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फिल्‍म समीक्षा : किल दिल

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  भारतीय समाज और समाज शास्त्र में बताया जाता रहा है कि मनुष्य के स्वभाव और सोच पर परवरिश और संगत का असर होता है। जन्म से कोई अच्छा-बुरा नहीं होता। इस धारणा और विषय पर अनेक हिंदी फिल्में बन चुकी हैं। शाद अली ने इस मूल धारणा का आज के माहौल में कुछ किरदारों के जरिए पेश किया है। शाद अली की फिल्मों का संसार मुख्य रूप से उत्तर भारत होता है। वे वहां के ग्रे शेड के किरदारों के साथ मनोरंजन रचते हैं। इस बार उन्होंने देव और टुटु को चुना है। इन दोनों की भूमिकाओं में रणवीर सिंह और अली जफर हैं।             क्रिमिनल भैयाजी को देव और टुटु कचरे के डब्बे में मिलते हैं। कोई उन्हें छोड़ गया है। भैयाजी उन्हें पालते हैं। आपराधिक माहौल में देव और टुटु का पढ़ाई से ध्यान उचट जाता है। वे धीरे-धीरे अपराध की दुनिया में कदम रखते हैं। भैयाजी के बाएं और दाएं हाथ बन चुके देव और टुटु की जिंदगी मुख्य रूप से हत्यारों की हो गई है। वे भैयाजी के भरोसेमंद शूटर हैं। सब कुछ ठीक चल रहा है। एक दिन उनकी मुलाकात दिशा से हो जाती है। साहसी दिशा पर देव का दिल आ जाता है। किलर देव के दिल में प्रेम

खुशियां बांटता हूं मैं-रणवीर सिंह

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-अजय ब्रह्मात्मज     रणवीर सिंह से यह बातचीत शुरु ही होने जा रही थी कि उन्हें रितिक रोशन का एसएमएस मिला,जिसमें उन्होंने रणवीर सिंह को ‘बैंग बैंग डेअर’ के लिए आमंत्रित किया था। रणवीर सिंह ने बातचीत आरंभ करने के पहले उनका चैलेंज स्वीकार किया। उन्होंने झट से अपनी मैनेजर को बुलाया और आवश्यक तैयारियों का निर्देश दिया। अचानक उनकी घड़ी पर मेरी नजर पड़ी। रात के बारह बजे उनकी घड़ी में 6 बजने जा रहे थे। सहज जिज्ञासा हुई कि उनकी घड़ी छह घंटे आगे है या छह घंटे पीछे? झुंझला कर उन्होंने हाथ झटका और कहा,‘मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मेरी घड़ी स्लो क्यों हो जा रही है? यह तो अपशकुन है। ‘फाइंडिंग फैनी’ के कैमियो रोल के लिए मुझे यह घड़ी गिफ्ट में मिली थी। होमी अदजानिया से पूछना होगा। उनकी फिल्म तो निकल गई। यह घड़ी क्यों स्लो हो गई?’ रणवीर सिंह बताते हैं कि होमी बड़े ही फनी मिजाज के हैं। उनके साथ फिल्म करने में मजा आएगा।     एनर्जी से भरपूर रणवीर सिंह कभी गंभीर मुद्रा में नहीं रहते। गंभीर सवालों के जवाब में भी उनकी हंसी फूट पड़ती है। ऐसा लगता है कि वे बहुत सोच-समझ कर जवाब नहीं देते,लेकिन गौर करें त