फिल्म समीक्षा : स्पेशल छब्बीस
-अजय ब्रह्मात्मज तकरीबन 25 साल पहले साधारण और सामान्य परिवारों से आए चार व्यक्ति मिल कर देश भर में भ्रष्ट लोगों को लूटने और ठगने के काम में सफल रहते हैं। अपने अंतिम मिशन में वे 'स्पेशल छब्बीस' टीम बनाते हैं और अलर्ट सीबीआइ ऑफिसर वसीम (मनोज बाजपेयी) की आंखों में धूल झोंकने में सफल होते हैं। 'ए वेडनेसडे' से विख्यात हुए नीरज पांडे की दूसरी फिल्म है 'स्पेशल छब्बीस'। पिछली बार विषय और शिल्प दोनों में संजीदगी थी। इस बार विषय हल्का है। उसकी वजह से शिल्प अधिक निखर गया है। अजय (अक्षय कुमार), शर्माजी (अनुपम खेर), जोगिन्दर (राजेश शर्मा) और इकबाल (किशोर कदम) देश के चार कोनों में बसे ठग हैं। चारों अपने परिवारों में लौटते हैं तो हम पाते हैं कि वे आम मध्यमवर्गीय परिवारों से हैं। अमीर बनने का अपने हिसाब से उन्होंने ठगी का सुरक्षित रास्ता चुना है। वे बड़ी सफाई से अपना काम करते हैं। कोई सुराग नहीं छोड़ते। फिल्म में उनकी तीन ठगी दिखाई गई है, लेकिन अपनी 50वीं ठगी के लिए उन्होंने 'स्पेशल छब्बीस' का गठन किया है। बड़ा हाथ मार कर वे चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं।