जहर खाने की मजबूरी
मैं उन लोगों में शामिल नहीं हूं जो सब्जियां और खाने-पीने की दूसरी चीजें खरीदने बाजार जाते हैं। दरअसल मेरा मौजूदा पेशा मुङो इस सुविधा की इजाजत नहीं देता, लेकिन मुङो याद है कि जब मैं बच्चा था तो अपनी मम्मी और आंटी के साथ अक्सर बाजार जाता था। मुङो यह भी याद है कि तब मुङो कितनी बोरियत होती थी, क्योंकि मम्मी और आंटी को सब्जियां और फल छांटने में घंटों लगते थे। वे बड़ी रुचि के साथ सब्जियों और खाने-पीने की गुणवत्ता पर बहस करती थीं और खामियों की ओर इशारा करती थीं और सबसे बढ़िया क्वालिटी पर जोर देती थीं। वे लगातार अलग विक्रेताओं की सब्जियों और फलों की तुलना करती रहती थीं। जब यह सब होता था उस समय मेरे दोस्त क्रिकेट खेलने के लिए मेरा इंतजार कर रहे होते थे। आज जब मैं खार मार्केट के पास से गुजरता हूं तब मुङो सब्जियां, फल और खाने-पीने की चीजें खरीद रही महिलाएं ठीक वही करती नजर आती हैं जो तब मेरी मम्मी और आंटी किया करती थीं। उन्हें देखकर मैं अपने पुराने दिनों में लौट जाता हूं जब मुङो भारी-भारी बैग उठाने पड़ते थे। आखिर हमारे घर के बड़े लोगों को कितना समय खाने-पीने की ताजा सामग्री छांटने