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इस पागल दुनिया में सच्‍चा सरल आदमी ही पागल लगता है-किशोर कुमार

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कुछ समय पहले यह इंटरव्‍यू अंग्रेजी  में चवन्‍नी पर आ चुका है। अभी यह हिंदी में आया है। मोहल्‍ला लाइव से साधिकार यहां प्रस्‍तुत है  गायक-अभिनेता किशोर कुमार से पत्रकार प्रीतीश नंदी की बातचीत यह एक दिलचस्‍प बातचीत है। अपनी तरह के अकेले और बेमिसाल गायक-अभिनेता किशोर कुमार से यह बातचीत पत्रकार प्रीतीश नंदी ने की थी। प्रीतीश के औपचारिक-पेशेवर सवालों का जवाब जितनी खिलंदड़ सहजता के साथ किशोर कुमार दे रहे हैं, उससे पता चलता है कि अपनी चरम लोकप्रियता का कोई बोझ वह अपने साथ लेकर नहीं चलते। इस बातचीत से यह भी पता चलता है कि एक महान रचनात्‍मक आदमी दुनियावी अर्थों में सफल होने के बाद भी अपना असल व्‍यक्तित्‍व नहीं खोता। यह इंटरव्यू पहली बार इलेस्‍ट्रेटेड वीकली के अप्रैल 1985 अंक में छपा था। इसका अनुवाद करके हिंदी में उपलब्‍ध कराने का श्रेय रंगनाथ सिंह को जाता है और सुना है कि ये अहा जिंदगी के जून अंक में प्रकाशित भी हुआ है: मॉडरेटर मैंने सुना है कि आप बंबई छोड़ कर खंडवा जा रहे हैं… इस अहमक, मित्रविहीन शहर में कौन रह सकता है, जहां हर आदमी हर वक्त आपका शोषण करना चाहता है? क्य

किशोर कुमार से प्रीतिश नंदी की बातचीत (1985)

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Source: The Illustrated Weekly of India 28 August, 1985 ( 2 yrs before Kishore Kumar's death)  Interviewer: Pritish Nandy ..... PN: I understand you are quitting Bombay and going away to Khandwa… KK: Who can live in this stupid, friendless city where everyone seeks to exploit you every moment of the day? Can you trust anyone out here? Is anyone trustworthy? Is anyone a friend you can count on? I am determined to get out of this futile rat race and live as I've always wanted to. In my native Khandwa, the land of my forefathers. Who wants to die in this ugly city? PN: Why did you come here in the first place? KK: I would come to visit my brother Ashok Kumar. He was such a big star in those days. I thought he could introduce me to KL Saigal who was my greatest idol. People say he used to sing through his nose. But so what? He was a great singer. Greater than anyone else. PN: I believe you are planning to record an album of famous Saigal songs…. KK: They asked

हाफ टिकट :किशोर कुमार की फ़िल्म

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चवन्नी ने आज ही हाफ टिकट देखी है। किशोर कुमार और मधुबाला की यह फिल्म 1962 में बनी थी। फिल्म के लेखक-निर्देशक कालिदास थे। सलिल चौधरी ने शैलेन्द्र के गीतों को धुनों से सजाया था। इस फिल्म का हर गीत निराला और अपारंपरिक था। 'आ के सीधे दिल पे लगी कटरिया ' युगल गीत है। किशोर कुमार ने सलिल चौधरी को बड़ी मुश्किल से राजी किया था कि स्त्री और पुरुष दोनों ही स्वरों के लिए उन्हीं की आवाज इस्तेमाल की जाए। किशोर कुमार का यह गीत बेहद लोकप्रिय हुआ था। वे अपने स्टेज प्रोग्राम में इस गीत को अवश्य गाते थे। 'हाफ टिकट' विजय नामक युवक की कहानी है, जो नियमित जिंदगी नहीं जी सकता। उसके फितूरों से परेशान होकर पिता उसे घर से निकाल देते हैं। उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह मंबई का टिकट भी खरीद सके। वह हाफ टिकट लेता है और बारह साल के मोटे-तगड़े लड़के का वस्त्र धारण करता है। वह ऐसा बच्चा, जिसका शरीर बड़ा हो गया है, लेकिन दिमाग किसी बच्चे का ही है। सफर शुरू होने के समय ही एक बदमाश किस्म का व्यक्ति विजय का चाचा बन जाता है और उसकी जेब में दो लाख का हीरा डाल देता है। पुलिस के डर से वह ऐसा करता है। बाद