेज के साथ आए होंगे? अपने एटीट््यूड और वर्किंग स्टायल के साथ आए होंगे? मुझे ऐसा कोई अनुभव नहीं हुआ। उन्होंने हमारी सुविधाओं के लिए अपने कंफर्ट छोड़े। उन्होंने कभी कोई सवाल नहीं पूछा। ऐसा लगा कि हम किसी न्यूकमर के साथ काम कर रहे हैं। कई बार चौबीस घंटे भी काम किए। सुबह में आए। वे हमेशा मोटीवेट करते हैं। वे इस फिल्म के निर्माता भी हैं,लेकिन कभी ‘क्यों’ नहीं पूछा?’     ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ वास्तव में 2008 में लिखी गई थी। तब रोहित शेट्टी ‘गोलमाल रिटन्र्स’ बना रहे थे। तभी के सुभाष ने उन्हें यह कहानी सुनाई थी। उस कहानी पर उनकी टीम ने काम किया। यह फिल्म लिखी जाती रही और रोहित शेट्टी अपनी दूसरी फिल्में बनाते रहे। तात्पर्य यह कि ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ शाहरुख खान के लिए नहीं लिखी गई

दर्शक बढ़े हैं मेरे-अजय देवगन

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-अजय ब्रह्मात्मज     दो फिल्मों के अंतराल के बाद अजय देवगन और प्रकाश झा फिर से एक साथ आ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में दोनों की जोड़ी ने अनेक सारगर्भित और मनोरंजक फिल्में दी हैं। ‘आरक्षण’ के समय यह खबर आई थी कि दोनों के बीच कोई अनबन हो गई है, लेकिन ‘सत्याग्रह’ की शूटिंग के साथ यह खबर बेबुनियाद साबित हुई। दोनों ने हाल ही में भोपाल में ‘सत्याग्रह’ की शूटिंग पूरी की। अजय देवगन ने अजय ब्रह्मात्मज से इस अंतरंग बातचीत में अनेक पहलुओं को उजागर किया। - ‘दिल क्या करे’ से ‘सत्याग्रह’ तक प्रकाश झा के साथ आपकी सफल पारी रही है। इस परस्पर रिश्ते के बारे में कुछ बताएं? 0 हम दोनों को इस परस्पर रिश्ते से फायदा हुआ है। प्रकाश जी के बारे में सभी जानते हैं। वे पैरेलल सिनेमा के आर्ट फिल्म डायरेक्टर रहे हैं। साथ काम करते हुए उन्होंने एक नई फिल्म भाषा विकसित कर ली है। वास्तविकता के नजदीक रहते हुए उन्होंने व्यावसायिक फिल्म बनाने की तरकीब सीख ली है। ‘गंगाजल’ में हम दानों को सभी ने देखा। व्यावसायिक होने से मेरा मतलब दर्शकों से जुडऩा है। उनके साथ के बाकी फिल्मकार ऐसा नहीं कर पाए। फिल्मों को वास्तविक रखने की को