'खोया खोया चांद' - रिलीज से ठीक पहले
(सुधीर मिश्र ने यह पोस्ट खोया खोया चांद की रिलीज से एक दिन पहले पैशन फॉर सिनेमा पर लिखा था.चवन्नी चाहता है कि उसके पाठक और सिनेमा के आम दर्शक इसे पढें और खोया खोया चांद देखें.निर्देशक सुधीर मिश्र के इस आलेख से फिल्म की मंशा समझ में आती है। ) इसके पहले के पोस्ट में मैंने 'खोया खोया चांद' बनाने के कुछ कारणों की बात की थी. उस पोस्ट के टिप्पणीकारों के साथ ईमेल पर मेरा संपर्क रहा है. कल मेरी फिल्म रिलीज हो रही है. इस फिल्म के बारे में मेरे कुछ और विचार... 'खोया खोया चांद' में मैंने एक ऐसी कहानी ली है, जिसे छठे दशक का कोई भी फिल्मकार बना सकता था. हां, मैं उस समय की नैतिकता और तकनीक से प्रभावित नहीं हूं. इसलिए हर सीन में मैं थोड़ा लंबा गया हूं, जबकि उस दौर के फिल्मकार थोड़ा पहले कट बोल देते. मेरे खयाल में आप तभी ईमानदारी से फिल्म बना सकते हैं, जब उनके साथ घटी घटनाओं में खुद को रख कर देखें... आप क्या करते? क्योंकि आप केवल खुद को ही सबसे अच्छी तरह जानते हैं. 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' में वस्तुगत सत्य का चित्रण था. इस फिल्म में अंतर का सत्य है. उनमें से अधिकांश अपने प्रेत