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क्यों अपने आप से खफ़ा खफ़ा जरा जरा सा नाराज़ है दिल

आज शब जो चांद ने है रुठने की ठान ली गर्दिशों में हैं सितारे बात हम ने मान ली अंधेरी स्याह ज़िन्दगी को सूझती नहीं गली कि आज हाथ थाम लो एक हाथ की कमी खली क्यों खोया खोया चांद की फ़िराक में तलाश में उदास है दिल क्यों अपने आप से खफ़ा खफ़ा जरा जरा सा नाराज़ है दिल ये मन्ज़िले भी खुद ही तय करे ये रास्ते भी खुद ही तय करे क्यों तो रास्तों पे फिर सहम सहम के संभल संभल के चलता है ये दिल क्यों खोया खोया चांद की फ़िराक में तलाश में उदास है दिल क्या आप इन पंक्तियों को सुन चुके हैं.सुधीर मिश्र की नयी फिल्म खोया खोया चाँद का यह गीत खूब पसंद किया जा रहा है.इसे स्वानंद किरकिरे ने लिखा है और संगीत शांतनु मोइत्रा का है.अगर आप पूरा गीत पढना चाहते हैं तो बताएं.चवन्नी शाम तक यह भी करेगा.सुधीर मिश्र की फिल्म छठे दशक की याद दिलाएगी.शांतनु ने संगीत और स्वानंद ने शब्दों से उस दशक को जिंदा कर दिया है.फिल्म इंडस्ट्री के इन जवान प्रतिभाओं को सलाम.शांतनु बनारस से ताल्लुक रखते हैं तो स्वानंद इंदौर के हैं। सुधीर मिश्र ने इन्हें हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी... में मौका दिया था .तब से दोनों लगातार आगे ही बढ़ते जा रहे हैं.शुक्र है कि