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फिल्‍म समीक्षा : बैंजो

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मराठी फ्लेवर -अजय ब्रह्मात्‍मज मराठी फिल्‍मों के पुरस्‍कृत और चर्चित निर्देशक रवि जाधव की पहली हिंदी फिल्‍म है ‘ बैंजो ’ । उन्‍होंने मराठी में ‘ बाल गंधर्व ’ , ‘ नटरंग ’ और ‘ बालक पालक ’ जैसी फिल्‍में निर्देशित की हैं। इनमें से ‘ बालक पालक ’ के निर्माता रितेश देशमुख थे। प्रोड्यूसर और डायरेक्‍टर की परस्‍पर समझदारी और सराहना ही ‘ बैंजो ’ की प्रेरणा बनी। इसके साथ ही दोनों मराठी हैं। ‘ बैंजो ’ के विषय और महत्‍व को दोनों समझते हैं। लेखक-निर्देशक रवि जाधव और एक्‍टर रितेश देशमुख की मध्‍यवर्गीय परवरिश ने बैंजो को फिल्‍म का विषय बनाने में योगदान किया। बैंजो निम्‍न मध्‍यर्गीय वर्ग के युवकों के बीच पॉपुलर सस्‍ता म्‍यूजिकल इंस्‍ट्रूमेंट है। महाराष्‍ट्र के साथ यह देश के दूसरे प्रांतों में भी लोकप्रिय है। मुंबई में में इसकी लोकप्रियता के अनेक कारणों में से सार्वजनिक गणेश पूजा और लंबे समय तक मिल मजदूरों की रिहाइश है। निर्देशक रवि जाधव और निर्माता कृषिका लुल्‍ला को बधाई। ’ बैंजो ’ की कहानी कई स्‍तरों पर चलती है। तराट(रितेश देशमुख),ग्रीस(धर्मेश येलांडे),पेपर(आदित्‍य कुमार) और वाजा(

सीक्‍वेल हों गई जिंदगी - रितेश देशमुख

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-अजय ब्रह्मात्‍मज रितेश अभी कोई शूटिंग नहीं कर रहे हैं। उनकी दाढ़ी बढ़ रही है। खास आकार में बढ़ रही है। पूछने पर वह बताते हैं, ’ छोड़ दी है। हां,एक शेप दे रहा हूं। मराठी में ‘ छत्रपति शिवाजी महाराज ’ फिल्‍म करने वाला हूं1 उसका लुक टेस्‍ट चलता रहता है। अभी वह फिल्‍म लिखी जा रही है। उस फिल्‍म की स्क्रिप्‍ट पूरी होगी,तभी शूट पर जा सकते हैं। उसमें वीएफएक्‍स वगैरह भी रहेगा। यह मेरी पहली पीरियड फिल्‍म होगी। ‘ रितेश देशमुख की ‘ बैंजो ’ आ रही है। मराठी फिल्‍मों के निर्देशक रवि जाधव ने इसे निर्देशित किया है। फिल्‍म में लाल रंग मुखर है। रितेश वजह बताते हैं, ’ फिल्‍म में पहले पानी का इस्‍तेमाल होना था। महाराष्‍ट्र में सूखे की वजह से उसे हम ने गुलाल में बदल दिया। पोस्‍टर और प्रोमो में गुलाल का वही लाल रंग दिख रहा है। बैंजो एक ऐसा इंस्‍ट्रुमेंट है कि उसकी धुन पर लोग थिरकने लगते हैं। उल्‍लास छा जाता है। त्‍योहारों और खुशी के मौकों पर यह बजाया जाता है। बैंजो बजाने वाले भी रंगीन और खुश मिजाज के होते हैं। ‘ निर्देशक रवि जाधव के साथ रितेश देशमुख का पुराना संपर्क रहा है। दोनों मराठी है

दिल से छेड़े हैं बैंजो के तार

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-अजय ब्रह्मात्‍मज रवि जाधव मराठी फिल्‍मों के सफल निर्देशक हैं। ‘ बैंजो ’ उनकी पहली हिंदी फिल्‍म है। -बताएं कि ‘ बैंजो ’ की कैसे और कब शुरूआत हुई ? 0 2010 में मेरी पहली फिल्‍म ‘ नटरंग ’ मराठी में रिलीज हुई थी। वह एक तमाशा कलाकार पर थी। उस फिल्‍म के सिलसिले में मैं शोलापुर गया था। वहां मैंने देखा कि भरी दोपहरी में एक ग्रुप बैंजो बजा रहा है और लोग खुश होकर पैसे फेंक रहे हैं। वे मुंह से पैसे उठा रहे हैं। मुझ अजीब सा लगा। मुझे यह अपमानजनक लगा। वही खटका मुझे ‘ बैंजो ’ तक ले आया। रिसर्च करने पर पता चला कि पूरे देश में बैंजो किसी न किसी रूप में प्रचलित है। बाकी म्‍यूजिकल इंस्‍ट्रूमेंट बजाने वालों को आदर-सम्‍मान मिलता है,लेकिन बैंजो बजानेवालों को वही सम्‍मान नहीं मिलता। - आप के रिसर्च में क्‍या मिला ? 0 मैंने पाया कि बैंजोवादक इज्‍जत के भूखे हैं। शादी में उन्‍हें पंगत में नहीं बैठने दिया जाता। पैसे देकर बाहर से ही भेज दिया जाता है। मैंने यह सोच कर फिल्‍म लिखी कि अगर पेट के बजाए ये लोग दिल से बैंजो बजाने लगें तो क्‍या होगा ? फिल्‍म का यही सार है। - फिल्‍म में रितेश