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फिल्‍म समीक्षा : बागी 2

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फिल्‍म समीक्षा एक्‍शन भरपूर,इमोशन कर्पूर बागी 2 -अजय ब्रह्मात्‍मज   ‘बागी 2’ देखते हुए मुझे जुहू चौपाटी पर घोड़े पर घूमते बच्‍चों की याद आई। वे किसी काबिल घुड़सवार की तरह घोड़े पर मुस्‍कराते और लहराते रहते हैं,जबकि चंद रुपयों के लिए देश के अंदरुनी इलाके से आया कोई जवान घोड़े को चला और नियंत्रित कर रहा होता है। मां-बाप बच्‍चों को गर्व भाव से देख रहे होते हैं। उन्‍हें भी अपना बच्‍चा घुड़सवार जान पड़ता है। यहा ‘बागी 2’ घोड़ा है। टाइगर श्रॉफ बच्‍चा, अहमद खान,फॉक्‍स स्‍टार और साजिद नाडियाडवाला मां-बाप और घोड़े की लगाम थामें चल रहे गंवई जवान मनोज बाजपेयी,रणदीप हुडा,विपिन शर्मा और दीपक डोबरियाल हैं। हर कमजोर सीन और सीक्‍वेंस के बीच में मनोज बाजपेयी,रणदीप हुडा,विपिन शर्मा और दीपक डोबरियाल में से कोई एक या दो टाइगर श्रॉफ और फिल्‍म को संभालने चले आते हैं। अगर उनके निभाए किरदारों को असमर्थ कलाकार निभा रहे होते तो यह फिल्‍म पूरी तरह से अझेल हो जाती। हां,फिश्र भी किशोर और युवा दर्शकों को टाइगर श्रॉफ के एक्‍शन में मजा आता। मजा तो मुझे भी आया,क्‍योंकि जब टाइगर श्रॉफ गुरूत्‍वविकर्ष

फिल्‍म समीक्षा : ए फ्लाइंग जट्ट

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साधारण फैंटेसी -अजय ब्रह्मात्‍मज रेमो डिसूजा की ‘ ए फ्लाइंग जट्ट ’ सुपरहीरो फिल्‍म है। हिंदी फिल्‍मों में सुपरहीरो फिल्‍में बनाने की कोशिशें होती रही हैं। सभी एक्‍टर और स्‍टार सुपरहीरो बन कर आकाश में उड़ना चाहते हें। इसमें अभी तक केवल रितिक रोशन को बड़ी कामयाबी मिली है। ‘ ए फ्लाइंग जट्ट ’ में बच्‍चों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे टाइगर श्रॉफ को यह मौका मिला है। टाइगर श्रॉफ में गति और चपलता है,इसलिए वे डांस और एक्‍शन के दृश्‍यों में मनमोहक लगते हैं। एक्टिंग में अभी उन्‍हें ल्रंबा सफर तय करना है। सभी फिल्‍मों में नाटकीय दृश्‍यों में उनकी सीमाएं जाहिर हो जाती हैं। यही कारण है कि उनके निर्माता-निर्देशक ऐसी कहानियां चुनते हैं,जिनमें कम बोलना पड़े और दूसरे भाव कम से कम हों। सभी निर्देशक टाइगर श्रॉफ से डांस और एक्‍शन के बहाने गुलाटियां मरवाते हैं। उनकी गुलाटियां बच्‍चों को अच्‍छी लगती हैं। गौर करें तो पब्लिक इवेंट में भी टाइगर श्रॉफ का आकर्षण गुलाटियां ही होती हैं। बहरहाल, ’ ए फ्लाइंग जट्ट ’ अमन नामक युवक की कहानी है। वह नशे की आदी मां के साथ रहता है। स्‍कूल में मार्शल

फिल्‍म समीक्षा : हीरोपंथी / हिरोपंती

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सिर्फ और सिर्फ टाइगर श्रॉफ  -अजय ब्रह्मात्‍मज  जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ को केंद्र में रख कर बनी निर्माता साजिद नाडियाडवाला की साबिर खान निर्देशित 'हीरोपंती' का एक ही मकसद है सिर्फ और सिर्फ टाइगर श्रॉफ की खूबियों को दिखाना। इन दिनों हिंदी फिल्मों में हीरो के परफॉर्मेस को जांचने-परखने का तरीका एक्शन और डांस रह गया है। ड्रामा और इमोशन के दृश्य उन्हें कम से कम दिए जाते हैं। 'हीरोपंती' में टाइगर श्रॉफ अपनी मचलती मांसपेशियों और चुस्त देहयष्टि के साथ मौजूद हैं। डांस सिक्वेंस में भी उनकी चपलता आकर्षित करती है। कमी है तो सिर्फ एक्टिंग में, संवाद अदायगी में स्पष्टता नहीं है और हर इमोशन में चेहरे का भाव एक सा ही बना रहता है। बतौर अभिनेता टाइगर को अभी काफी मेहनत करनी होगी। 'हीरोपंती' अंतर्निहित कमियों और खूबियों के साथ एंटरटेन करती है, क्योंकि लंबे समय के बाद पर्दे पर दिख रहे हीरो के स्टंट में विश्वसनीयता है। एक्शन के सभी दृश्यों में टाइगर श्रॉफ के आत्मविश्वास और दक्षता की झलक है। एक्शन डायरेक्टर ने इन दृश्यों को हैरतअंगेज नहीं रखा है। इसी प्रका