इस पागल दुनिया में सच्चा सरल आदमी ही पागल लगता है-किशोर कुमार
कुछ समय पहले यह इंटरव्यू अंग्रेजी में चवन्नी पर आ चुका है। अभी यह हिंदी में आया है। मोहल्ला लाइव से साधिकार यहां प्रस्तुत है गायक-अभिनेता किशोर कुमार से पत्रकार प्रीतीश नंदी की बातचीत यह एक दिलचस्प बातचीत है। अपनी तरह के अकेले और बेमिसाल गायक-अभिनेता किशोर कुमार से यह बातचीत पत्रकार प्रीतीश नंदी ने की थी। प्रीतीश के औपचारिक-पेशेवर सवालों का जवाब जितनी खिलंदड़ सहजता के साथ किशोर कुमार दे रहे हैं, उससे पता चलता है कि अपनी चरम लोकप्रियता का कोई बोझ वह अपने साथ लेकर नहीं चलते। इस बातचीत से यह भी पता चलता है कि एक महान रचनात्मक आदमी दुनियावी अर्थों में सफल होने के बाद भी अपना असल व्यक्तित्व नहीं खोता। यह इंटरव्यू पहली बार इलेस्ट्रेटेड वीकली के अप्रैल 1985 अंक में छपा था। इसका अनुवाद करके हिंदी में उपलब्ध कराने का श्रेय रंगनाथ सिंह को जाता है और सुना है कि ये अहा जिंदगी के जून अंक में प्रकाशित भी हुआ है: मॉडरेटर मैंने सुना है कि आप बंबई छोड़ कर खंडवा जा रहे हैं… इस अहमक, मित्रविहीन शहर में कौन रह सकता है, जहां हर आदमी हर वक्त आपका शोषण करना चाहता है? क्य