हिन्दी टाकीज:सिनेमा ने मुझे बहुत आकर्षित किया-तनु शर्मा
हिन्दी टाकीज-३२ तनु शर्मा ने यह पोस्ट अपने ब्लॉग महुआ पर लिखी थी.पिछले महीने २४ मार्च को आई यह पोस्ट चवन्नी को हिन्दी टाकीज सीरिज़ के लिए उपयुक्त लगी थी.चवन्नी ने उनसे अनुमति मांगी.तनु ने उदारता दिखाई और अनुमति दे दी। चवन्नी को उनकी तस्वीर चाहिए थी.संपर्क नहीं हो सका तो महुआ से ही यह तस्वीर ले ली.वहां तनु ने अपने बारे में लिखा है...अपने ख्वाबों को संवारती, अपने वजूद को तलाशती, अपने जन्म को सार्थक करने की कोशिश करती,मैं,सिर्फ मैं....... कल रात ब्रजेश्वर मदान सर ने एक मैसेज भेजा था....सिनेमा पर....(वही मदान सर जिन्हें सिनेमा पर लिखने के लिए पहले नेशनल एवॉर्ड से नवाज़ा गया )उसमें लिखा था....शेक्सपियर ने दुनिया को रंगमंच की तरह देखा....जहां हर आदमी अपना पार्ट अदा करके चला जाता है...सिनेमा तब नहीं था...जहां आदमी नहीं उसकी परछाईं होती है.....बाल्कनी...,रियर-स्टॉल....,ड्रैस सर्कल....या फ्रन्ट बैंच पर बैठा वो...परछाईयों में ढूंढता हैं...अपनी परछाईं....कहीं मिल जाए तो उसके साथ हंसता है...रोता है...सिनेमा की इस दुनिया में अपना जिस्म भी पराया होता है....फिल्म खत्म होने के बाद जब....ढूंढता है अप