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एक सितारा बनते देखा - सत्यजित भटकल

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प्रस्तुति-अजय ब्रह्मात्मज सत्यजित भटकल आमिर खान के जिगरी दोस्त हैं। अच्छे-बुरे दिनों में वे हमेशा आमिर के करीब रहे। नौवीं कक्षा में दोनों के बीच दोस्ती हुई। सत्यजित भटकल के लिए आमिर खान हिंदी फिल्मों के सुपर स्टार मा। नहीं हैं। वे उनके विकास और विस्तार को नजदीक से देखते रहे हैं। वे आमिर के हमकदम भी हैं। ‘लगान’ और ‘सत्यमेव जयते’ में दोनों साथ रहे। 14 मार्च को आमिर खान का जन्मदिन था। इस अवसर पर सत्यजित भटकल ने आमिर खान के बारे में कुछ बताया :-     हर मनुष्य का एक स्थायी भाव होता है। उम्र बढऩे के साथ व्यक्त्त्वि में आए परिवत्र्तनों के बावजूद वह स्थायी भाव बना रहता है। आमिर का स्थायी भाव जिज्ञासा है। वह आजन्म छात्र रहे हैं और आगे भी रहेंगे। वे जिंदगी के सफर को सफर के तौर पर ही लेते हैं। अपनी जिज्ञासाओं की वजह से उन्होंने हमेशा खुद को नए सिरे से खोजा और सफल रहे हैं। जिंदगी की मामली चीजों के बारे में भी वे इतनी संजीदगी से बता सकते हैं कि आप चकित रह जाएं। ‘लगान’ की शूटिंग के समय हमलोगों ने सहजानंद टावर्स को होटल में बदल लिया था। बैरे के रूप में स्थानीय लडक़े काम कर रहे थे। उन्हें कोई ट्

रॉन्ग नंबर के लोग विरोध कर रहे हैं : आमिर खान

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-स्मिता श्रीवास्‍तव  विवादों के बीच राजकुमार हिरानी की 'पीके' 200 करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी है। फिल्म पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया जा रहा है। फिल्म को लेकर उठने वाले विवाद के पीछे इसमें दिखाए गए कुछ दृश्य हैं। दरअसल, 'पीके' में धर्म के नाम पर होने वाली कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया गया है। भगवान और धर्म-कर्म के नाम पर चल रहे धार्मिक उद्योगों पर सवालिया निशान लगाया गया है। फिल्म चमत्कार दिखाने वाले संतों को भी कठघरे में खड़ा करती है। हवा से सोना पैदा करने वाले बाबा चंदा क्यों लेते हैं या देश की गरीबी क्यों नहीं दूर करते? धर्म के नाम पर खौफ पैदा करने वालों पर भी नकेल कसी गई है। फिल्म में स्पष्ट संदेश है कि जब ईश्वर ने तर्क-वितर्क की शक्ति दी है तो अतार्किक बातों पर हम आंखें मूंद कर विश्वास क्यों करते हैं। इन सबके बीच सवाल उठ रहा है कि सिर्फ हिंदू धर्म पर ही चोट क्यों की गई। बाकी धर्मालंबियों पर ऊंगली क्यों नहीं उठाई? पूछने पर आमिर खान कहते हैं, 'फिल्म मानवता का संदेश देती है। दूसरा, अंधविश्वास के खिलाफ अलख जग

इंपैक्‍ट 2014 : आमिर खान, कपिल शर्मा

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इंपैक्ट 2014 -अजय ब्रह्मात्‍मज आमिर खान     ‘सत्य की जीत’ का संदेश बुलंद करता अमिर खान का टीवी शो ‘सत्यमेव जयते’ पहला ऐसा अनोखा शो है, जिसमें मुख्य रूप से सामाजिक मुद्दों, कुरीतियों और चलन पर सवाल उठाए गए। विमर्श के केंद्र में लाए विषयों को आमिर खान ने आत्मीयता और गंभीरता के साथ न केवल पेश किया, बल्कि निदान, समाधान और विकल्प के भी सुझाव दिए। हर एपिसोड में किसी एक विषय के सभी पहलुओं को प्रस्तुत करते समय साक्ष्य रखे गए। ‘सत्यमेव जयते’ की टीम ने आमिर खान और उनके मित्र व सहयोगी सत्यजित भटकल के निर्देशन और निरीक्षण में वस्तुनिष्ठ रहते हुए विषयों का विश्लेषण और विमर्श किया। पहले सीजन में ही सत्यमेव जयते के प्रभाव से सरकारी और निजी संस्थानों को सुझाए रास्तों पर बढऩे की प्रेरणा मिली। आमिर खान के हर शो में निदान और सहयोग में सक्रिय व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रयासों की मुखर प्रस्तुति रही। इस शो ने टीवी दर्शकों समेत भारतीय समाज में एक मन आंदोलन सा खड़ा कर दिया, जिसका निश्चित सामाजिक संदर्भ बना। इस साल आमिर खान ने शो के प्रसारण के बाद देश के किसी एक शहर में जाकर सीधे प्रसारण से स्थानीय नाग

फिल्‍म समीक्षा : पीके

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-अजय ब्रह्मात्‍मज .. ..बहुत ही कनफुजिया गया हूं भगवान। कुछ तो गलती कर रहा हूं कि मेरी बात तुम तक पहुंच नहीं रही है। हमारी कठिनाई बूझिए न। तनिक गाइड कर दीजिए... हाथ जोड़ कर आपसे बात कर रहे हैं...माथा जमीन पर रखें, घंटी बजा कर आप को जगाएं कि लाउड स्पीकर पर आवाज दें। गीता का श्लोक पढ़ें, कुरान की आयत या बाइबिल का वर्स... आप का अलग-अलग मैनेजर लोग अलग-अलग बात बोलता है। कौनो बोलता है सोमवार को फास्ट करो तो कौनो मंगल को, कौनो बोलता है कि सूरज डूबने से पहले भोजन कर लो तो कौनो बोलता है सूरज डूबने के बाद भोजन करो। कौनो बोलता है कि गैयन की पूजा करो तो कौनो कहता है उनका बलिदान करो। कौना बोलता है नंगे पैर मंदिर में जाओ तो कौनो बोलता है कि बूट पहन कर चर्च में जाओ। कौन सी बात सही है, कौन सी बात लगत। समझ नहीं आ रहा है। फ्रस्टेटिया गया हूं भगवान... पीके के इस स्वगत के कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के पेशावर में आतंकवादी मजहब के नाम पर मासूम बच्चों की हत्या कर देते हैं तो भारत में एक धार्मिक संगठन के नेता को सुर्खियां मिलती हैं कि 2021 तक वे भारत से इस्लाम और ईसाई

‘3 इडियट’ के तीनों इडियट ही ला रहे हैं ‘पीके’

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आमिर खान ने आगामी फिल्म ‘पीके’ के प्रचार के लिए इस बार नया तरीका अनपाया है। वे इस फिल्म की टीम के साथ सात शहरों की यात्रा पर निकले हैं। आज पटना से इसकी शुरुआत हो रही है। इस अभियान में वे ‘3 इडियट’ का प्रदर्शन करेंगे और फिर आमंत्रित दर्शकों से बातचीत करेंगे। पटना के बाद वे बनारस, दिल्ली, अहमदाबाद, हैदराबाद, जयपुर और रायपुर भी जाएंगे। पटना के लिए उड़ान भरने से पहले उन्होंने अजय ब्रह्मात्माज से खास बातचीत की। प्रचार के इस नए तरीके के आयडिया के बारे में बताएं ? हमलोग ‘3 इडियट’ दिखा रहे हैं। मकसद यह बताने का है कि ‘3 इडियट’ की टीम एक बार फिर आ रही है। इस बार वही टीम ‘पीके’ ला रही है। ‘3 इडियट' के तीनो इडियट राजू,विनोद और मैं अब ‘पीके’ लेकर आ रहे हें। हमलोग तयशुदा सात शहरों में ‘3 इडियट’ की स्क्रीनिंग करेंगे। इस स्क्रीनिंग में आए लोगों के साथ फिल्म खत्म होने के बाद हमलोग बातचीत करेंगे। कोशिश है कि हमलोग ग्रास रूट के दर्शकों से मिलें। पटना से शुरूआत करने की कोई खास वजह...? पटना से शुरूआत करने की यही वजह है कि ‘पीके’ में मेरा किरदार भोजपुरी बोलता है। वास्तव में हमलो

पीके का पोस्‍टर

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देश को उम्मीद दी है नरेन्द्र मोदी ने-आमिर खान

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-अजय ब्रह्मात्मज अपने कामकाज के बीच आमिर खान ने चुनाव परिणामों में रुचि दिखाई। उन्होंने आज दोपहर में आ रहे परिणामों को टीवी पर देखा और नरेन्द्र मोदी को मिले स्पष्ट बहुमत पर खुशी जतायी। उन्होंने बातचीत में यह उम्मीद जाहिर की कि नरेन्द्र मोदी अपने वादों को पूरा करेंगे और पूरे देश को प्रगति की राह पर ले चलेंगे। - मोदी के नेतृत्व में भाजपा को मिले स्पष्ट बहुमत पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? 0 नरेन्द्र मोदी ने देश को एक उम्मीद दी है। चुनाव प्रचार के दौरान पिछले कुछ महीनों में उन्होंने मतदाताओं उम्मीदें जगा दी हैं। प्रगति और विकास का उन्होंने नारा दिया है। नौकरियां देने का वादा है। आर्थिक प्रगति का वादा है। उनके ये वादे मतदाताओं को अच्छे लगे। युवकों, मजदूरों और व्यापारियों के मन में उन्होंने भारत की एक तस्वीर बसाई है। मतदाताओं को उनकी खींची यह तस्वीर अच्छी लगी। ये सारे वायदे बहुत अच्छे हैं। भ्रष्टाचार मिटाने और खुशहाली लाने के वादे पर लोगों ने भरोसा दिखाया है। उन्हें स्पष्ट बहुमत मिला है। वे फैसले ले सकते हैं। - इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ा।  चुनाव आयोग के ब्रांड ऐंबेसडर के तौर पर वोट देने

फिल्‍म समीक्षा : धूम 3

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डांस,बाइक और चेज  -अजय ब्रह्मात्‍मज  'धूम' सीरिज की महत्वपूर्ण कड़ी हैं जय और अली। इस बार वे चोर को पकड़ने के लिए शिकागो जाते हैं। चूंकिचोर चोरी करने के बाद हिंदी में संदेश छोड़ता है 'बैंक वाले तेरी ऐसी की तैसी', शायद इसलिए भारत से जय और अली को उन्हें पकड़ने के लिए बुलाया गया है। मजेदार तथ्य है कि 'विशेष दायित्व' निभाते समय वे चोर को पकड़ने में असफल रहते हैं। फिर बाकी हिंदी फिल्मों की तरह दायित्व से मुक्त होने के बाद उनका दिमाग तेज चलता है और वे चोर को घेर लेते हैं। लेकिन इस बार भी चोर उन्हें चकमा देकर निकल जाता है। कैसे? फिल्म देखें। जय और अली के रूप में अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा हैं। तारीफ करनी होगी कि पहली 'धूम' से लेकर अभी तक उनकी समनुरूपता बनी हुई है। वे जरा भी नहीं बदले हैं। 'धूम' सीरिज में चोर को ज्यादा स्मार्ट और रोचक बनाने के लिए उनको भोंदू दिखाना जरूरी होता है। इस बार स्मार्ट चोर आमिर खान हैं। जॉन अब्राहम और रितिक रोशन के बाद 'धूम 3' में आए आमिर खान को छबीली कट्रीना कैफ के साथ मिला है। दोनों के बीच स्टेज पर केमिस्

धूम 3 में है बेइंतहा इमोशन : आमिर खान

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-अजय ब्रह्मात्मज/अमित कर्ण आमिर खान अपनी फिल्मों से मैसेज व मनोरंजन का परफेक्ट मिश्रण लोगों को देते हैं। आमिर अब साल के आखिर में लोगों को बहुप्रतीक्षित सौगात ‘धूम 3’ दे रहे हैं। इसे संयोग ही कहें कि फिल्म का स्केल यशराज और आमिर खान के अद्वितीय कॉम्बिनेंशन से आसमानी हो गया है। उन्हें खुद के कद का मुकम्मल एहसास है। वे फिल्म दर फिल्म नए अनुभवों से अमीर(इनलाइटेन) होने की कोशिश कर रहे हैं।      हिंदी फिल्मों के संदर्भ में आमिर ‘धूम’ सीरिज और ‘धूम 3’ की खास बात बताते हैं, ‘धूम’ सीरिज परफेक्ट मनोरंजन की श्योर-शॉट गारंटी देती है। लार्जर दैन लाइफ किरदार पेश करती है। जबरदस्त थ्रिल, खूबसूरत कैमरा वर्क और उम्दा गाने सुनने को मिलेंगे। ‘धूम 3’ ने पिछली दोनों किश्तों से अलग काम किया है। इसमें बेइंतहा इमोशन है। इसकी कहानी बहुत जज्बाती है। इस बात ने मुझे भी स्क्रिप्ट की तरफ अट्रैक्ट किया। मुझे लगता है कि यह फिल्म सभी उम्र वर्ग और सोच के लोगों के लिए है। यह हर किसी को अपील करेगा। इसकी क्षमता बहुत ज्यादा है। वह दर्शकों की उम्मीदों पर कितना खड़ा उतर पाती है, वह देखने वाली बात होगी। यह मेरे 25 साल के क

धूम 3 का मोशन पोस्‍टर

धूम 3 के इस मोशन पोस्‍टर को देखें। इस में आमिर खान की केवल पीठ दिखाई दे रही है। मुझे तो लगता है कि भविष्‍य में पोस्‍टर की परिभाषा बदल जाएगी। तब यह कागज पर नहीं छपा करेगा।डिजिटल तरीके से उसे तैयार किया जाएगा और वैसे ही देखा जाएगा। शहर की दीवारें पोस्‍टरों से खाली होंगी। मुख्‍य रूप से मैट्रो शहरों में यह होगा। छोटे शहरों और कस्‍बों में पोस्‍टर के बगैर काम नहीं चलेगा। क्‍या सोचते हैं आप ?

प्रभावशाली फिल्‍मी हस्तियां : विद्या बालन,आमिर खान और रणबीर कपूर

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विद्या बालन चूंकि खान हिंदी फिल्मों में कामयाबी के पर्याय माने जाते हैं,इसलिए विद्या बालन की अप्रतिम कामयाबी के मद्देनजर उन्हें ‘लेडी खान’ टायटल से नवाजा गया। तब विद्या बालन ने मजाक में ही एक सच कहा था कि अब औरों की कामयाबी विद्या बालन से आंकी जानी चाहिए।बहरहाल,‘किस्मत कनेक्शन’ के समय चौतरफा विध्वंसात्मक आलोचना और छींटाकशी के केंद्र में आई दक्षिण भारतीय मूल की इस मिडिल क्लास लडक़ी ने साड़ी पहनने के साथ लक्ष्य साधा और फिर ‘इश्किया’ से अपने कदम बढ़ा दिए।हिंदी फिल्मों की निर्बंध नायिका विद्या बालन ने उसके बाद हर नई फिल्म से खास मुकाम हासिल किया। पहले ‘डर्टी पिक्चर’ और फिर ‘कहानी’ उन्होंने इस कथित सच को झुठला दिया कि हिंदी फिल्में सिर्फ हीरो के दम पर चलती हैं और हीरोइनें तो केवल नाच-गाने के लिए होती हैं। नाच-गानों से विद्या बालन को परहेज नहीं है। वह इनके साथ ही चरित्रों की गहराई में उतरना जानती हैं। वह उन्हें विश्वसनीय और प्रभावपूर्ण बना देती हैं। अभिनय के साथ उनमें आम भारतीय महिला का लावण्य है। उन्होंने सबसे पहले नायिकाओं केलिए जरूरी ‘जीरो साइज’ का मिथक तोड़ा। अपनी जोरदार कामयाबी से उन्ह

फिल्‍म समीक्षा : तलाश

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-अजय ब्रह्मात्‍मज लगभग तीन सालों के बाद बड़े पर्दे पर लौटे आमिर खान 'तलाश' से अपने दर्शकों और प्रशंसकों को नए ढंग से रिझाते हैं। 'तलाश' है हिंदी सिनेमा ही, लेकिन रीमा कागती और आमिर खान ने उसे अपडेट कर दिया है। सस्पेंस के घिसे-पिटे फार्मेट को छोड़ दिया है और बड़े ही चुस्त तरीके से नए तत्व जोड़ दिए हैं। छल, प्रपंच, हत्या, दुर्घटना और बदले की यह कहानी अपने अंतस में इमोशनल और सोशल है। रीमा कागती और जोया अख्तर ने संबंधों के चार गुच्छों को जोड़कर फिल्म का सस्पेंस रचा है। 'तलाश' मुंबई की कहानी है। शाम होने के साथ मुंबई की जिंदगी करवट लेती है। रीमा कागती ने अपने कैमरामैन मोहनन की मदद से बगैर शब्दों में रात की बांहों में अंगड़ाई लेती मुंबई को दिखाया है। आरंभ का विजुअल कोलाज परिवेश तैयार कर देता है। फिल्म एक दुर्घटना से शुरू होती है। मशहूर फिल्म स्टार ओंकार कपूर की गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है। उनकी कार सीफेस रोड से सीधे समुद्र में चली गई है। मुंबई पुलिस के अन्वेषण अधिकारी सुर्जन सिंह शेखावत (आमिर खान) की तहकीकात आरंभ होती है। फिल्मसिटी से दुर्घटना स्थल क

मुझे फिल्मों में ही आना था- राज कुमार

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-अजय ब्रह्मात्मज उन्होंने अपने नाम से यादव हटा दिया है। आगामी फिल्मों में राज कुमार यादव का नाम अब सिर्फ राज कुमार दिखेगा। इसकी वजह वे बताते हैं, ‘पूरा नाम लिखने पर नाम स्क्रीन के बाहर जाने लगता है या फिर उसके फॉन्ट छोटे करने पड़ते हैं। इसी वजह से मैंने राज कुमार लिखना ही तय किया है। इसके अलावा और कोई बात नहीं है।’ राज कुमार की ताजा फिल्म ‘शाहिद’ इस साल टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई। पिछले दिनों अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर-2’ में उन्होंने शमशाद की जीवंत भूमिका निभाई। उनकी ‘चिटगांव’ जल्दी ही रिलीज होगी। एफटीआईआई से एक्टिंग में ग्रेजुएट राज कुमार ने चंद फिल्मों से ही, अपनी खास पहचान बना ली है। इन दिनों वे ‘काए पो चे’ और ‘क्वीन’ की शूटिंग कर रहे हैं।     -आप एफटीआईआई के ग्रेजुएट हैं, लेकिन आप की पहचान मुख्य रूप से थिएटर एक्टर की है। ऐसा माना जाता है कि आप भी एनएसडी से आए हैं? 0 इस गलतफहमी से मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। दरअसल शुरू में लोग पूछते थे कि आप ने फिल्मों से पहले क्या किया है, तो मेरा जवाब थिएटर होता था। फिल्मों में लोग थिएटर का मतलब एनएसडी ही समझते हैं, इसल

हंगल की स्‍मृति में

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मैं अपनी अनूदित पुस्‍तक सत्‍यजित भटकल लिखित ऐसे बनी लगान से एके हंगल से संबंधित अंश यहां दे रहा हूं। ए के हंगल की स्‍मृति को समर्पित यह अंश प्रेरक है....  24 जनवरी 2000  हंगल डॉ राव के अस्‍पताल में विश्राम कर रहे हैं।डाम्‍क्‍टर दंपति ज्ञानेश्‍वर और अलका परिवार के किसी सदस्‍य की तरह ही उनकी देखभाल करते हैं।पिछले दो सालों में हंगल ने पत्‍नी और बहू को खो दिया हैत्रवह उनके प्रेम और स्‍नेह सेप्रभावित हैंत्रआज शाम 'लगान' के कई लोग डॉ राव के अस्‍पताल जाते हैं और हंगल की सेहतमंदी के लिए गीत गाते हैंत्रअस्‍पताल के बाहर आधा भुज जमा हो जाता है।हंगल बिस्‍तर पर पीठ के बल लेटे हैं। उनकी तकलीफ कम नहीं हुई है,लेकिन व‍ि द्रवित हो उठते हैं।  आमिर और आशुतोष महसूस करते हैं कि हंगल शूटिंग करने की अवस्‍था में नहीं हैं,वे दूसरे उपाय सोचते हैं। आमिर हंगल से कहता है कि वे वैकल्पिक व्‍यवस्‍था करेंगे,लेकिन वह बीमार एक्‍टर के जवाब से चौंक जाता है।हंगल उससे कहते हैं कि अगर प्रोडक्‍शन एंबुलेंस से उन्‍हें सेट पर ले जाए तो वे शूटिंग करेंगे। आमिर उनसे गुजारिश करता है कि उनकी पीठ फिल्‍म से अधिक महत्

बदलना चाहता है हिंदुस्‍तान-आमिर खान

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स्‍वतंत्रता दिवस विशेष चवन्‍नी के पाठकों के लिए  ‘सत्यमेव जयते’ के 13 एपीसोड के अनुभव ने फिल्मस्टार आमिर खान को देश के करीब ला दिया है। वे समाज के सच्चाइयों से वाकिफ हुए हैं और एक नागरिक के तौर पर ज्यादा सजग और जिम्मेदारी महसूस कर रहे हैं। उन्होंने अजय ब्रह्मात्‍मज से यहां अपने अनुभव बांटे। ‘सत्यमेव जयते’ का ढाई साल का अनुभव मुझे समृद्ध कर गया है। टीम के शोध ने मुझे नई जानकारियां दी। इन सब चीजों के बारे में इतनी गहराई और विस्तार से मैं नहीं जानता था। सभी खास मुद्दों पर मेरी खुद की जानकारी बढ़ी। इसके अलावा इस शो में देश के कोने-कोने से आए लोगों को मैंने करीब से सुना और देखा। हर एपीसोड में 15-20 गेस्ट रहते थे। वे बड़े शहरों से लेकर दूर-दराज के देहातों तक से आए थे। सब की भाषा अलग थी। लहजा अलग था। मैंने उन सभी से गहरी और अंतरंग बात की है। हर एपीसोड की शूटिंग में पूरा दिन लग जाता था। शो के विषयों के अलावा भी उनसे बातें होती थी। उनकी जिंदगी के आइने में मैंने देश को देखा। टीवी पर भले ही बातचीत दो-चार मिनट की दिखाई पड़ती हो, लेकिन वास्तव में हमने घंटे-घंटे भर बात की है। मैं उन्हें तफसील

सत्‍यमेव जयते के निर्देशक सत्‍यजित भटकल

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  -अजय ब्रह्मात्‍मज  आमिर खान की प्रस्तुति सत्यमेव जयते के 13 एपीसोड पूरे हो गए। इस शो के इंपैक्ट के ऊपर भी उन्होंने एक एपिसोड शूट किया है, जो जल्द प्रसारित होगा। सत्यमेव जयते की पूर्णाहुति कर आमिर खान अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए निकल चुके हैं। वे शिकागो में धूम-3 की शूटिंग करेंगे। सत्यमेव जयते के निर्देशक सत्यजित भटकल का काम अभी समाप्त नहीं हुआ है। वे इसे समेटने में लगे हैं। सत्यमेव जयते से निकलने में उन्हें और उनकी टीम को वक्त लगेगा। पिछले ढाई-तीन सालों से वे अपनी टीम के साथ इस स्पेशल शो की तैयारियों, शोध, अध्ययन और प्रस्तुति में लगे रहे। उनकी मेहनत और सोच का ही यह फल है कि सत्यमेव जयते टीवी का असरकारी प्रोग्राम साबित हुआ। हालांकि ऊपरी तौर पर सारा क्रेडिट आमिर खान ले गए और यही होता भी है। टीवी हो या फिल्म.., उसके ऐंकर और कलाकारों को ही श्रेय मिलता है। सत्यमेव जयते भारतीय टीवी परिदृश्य का ऐसा पहला शो है, जिसने दर्शकों समेत ब्यूरोक्रेसी, सरकार और राजनीतिज्ञों को झकझोरा। सामाजिक मुद्दों और विषयों पर पहले भी शो आते रहे हैं, लेकिन सत्यमेव

तीन तस्‍वीरें : आमिर खान धूम 3

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सत्‍यमेव जयते-13 : अकेले व्‍यक्ति की शक्ति-आमिर खान

मैं अकेला क्या कर सकता हूं? एक अरब बीस करोड़ की आबादी में मैं तो बस एक हूं। अगर मैं बदल भी जाता हूं, तो इससे क्या फर्क पड़ेगा? बाकी का क्या होगा? सबको कौन बदलेगा? पहले सबको बदलो, फिर मैं भी बदल जाऊंगा। ये विचार सबसे नकारात्मक विचारों में से हैं। इन सवालों का सबसे सटीक जवाब दशरथ मांझी की कहानी में छिपा है। यह हमें बताती है कि एक अकेला आदमी क्या हासिल कर सकता है? यह हमें एक व्यक्ति की शक्ति से परिचित कराती है। यह हमें बताती है कि आदमी पहाड़ों को हटा सकता है। बिहार में एक छोटा सा गांव गहलोर पहाड़ों से घिरा है। नजदीकी शहर पहुंचने के लिए गांव वालों को पचास किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता था, जबकि उसकी वास्तविक दूरी महज पांच किलोमीटर ही थी। दरअसल, शहर और गांव के बीच में एक पहाड़ पड़ता था, जिसका चक्कर लगाकर ही गांव वाले वहां पहुंच पाते थे। इस पहाड़ ने गहलोर के वासियों का जीवन नरक बना दिया था। एक दिन गांव में दशरथ मांझी नाम के व्यक्ति ने फैसला किया कि वह पर्वत को काटकर उसके बीच से रास्ता निकालेगा। अपनी बकरियां बेचकर उन्होंने एक हथौड़ा और कुदाल खरीदी और अपने अभियान में जुट गये। गांव वाले उन पर

सत्‍यमेव जयते-12 : हाथ से फिसलते हालात-आमिर खान

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जब मानव अंतरिक्ष के बाहर जीवन के लक्षणों की तलाश करता है तो सबसे पहले क्या देखता है? वह देखता है जल का अस्तित्व। किसी भी ग्रह में जल की उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि वहां जीवन संभव है। जाहिर है कि जल का अर्थ जीवन है और जीवन का अर्थ जल। हमारी पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग जल में डूबा है, लेकिन इस जल का अधिकांश हिस्सा खारा है। 97 प्रतिशत जल समुद्र के रूप में है, जो पीने के योग्य नहीं है। शेष तीन प्रतिशत जल ही मीठा है, जो बर्फ के रूप में है। दूसरे शब्दों में कहें तो मात्र एक प्रतिशत जल ही सात अरब की मानव आबादी के लिए पेयजल के रूप में उपलब्ध है। केवल मानव आबादी ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतुओं के लिए भी यही जल जीने का सहारा है। भारत के बारे में यह माना जाता है कि यहां पानी पर्याप्त मात्र में उपलब्ध है। इसका अर्थ है कि हम जितना चाहें उतना पानी हासिल कर सकते हैं, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी है कि प्रति वर्ष पानी की यह उपलब्धता घटती जा रही है। अब लगभग पूरे देश में जल संकट की आहट महसूस की जाने लगी है। एक अनुमान के अनुसार ग्रामीण भारत में रहने वाली एक महिला को पानी हासिल करने के

सत्‍यमेव जयते-11: सम्मान के साथ सहारा भी दें-आमिर खान

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मुङो लगता है कि भारत विश्व के उन गिने-चुने देशों या समाजों में शामिल है जहां सांस्कृतिक और पारंपरिक रूप से बुजुर्गो को बहुत अधिक सम्मान दिया जाता है। भारत संभवत: एकमात्र देश है जहां हम बड़ों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए उनके पैर छूते हैं। तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि व्यावहारिक स्तर पर और अपने बुनियादी ढांचे के लिहाज से हम अपने बुजुर्गो की देखभाल के मामले में अन्य देशों से बहुत पीछे हैं। भारतीय समाज बदल रहा है और धीरे-धीरे हम संयुक्त परिवार की संस्कृति से एकल परिवारों की ओर बढ़ रहे हैं और इसके साथ ही अपने परिवार में बड़े-बूढ़ों के प्रति हमारे संबंध भी बदल रहे हैं। आज जो व्यक्ति किसी बड़े शहर में काम-धंधे के सिलसिले में रह रहा है उसके समक्ष बहुत चुनौतियां हैं। उसके पास खुद के लिए, अपने छोटे से परिवार के लिए बहुत कम समय है। इस बदलते परिदृश्य में गौर कीजिए कि हमारे बड़े-बुजुर्गो के साथ क्या होता है? हम उनके लिएक्या करते हैं?हमें अपने बुजुर्गो के लिए बेहतर योजना बनाने की आवश्यकता है और सच कहें तो खुद अपने लिए भी, क्योंकि देर-सबेर हम सभी को उस स्थिति में पहुंच