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फिल्‍म समीक्षा : एजेंट विनोद

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चुनौतियों से जूझता एजेंट विनोद -अजय ब्रह्मात्‍मज एक अरसे के बाद हिंदी में स्पाई थ्रिलर फिल्म आई है। श्रीराम राघवन ने एक मौलिक स्पाई फिल्म दी है। आमतौर पर हिंदी में स्पाई थ्रिलर बनाते समय निर्देशक जेम्स बांड सीरिज या किसी और विदेशी फिल्म से प्रभावित नजर आते हैं। श्रीराम राघवन ऐसी कोशिश नहीं करते। उनकी मौलिकता ही एक स्तर पर उनकी सीमा नजर आ सकती है, क्योंकि एजेंट विनोद में देखी हुई फिल्मों जैसा कुछ नहीं दिखता। एजेंट विनोद उम्मीद जगाती है कि देश में चुस्त और मनोरंजक स्पाई थ्रिलर बन सकती है। ऐसी फिल्मों में भी कहानी की आस लगाए बैठे दर्शकों को इतना बनाता ही काफी होगा कि एक भारतीय एजेंट मारे जाने से पहले एक कोड की जानकारी देता है। वह विशेष कुछ बता नहीं पाता। एजेंट विनोद उस कोड के बारे में पता करने निकलता है। दिल्ली से दिल्ली तक के खोजी सफर में एजेंट विनोद पीटर्सबर्ग, मोरक्को, रिगा, पाकिस्तान आदि देशों में एक के बाद एक चुनौतियों से जूझता है। किसी वीडियो गेम की तरह ही एजेंट विनोद की बाधाएं बढ़ती जाती हैं। वह उन्हें नियंत्रित करता हुआ अपने आखिरी उद्देश्य की तरफ बढ़ता जाता है। श्रीराम राघवन ने एज

फिल्म समीक्षा : एक मैं और एक तू

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डायनिंग टेबल ड्रामा -अजय ब्रह्मात्‍मज करण जौहर निर्माता के तौर पर एक्टिव हैं। कुछ हफ्ते पहले उनकी अग्निपथ रिलीज हुई। एक्शन से भरी वह फिल्म अधिकांश दर्शकों को पसंद आई। इस बार वे रोमांटिक कामेडी लेकर आए हैं। वसंत का महीना प्यार और रोमांस का माना जाता है। अब तो 14 फरवरी का वेलेंटाइन डे भी मशहूर हो चुका है। इस मौके पर वे करीना कपूर और इमरान खान के डेट रोमांस की फिल्म एक मैं और एक तू किशोर और युवा दर्शकों को ध्यान में रखकर ले आए हैं। करण जौहर की ऐसी फिल्मों की तरह ही इसका लोकेशन भी विदेशी है। वेगास से आरंभ होकर यह फिल्म नायक-नायिका के साथ मुंबई पहुंचती है और डायनिंग टेबल ड्रामा के साथ समाप्त होती है। और हां,इस फिल्म के निर्देशक शकुन बत्रा हैं। अचानक मुलाकात, हल्की सीे छेडछाड़, साथ में ड्रिंक और फिर अनजाने में हुई शादी बता दें कि कहानी में लड़का थोड़ा दब्बू और लड़की बिंदास है। यूं इस फिल्म की अन्य महिला किरदार भी यौन ग्रंथि की शिकार दिखती हैं। मुमकिन है विदेशों में लड़कियां यौन संबंधों को लेकर अधिक खुली और मुखर हों। राहुल और रियाना अनजाने में हुई अपनी शादी रद्द करवाने के चक्कर में दो हफ्ते म

ऑन स्‍क्रीन ऑफ स्‍क्रीन :आधुनिक स्त्री की पहचान हैं करीना कपूर

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बेबो ही नाम है उनका। घर में सभी उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री एक प्रकार से उनके घर का विस्तार है, इसलिए इंडस्ट्री उन्हें प्यार से बेबो बुलाती है। सार्वजनिक स्थानों पर औपचारिकता में भले ही फिल्म बिरादरी उन्हें करीना नाम से संबोधित करती हो, लेकिन मंच से उतरते ही, कैमरा ऑफ होते ही और झुंड में शामिल होते ही वह सभी के लिए बेबो हो जाती हैं। तोडी हैं कई दीवारें करीना कपूर का अपने सहयोगी स्टारों से अनोखा रिश्ता है। खान त्रयी (आमिर, सलमान और शाहरुख) के अलावा अजय देवगन उन्हें आज भी करिश्मा कपूर की छोटी बहन के तौर पर देखते हैं। मतलब उन्हें इंडस्ट्री में सभी का प्यार, स्नेह और संरक्षण मिलता है। अपने सहयोगी के छोटे भाई-बहन से हमारा जो स्नेहपूर्ण रिश्ता बनता है, वही रिश्ता करीना को हासिल है। मजेदार तथ्य है कि इस अतिरिक्त संबंध के बावजूद उनकी स्वतंत्र पहचान है। वह सभी के साथ आत्मीय और अंतरंग हैं। पर्दे पर सीनियर, जूनियर व समकालीन सभी के साथ उनकी अद्भुत इलेक्ट्रिक केमिस्ट्री दिखाई पडती है। आमिर से इमरान तक उनके हीरोज की लंबी फेहरिस्त है। हिंदी फिल्मों की अघोषित खेमेबाजी छिपी नहीं

खानों से रिश्ता हुआ खास-करीना कपूर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज बॉडीगार्ड की रिलीज के बाद उत्साहित हैं करीना कपूर। उन्होंने झंकार से शेयर किए कॅरियर व पर्सनल लाइफ के राज.. बॉडीगार्ड के रिलीज होने की मुझे बहुत खुशी है। इसका सभी को इंतजार था। मेरे लिए भी खास फिल्म थी। इसमें सलमान खान ने पूरे दिल से काम किया है। बहुत प्यारी फिल्म बनी है। बॉडीगार्ड इमोशनल रोमांटिक एक्शन पैक्ड फिल्म है। आम-तौर पर सलमान की फिल्में कॉमेडी या एक्शन होती हैं, इस फिल्म में हर तरह का मसाला है। नहीं देखी है तो देख लें। मैं इसे इमोशनल रोमांटिक ही कहना पसंद करूंगी। गीत से अलग है दिव्या कॅरियर के लिहाज से मेरे लिए बॉडीगार्ड का रोल जब वी मेट की टक्कर का है। आप बॉडीगार्ड की दिव्या और जब वी मेट की गीत की तुलना नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों अलग-अलग तरह की लड़कियां हैं। सलमान खान की फिल्म में लड़की को इतना काम मिल जाना काफी था। इस फिल्म की यही खूबी रही कि बहुत ही रियल तरीके से इसे शूट किया गया था। ईद के मौके पर रिलीज होने की वजह से सलमान खान और मेरे प्रशंसकों ने इसे खूब पसंद किया। सिद्दीकी ने बहुत सुंदर काम किया। बिजी हूं खानों के साथ मैं अभी पांचों खानों के साथ बिजी ह

एवरेस्ट से आगे जाना है मुझे..: करीना कपूर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज बताएं खुशी की बात है कि दस साल आपके करियर को हो रहे हैं। इसमें बहुत सारे मोमेंट्स रहे होंगे जो सेलब्रेशन के रहे होंगे, कुछ एक डिप्रेशन के भी रहे होंगे। कुछ एक ऐसे भी होंगे,जहां लगा होगा कि छोड दें इंडस्ट्री। ऐसा भी लगा होगा कभी कि नहीं अभी कुछ करना है। कैसे देखती हैं दस वर्षो के अपने सफर को? इंडस्ट्री की बच्ची हूं मैं, क्योंकि कपूर खानदान की हूं। बचपन से परिवार में सभी को फिल्मों में काम करते देखा है। सिनेमा से मेरा प्यार और लगाव फैमिली की वजह से है। डिप्रेशन के मोमेंट्स नहीं आए कभी। स्ट्रगल जरूर था। मेरा स्ट्रगल कुछ अलग तरीके का था। बाकी लडकियों का स्ट्रगल जहां खत्म होता है, मैंने वहीं से शुरू किया है। मेरी बहन करिश्मा पहले से थी। लोग जानते थे कि करिश्मा की बहन है। पहले ही से लोगों के दिमाग में बैठ गया था। रिफ्यूजी ने मेरे करियर को शुरू में ही टॉप पर डाल दिया था। अरे ये तो स्टार है, ये ये है, ये वो है। फिल्में नहीं चलीं तो भी लोगों का प्यार बना रहा। प्रेस ने कुछ और लिखना शुरू कर दिया। मेरे लिए बडी बात है कि इंडस्ट्री से ही हूं। मैं घबराई नहीं। मैंने वो जो पैशन था, जो

फिल्‍म समीक्षा : वी आर फैमिली

-अजय ब्रह्मात्‍मज क्या आप ने स्टेपमॉम देखी है? यह फिल्म 1998 में आई थी। कुछ लोग इसे क्लासिक मानते हैं। 12 सालों के बाद करण जौहर ने इसे हिंदी में वी आर फेमिली नाम से प्रोड्यूस किया है। सौतेली मां नाम रखने से टायटल डाउन मार्केट लगता न? बहरहाल, करण जौहर ने इसे आधिकारिक तौर पर खरीदा और हिंदी में रुपांतरित किया है। इस पर चोरी का आरोप नहीं लगाया जा सकता,फिर भी इसे मौलिक नहीं कहा जा सकता। इसका निर्देशन सिद्धार्थ मल्होत्रा ने किया है। इसमें काजोल और करीना कपूर सरीखी अभिनेत्रियां हैं और अर्जुन राजपाल जैसे आकर्षक अभिनेता हैं। हिंदी में ऐसी फिल्में कम बनती हैं, जिन में नायिकाएं कहानी की दिशा तय करती हों। वी आर फेमिली का नायक कंफ्यूज पति और प्रेमी है, जो दो औरतों के प्रेम के द्वंद्व में है। साथ ही उसे अपने बच्चों की भी चिंता है। 21 वीं सदी में तीन बच्चों के माता-पिता लगभग 15 सालों की शादी के बाद तलाक ले लेते हैं। तलाक की खास वजह हमें नहीं बतायी जाती। हमारा परिचय तीनों किरदारों से तब होता है जब तलाकशुदा पति के जीवन में नई लड़की आ चुकी है। पूर्व पत्‍‌नी माया और प्रेमिका श्रेया

डायरेक्टर की हीरोइन हूं मैं : करीना

पिछले साल 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के समय करीना कपूर अमेरिका के फिलाडेल्फिया में कुर्बान की शूटिंग कर रही थीं। आतंकवाद के बैकग्राउंड पर बनी यह फिल्म पिछले दिनों रिलीज हुई। इसमें उन्होंने अवंतिका की भूमिका निभाई है। करीना मानती हैं, टेररिज्म अभी दुनिया की बड़ी समस्या है और इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। करीना आगे कहती हैं, यह सोच बिल्कुल गलत है कि हर मुसलमान टेररिस्ट है। हम सभी इंसान हैं। हम सभी शांति चाहते हैं। हमारी सरकार हर तरह की सावधानी बरत रही है, लेकिन हमें भी चौकस रहने की जरूरत है। कुर्बान में निभाई अपनी भूमिका को करीना इंटेंस मानती हैं और उसे जब वी मेट, ओमकारा, देव और चमेली की श्रेणी की फिल्म कहती हैं। वे बताती हैं, अगर फिल्म में हीरोइन का रोल अच्छा हो। उसके कैरेक्टर पर काम किया गया हो, तो काम करने में मजा आता है। सिर्फ तीन गाने, तीन सीन हों, तो आप क्या परफॉर्म करेंगे? मेरी ऐसी ही कुछ फिल्मों से प्रशंसक निराश हुए हैं। दर्शकों की प्रतिक्रियाओं से मुझे एहसास हो रहा है कि जब किसी फिल्म से मेरा नाम जुड़ जाता है, तो लोग उसमें कुछ ज्यादा देखना चाहते हैं। एक उम्मीद के स

फ़िल्म समीक्षा : कु़र्बान

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धुंधले विचार और जोशीले प्रेम की कहानी -अजय ब्रह्मात्‍मज रेंसिल डिसिल्वा की कुर्बान मुंबइया फिल्मों के बने-बनाए ढांचे में रहते हुए आतंकवाद के मुद्दे को छूती हुई निकलती है। गहराई में नहीं उतरती। यही वजह है कि रेंसिल आतंकवाद के निर्णायक दृश्यों और प्रसंगों में ठहरते नहीं हैं। बार-बार कुर्बान की प्रेमकहानी का ख्याल करते हुए हमारी फिल्मों के स्वीकृत फार्मूले की चपेट में आ जाते हैं। आरंभ के दस-पंद्रह मिनटों के बाद ही कहानी स्पष्ट हो जाती है। रेंसिल किरदारों को स्थापित करने में ज्यादा वक्त नहीं लेते। अवंतिका और एहसान के मिलते ही जामा मस्जिद के ऊपर उड़ते कबूतर और शुक्रन अल्लाह के स्वर से जाहिर हो जाता है कि हम मुस्लिम परिवेश में प्रवेश कर रहे हैं। हिंदी फिल्मों ने मुस्लिम परिवेश को प्रतीकों, स्टारों और चिह्नों में विभाजित कर रखा है। इन दिनों मुसलमान किरदार दिखते ही लगने लगता है कि उनके बहाने आतंकवाद पर बात होगी। क्या मुस्लिम किरदारों को नौकरी की चिंता नहीं रहती? क्या वे रोमांटिक नहीं होते? क्या वे पड़ोसियों से परेशान नहीं रहते? क्या वे आम सामाजिक प्राणी नहीं होते? कथित रूप से सेक्युलर हिंदी फि

दो तस्वीरें:कुर्बान

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फ़िल्म समीक्षा:कमबख्त इश्क

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ऊंची दुकान, फीका पकवान -अजय ब्रह्मात्मज कोई शक नहीं कि निर्माता साजिद नाडियाडवाला पैसे खर्च करते हैं। वह अपने शौक और जुनून के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। कमबख्त इश्क की शूटिंग हालीवुड के स्टूडियो में करनी हो या फिल्म में हालीवुड के एक्टर रखने हों, वह रत्ती भर भी नहीं हिचकते। अब यह अलग बात है कि उनके लेखक और निर्देशक हिंदी फिल्म के चालू फार्मूले में हालीवुड-बालीवुड की संगति नहीं बिठा पाते। यही वजह है कि फिल्म सारी भव्यता, नवीनता और खर्च के बावजूद चूं-चूं का मुरब्बा साबित होती है। सब्बीर खान के निर्देशन में बनी कमबख्त इश्क ऊंची दुकान, फीका पकवान का ताजा उदाहरण है। फिल्म में अक्षय कुमार और करीना कपूर की जोड़ी है। दोनों हाट हैं और दोनों के चहेते प्रशंसकों की कमी नहीं है। प्रशंसक सिनेमाघरों में आते हैं और अपने पसंदीदा सितारों को कमजोर और अनगढ़ किरदारों में देख कर निराश लौटते हैं तो अपनी शर्मिदगी में किसी और को फिल्म के बारे में कुछ नहीं बताते। नतीजतन ऐसी फिल्में आरंभिक उत्साह तो जगाती हैं, लेकिन उसे जारी नहीं रख पातीं। कमबख्त इश्क अक्षय कुमार और करीना कपूर की पुरानी फिल्म टशन से कंपीटिशन कर

मन में न हो खोट तो क्यों आँख चुराएँ?

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टीवी शो बिग बॉस के अंतिम दिन मंच पर शिल्पा शेट्टी के साथ अक्षय कुमार के आने की खबर से मीडिया में उत्सुकता बनी हुई थी। लोग कयास लगा रहे थे कि महज औपचारिकता निभाई जाएगी और दोनों का व्यवहार एक-दूसरे के प्रति ठंडा रहेगा। यहां अक्षय और शिल्पा दोनों की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने शो के विजेता को जानने की जिज्ञासा बनाए रखी। अक्षय को मंच पर बुलाते समय शिल्पा की आवाज एक बार लरज गई थी। हो सकता है कि यह उस इवेंट का दबाव हो या संभव है कि पुरानी यादों से गला रुंध गया हो! मौके की नजाकत को भांपते हुए शिल्पा ने फौरन खुद को और कार्यक्रम को संभाला। बाद में दोनों ने चुहलबाजी भी की और इवेंट को रसदार बना दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था कि अंतरंग संबंध जी चुके दो व्यक्ति किसी सार्वजनिक मंच पर साथ आए हों और उन्होंने परस्पर बेरुखी नहीं दिखाई हो! औपचारिकताओं के अधीन दुश्मनों को भी हाथ मिलाते और गले लगाते हम देखते रहते हैं। ग्लैमर व‌र्ल्ड में संबंध बनते-बिगड़ते रहते हैं। कहा तो यही जाता है कि यहां यादों की गांठ नहीं बनती, लेकिन गौर करें, तो संबंध टूटने के बाद फिल्म स्टार पूर्व प्रेमियों, प्रेमिकाओं, पत्नियों और

करीना कपूर:एक तस्वीर

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इस बार सिर्फ़ एक तस्वीर करीना कपूर की.आप की टिप्पणियों का स्वागत है.क्या सोचते हैं आप? कुछ तो लिखें!

फ़िल्म समीक्षा:गोलमाल रिट‌र्न्स

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पिछली फिल्म की कामयाबी को रिपीट करने के लोभ से कम ही डायरेक्टर व प्रोड्यूसर बच पाते हैं। रोहित शेट्टी और अष्ट विनायक इस कोशिश में पिछली कामयाबी को बॉक्स ऑफिस पर भले ही दोहरा लें लेकिन फिल्म के तौर पर गोलमाल रिट‌र्न्स पहली गोलमाल से कमजोर है। ऐसी फिल्मों की कोई कहानी नहीं होती। एक शक्की बीवी है और उसका शक दूर करने के लिए पति एक झूठ बोलता है। उस झूठ को लेकर प्रसंग जुड़ते हैं और कहानी आगे बढ़ती है। कहानी बढ़ने के साथ किरदार जुड़ते हैं और फिर फिल्म में लतीफे शामिल किए जाते हैं। कुछ दर्शकों को बेसिर-पैर की ऐसी फिल्म अच्छी लग सकती है लेकिन हिंदी की अच्छी कॉमेडी देखने वाले दर्शकों को गोलमाल रिट‌र्न्स खास नहीं लगेगी। अजय देवगन संवादों के माध्यम से अपना ही मजाक उड़ाते हैं। तुषार कपूर गूंगे की भूमिका में दक्ष होते जा रहे हैं। मालूम नहीं एक कलाकार के तौर पर यह उनकी खूबी मानी जाएगी या कमी? फिल्म में अरशद वारसी की एनर्जी प्रभावित करती है। श्रेयस तलपड़े हर फिल्म में यह जरूर बता देते हैं कि वे अच्छे मिमिक्री आर्टिस्ट हैं। उन्हें इस लोभ से बचने की जरूरत है। गानों के फिल्मांकन में रोहित ने अवश्य भव्यता

अभिनेत्री करीना कपूर बनाम ब्रांड बेबो

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ताजा खबर है कि करीना कपूर ने एक साबुन के विज्ञापन के लिए करोड़ों की रकम ली है। इस तरह वह विज्ञापन से कमाई करनेवाली महंगी अभिनेत्रियों में से एक हो गई हैं। इन दिनों वह हर तरह के कंज्यूमर प्रोडक्ट के विज्ञापनों में दिख रही हैं। अभिनेत्रियों की मांग कॉस्मेटिक, पर्सनल केयर प्रोडक्ट और ज्वेलरी के विज्ञापनों में ज्यादा रहती है। करीना कपूर इस तरह के विज्ञापनों में आगे हैं। वह लाइफ स्टाइल प्रोडक्ट बेचने के लिए सबसे उपयुक्त एक्ट्रेस मानी जा रही हैं। इन दिनो फिल्म अभिनेत्रियों की कमाई का बड़ा हिस्सा विज्ञापनों से आता है। पॉपुलर एक्टर की तरह पॉपुलर एक्ट्रेस भी इस कमाई पर पूरा ध्यान दे रही हैं। बाजार में करीना कपूर की मांग बढ़ने का एक कारण यह भी है कि पिछले साल उनकी फिल्म 'जब वी मेट' जबरदस्त हिट रही। उनके कुछ प्रशंसकों को लग सकता है कि शाहिद कपूर से अलग होकर उन्होंने अच्छा नहीं किया। नैतिकता के इस प्रश्न से उनके इमेज पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उल्टा दर्शकों के बीच उनकी चाहत बढ़ गई है। हीरोइनों के सपनों में खोए दीवाने दर्शकों के लिए करीना कपूर ऐसी आइकॉन बन गयी हैं, जो किसी एक सितारे से नहीं बंध

कामयाबी की कीमत चुकाती करीना कपूर

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कामयाबी की कीमत सभी को चुकानी पड़ती है। इन दिनों करीना कपूर इसी फेज से गुजर रही हैं। दरअसल, जब वी मेट के बाद उनकी जिंदगी हर लिहाज से इसलिए बदल गई, क्योंकि सोलो हीरोइन के रूप में उनकी फिल्म रातोंरात हिट हो गई। इस फिल्म में उनके काम की तारीफ की गई और इसीलिए अब पुरस्कारों की बरसात हो रही है। अभी तक दो बड़े पुरस्कार उनकी झोली में आ चुके हैं और ऐसा माना जा रहा है कि देश-विदेश के सारे पुरस्कार इस बार अकेले करीना कपूर ही ले जाएंगी। पुरस्कारों की बात चलने पर आंतरिक खुशी से उनका चेहरा दीप्त हो उठता है। वे सूफियाना अंदाज में कहती हैं, पुरस्कारों का मिलना अच्छा लगता है। कई बार नहीं मिलने पर भी दुख नहीं होता, लेकिन यदि जब वी मेट के लिए पुरस्कार नहीं मिलता, तो जरूर बुरा लगता। करीना कपूर अभी से लेकर अगले साल के अप्रैल महीने तक व्यस्त हैं, लेकिन उन्होंने सोच रखा है कि समय से सूचना मिल गई, तो वे हर पुरस्कार लेने जाएंगी और कुछ अवार्ड समारोह में परफॉर्म भी करेंगी। करीना पर इधर बेवफाई का आरोप लगा है। कुछ लोगों की राय में उन्होंने शाहिद कपूर को छोड़ कर अच्छा नहीं किया। वास्तव में करीना के प्रशंसक आज भी सै

करीना कपूर को मिला लैपटॉप

चवन्नी पिछले दिनों गोवा में था.वहाँ रोहित शेट्टी की फिल्म गोलमाल रिटर्न्स की शूटिंग चल रही है.इस फिल्म में थोडे फेरबदल के साथ गोलमाल वाली ही तें है.शर्मन जोशी की जगह श्रेयश तलपडे आ गए हैं और अभिनेत्रियों में सेलिना जेटली,अमृता अरोरा और करीना कपूर आ गयी हैं.गोवा में एक रिसॉर्ट किराये पर लिया गया है और वहीं शूटिंग चल रही है.मुम्बई से मीडिया के चंद लोगों को वहाँ ऑन लोकेशन के लिए ले जाया गया था.होता क्या है कि जब फिल्म बन रही होती है तो पत्रकारों को शूटिंग दिखने और स्टारों से मिलवाने के लिए ले जाया जाता है.वहाँ से लौटकर सारे पत्रकार अपने-अपने हिसाब से लिखते हैं और फिल्म की जानकारी अपने पाठकों को देते हैं.चवन्नी भी गया था। इस तरह की नियमित यात्राओं मेंकुछ रोचक जानकारियां मिल जाती हैं और फिल्म स्टारों की मेहनत और हिस्सेदारी भी करीब से देखने को मिलती है.पता चलता है कि स्टारों के साथ और कितने लोगों की मदद से एक फिल्म पूरी होती है,जबकि उनमें से अधिकांश गुमनाम ही रह जाते हैं.उनका काम मोर्चे पर तैनात सैनिकों की फुर्ती में होता है.वे सबसे पहले सेट पर आते हैं और आख़िरी में जाते हैं.अरे चवन्नी भी आप

रिलीज के पहले का टूटना-जुड़ना

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चवन्नी की तरह आप भी ख़बरें पढ़ राहे होंगे कि इन दिनों शाहिद और करीना में नही निभ रही है.कहा जा रहा है कि करीना को सैफ की संगत पसंद आ रही है.दोनों गलबहियां दिए कभी किसी होटल में तो कभी मोटर बैक पर नज़र आ राहे हैं.इधर शाहिद और करीना ने अपनी ताज़ा फिल्म जब वी मेट के प्रचार के लिए साथ में शूटिंग की.उनहोंने इस मौक़े पर आपस में कोई बात नही की और मुँह फेर कर सैट पर बैठे मिले.चवन्नी को इस किस्से पर कतई यकीं नहीं है। शाहिद और करीना kee बेवफाई की इस कहानी पर यकीं इसलिये भी नही होता कि दोनों की दोस्ती चार साल पुरानी है और इस दोस्ती के लिए उनहोंने इतने ताने भी सुने हैं.शुरू में दोनों परिवारों को उनका मिलना-जुलना पसंद नही था.फिर एम् एम् एस के मामले में कैसे दोनों ने मीडिया का मिल कर मुक़ाबला किया था.निशित ही यह फिल्म क प्रचार के लिए अपनाया गया पुराना हथकंडा है। इसकी शुरुआत राज कपूर ने की थी.आपको याद होगा कि संगम की रिलीज के समय उनहोंने खुद के साथ वैजयंती माला के प्रेम के किस्से छपवाए थे.यहाँ तक कि उनके बीवी कृष्ण कपूर भी प्रचार का झूठ नही समझ सकी थीं और घर छोड कर चली गयी थीं.बाद में धर्मेंद्र,राजेश ख