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फिल्‍म समीक्षा : अलीगढ़

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साहसी और संवेदनशील अलीगढ़ -अजय ब्रह्मात्‍मज हंसल मेहता की ‘ अलीगढ़ ’ उनकी पिछली फिल्‍म ‘ शाहिद ’ की तरह ही हमारे समकालीन समाज का दस्‍तावेज है। अतीत की घटनाओं और ऐतिहासिक चरित्रों पर पीरियड फिल्‍में बनाना मुश्किल काम है,लेकिन अपने वर्त्‍तमान को पैनी नजर के साथ चित्रबद्ध करना भी आसान नहीं है। हंसल मेहता इसे सफल तरीके से रच पा रहे हैं। उनकी पीढ़ी के अन्‍य फिल्‍मकारों के लिए यह प्रेरक है। हंसल मेहता ने इस बार भी समाज के अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के व्‍यक्ति को चुना है। प्रोफेसर सिरस हमारे समय के ऐसे साधारण चरित्र हैं,जो अपनी निजी जिंदगी में एक कोना तलाश कर एकाकी खुशी से संतुष्‍ट रह सकते हैं। किंतु हम पाते हैं कि समाज के कथित संरक्षक और ठेकेदार ऐसे व्‍यक्तियों की जिंदगी तबाह कर देते हैं। उन्‍हें हाशिए पर धकेल दिया जाता है। उन पर उंगलियां उठाई जाती हैं। उन्‍हें शर्मसार किया जाता है। प्रोफेसर सिरस जैसे व्‍यक्तियों की तो चीख भी नहीं सुनाई पड़ती। उनकी खामोशी ही उनका प्रतिकार है। उनकी आंखें में उतर आई शून्‍यता समाज के प्रति व्‍यक्तिगत प्रतिरोध है। प्रोफेसर सिरस अध्‍ययन-अध्‍यापन स

जीवन में संतुष्‍ट होना बहुत जरूरी : राजकुमार राव

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-अजय ब्रह्मात्‍मज   प्रतिभावान राजकुमार राव की अगली पेशकश ‘अलीगढ़़’ है। समलैंगिक अधिकारों व व्‍यक्ति की निजता को केंद्र में लेकर बनी इस फिल्‍म में राजकुमार राव पत्रकार दीपू सेबैस्टिन की भूमिका में हैं। दीपू न्‍यूज स्‍टोरी को सनसनीखेज बनाने में यकीन नहीं रखता। वह खबर में मानव अधिकारों को पुरजोर तरीके से रखने का पैरोकार है।   राजकुमार राव अपने चयन के बारे में बताते हैं, ‘दीपू का किरदार तब निकला, जब मनोज बजापयी कास्ट हो रहे थे। उस वक्‍त हंसल मेहता सर की दूसरे एक्टरों से भी बातें हो रही थीं। नवाज से बातें हुईं। और भी एक्टरों के नाम उनके दिमाग में घूम रहे थे। जैसे कि नाना पाटेकर। वह सब केवल दिमाग में चल रहा था। तब दीपू का किरदार फिल्म में था ही नहीं। जहन में भी नहीं थी। केवल एक हल्का स्केच दिमाग में था। जब स्क्रिप्ट तैयार हुई तब पता चला कि दीपू तो प्रिंसिपल   कास्ट है। जैसे वो बना हंसल ने तय कर लिया कि यह राजकुमार राव का रोल है। हंसल मेहता के मुताबिक उन्‍हें मेरे बिना फिल्म बनाने की आदत नहीं है। दरअसल हम दोनों की जो कला है, कला में आप विस्तार करते हो। अपने भीतर के कलाकार को उ

किरदार ने निखारा मेरा व्‍यक्तित्‍व - मनोज बाजपेयी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज ‘ अलीगढ़ ’ का ट्रेलर आने के बाद से ही मनोज बाजपेयी के प्रेजेंस की तारीफ हो रही है। ऐसा लग रहा है कि एक अर्से के बाद अभिनेता मनोज बाजपेयी अपनी योग्‍यता के साथ मौजूद हैं। वे इस फिल्‍म में प्रो. श्रीनिवास रामचंद्र सिरस की भूमिका निभा रहे हैं। - इस फिल्‍म के पीछे की सोच क्‍या रही है ? 0 एक आदमी अपने एकाकी जीवन में तीन-चार चीजों के साथ खुश रहना चाहता है। समाज उसे इतना भी नहीं देना चाहता। वह अपनी अकेली लड़ाई लड़ता है। मेरी कोशिश यही रही है कि मैं दुनिया के बेहतरीन इंसान को पेश करूं। उसकी अच्‍छाइयों को निखार कर लाना ही मेरा उद्देश्‍य रहा है। -किन चीजों के साथ खुश रहना चाहते थे प्रोफेसर सिरस ? 0 वे लता मंगेशकर को सुनते हैं। मराठी भाषा और साहित्‍य से उन्‍हें प्रेम है1 वे कविताओं में खुश रहते हैं। अध्‍ययन और अध्‍यापन में उनकी रुचि है। वे अलीगढ़ विश्‍वविद्यालय औा अलीगढ़ छोड़ कर नहीं जाना चाहते। वे अपनी जिंदगी अलग ढंग से जीना चाहते हैं। -एक अंतराल के बाद आप ऐसी प्रभावशाली भूमिका में दिख रहे हैं ? 0 अंतराल इसलिए लग रहा है कि मेरी कुछ फिल्‍में रिलीज नहीं ह

अभिनेता राजकुमार राव और निर्देशक हंसल मेहता की बातचीत

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– अजय ब्रह्मात्‍मज ( हंसल मेहता और राजकुमार राव की पहली मुलाकात ‘ शाहिद ’ की कास्टिंग के समय ही हुई थी। दोनों एक-दूसरे के बारे में जान चुके थे,लेकिन कभी मिलने का अवसर नहीं मिला। राजकुमार राव बनारस में ‘ गैंग्‍स ऑफ वासेपुर ’ की शूटिंग कर रहे थे तब कास्टिंग डायरेक्‍टर मुकेश छाबड़ा ने उन्‍हें बताया था कि हंसल मेहता ‘ शाहिद ’ की प्‍लानिंग कर रहे हैं। राजकुमार खुश हुएफ उन्‍हें यह पता चला कि लीड और ऑयोपिक है तो खुशी और ज्‍यादा बढ़ गई। इधर हंसल मेहता को उनके बेटे जय मेहता ने राजकुमार राव के बारे में बताया। वे तब अनुराग कश्‍यप के सहायक थे। एक दिन मुकेश ने राजकुमार से कहा कि जाकर हंसल मेहता से मिल लो। मुकेश ने हंसल को बताया कि राजकुमार मिलने आ रहा है। तब तक राजकुमार उनके दफ्तर की सीढि़यां चढ़ रहे थे। हंसल मेहता के पास मिलने के सिवा कोई चारा नहीं था। दोनों मानते हैं कि पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच रिश्‍ते की बिजली कौंधी। अब तो हंसल मेहता को राजकुमार राव की आदत हो गई है और राजकुमार राव के लिए हंसल मेहता डायरेक्‍टर के साथ और भी बहुत कुछ हैं।) राजकुमार राव और हंसल मेहता क