सुकून नहीं चाहता-नवाजुद्दीन सिद्दीकी




-अजय ब्रह्मात्‍मज
नवाजुद्दीन सिद्दीकी फ्रीकी अली में अली की शीर्षक भूमिका निभा रहे हैं। सोहेल खान निर्देशित इस फिल्‍म में नवाज की शीर्षक और केंद्रीय भूमिका है। उनके साथ अरबाज खान भी हैं। गोल्‍फ के पृष्‍ठभूमि में बनी फ्रिकी अली एक साधारण नौजवान की कहानी है, जो चुनौती मिलने पर हैरतअंगेज काबिलियत प्रदर्शित करता है।
-अली की अपनी दुनिया क्‍या है ?
0 अली की छोटी दुनिया है। उसके कोई बड़े ख्‍वाब नहीं हैं। व‍ह ऐसे माहौल में फंस जाता है कि उसे कुछ कमाल करना पड़ता है। वह साधारण नौजवान है। छोटे-मोटे काम से खुश रहता है। एक संयोग बनता है तो उसे गोल्‍फ खेलना पड़ता है। उसके अंदर टैलेंट छिपा है। वह कुछ भी कर सकता है। गोल्‍फ खेलता है तो वहां भी चैंपियन बन जाता है।
-निर्देशक सोहेल खान ने अली के लिए क्‍या दायरा दिया?
0 वह अनाथ था। एक औरत को वह मिला। उसकी जिंदगी अपनी आई(मां) तक ही महदूद है। दोनों एक-दूसरे को दिल-ओ-जान से चाहते हैं। उसकी आई उससे तंग रहती है। गलत सोहबत में वह गलत काम भी कर लेता है। वह अपने माहौल और दायरे से बाहर नहीं निकलना चाहता। मेरी आई की भूमिका सीमा विश्‍वास निभा रही हैं।
- सीमा विश्‍वास के साथ पहले कभी रंगमंच या स्‍क्रीन शेयर किया है आप ने?
0 उनके साथ मैंने 2009 में पतंग नामक फिल्‍म की थी। उस दौरान उनके साथ काफी घूमना भी हुआ था। हमलोग अमेरिका गए थे। मेरी फेवरिट आर्टिस्‍ट रही हैं। बैंडिट क्‍वीन किसे नहीं याद है? बतौर कलाकार मैं उनका बहुत आदर करता हूं1
-कभी ऐसा लगता है क्‍या कि उन्‍हें फिल्‍म इंडस्‍ट्री ने पर्याप्‍त मौके नहीं दिए?
0 बिल्‍कुल। सीमा जी के बारे में मैं भी मानता हूं कि उनकी योग्‍यता का  उपयोग नहीं हो पाया। थिएटर से आए समर्थ कलाकारों को बेहतरीन मौके मिलने चाहिए। और थिएटर ही क्‍यों? कहीं से भी आए डिजर्विग एक्‍टर को मौके मिलने चाहिए। अपनी जिंदगी में ऐसे कई एक्‍टर देखे हैं,जिन्‍हें अवसर नहीं मिल सके। विजय शुक्‍ला एक एक्‍टर थे। उन्‍हें मौके नहीं मिले। हो सकता है इसमें उनकी अपनी कमियां भी रही हों। उन्‍होंने फिल्‍मों में आने पर ध्‍यान नहीं दिया। वे मेरे आयडियल स्‍टार थे एक्टिंग के।
-कुछ कलाकार क्‍यों इतने पागल और सनकी होते हैं? वे दुनियादारी नहीं समझ पाते।
0 मुझे लगता है कि कुछ कलाकारों को पागल और सनकी रहना चाहिए। सभी गणित के समीकरण से चलने लगें तो दुनिया एकरूप और बदसूरत हो जाएगी। ऐसे लोग हम सामान्‍य लोगों के लिए चे पाइंट होते हें। कई बार उन्‍हें अपने टैलेंट का अहसास नहीं रहता। मैंने यह भी देखा है कि अहसास रहने पर भी वे अपनी अकड़ में उसे जताना नहीं चाहते। वे कमर्शियल नहीं हो पाते।
- फ्रिकी अली कैसे आप के पास आई? कैसे संयोग बना?
0 सोहेल के पास यह आयडिया था। बजरंगी भाईजान के सेट पर वे मुझ से मिलने आए थे,लेकिन मैं निकल चुका था। फिर फोन पर बात हुई। मैं उनके ऑफिस गया। आयडिया सुना तो मैं राजी हो गया।
- अह अभी तक आप के निभाए किरदारों से किस तरह अलग है?
0 हर रोल अलग होता है। मैंने पर्दे पर फुल कामेडी नहीं की है। स्‍टेज पर मैं ल्रंबे समय तक कामेडी करता रहा हूं1 मुंबई आ रहा था तो मेरे टीचर अंकुर जी ने कहा था कि मुंबई जाकर फिल्‍मों में कामेडी मत करना। यहां आने पर मैंने कामेडी सीरियन मना कर दिए। मैंने अपने इस पहलू को छिपा रखा था। इस फिल्‍म में मेरा वह पहलू खुले रूप में दिखेगा। मेरे लिए बहुत आसान रहा अली को निभाना।
-अरबाज खान के साथ कैसे निभी? आप दोनों तो एक्टिंग के अलग स्‍कूलों से आए हैं।
0 शुरू के दो दिनों में चंद दृश्‍यों में ऐसा हुआ। हमारे सुर अलग और बेमेल रहे। बाद में सब कुछ मेल में आ गया। हम दोनों एक ही पेज पर आ गए। सेट का माहौल ऐसा था कि हम घुलमिल गए।
-अभी दर्शकों के बीच आप की जबरदस्‍त स्‍वीकृति है। वे आप के प्रेम में पड़े हैं। क्‍या यह कोई जिम्‍मेदारी देता है?
0 मैं दर्शकों के प्रेम का कभी लाभ नहीं उठाऊंगा। और न उन्‍हें कभी टेकेन फॉर ग्रांटेड लूंगा। मैं आदतन अपने किरदारों को जिम्‍मेदारी के साथ निभाता रहूंगा। मुझे इसी में मजा आता है1 आप सही कह रहे हैं ऐसी स्‍वीकृति और लोकप्रियता में कलाकार बहक जाते हैं। सच कहूं तो मैं खुद को सुकून नहीं देना चाहता। मैं खुद को मुश्किलों में डालता रहूंगा। अभी नंदिता दास के लिए मुटो करूंगा तो वह बिल्‍कुल अलग किरदार होगा। मंटो में आप को नवाज बिल्‍कुल नहीं दिखेगा।

Comments

Popular posts from this blog

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को

फिल्‍म समीक्षा : एंग्री इंडियन गॉडेसेस

सिनेमाहौल : निर्माताओं का अतिरिक्त खर्च