क्लासिक फिल्म : गर्म हवा
15 वें मुंबई फिल्म फेस्टिवल के लिए लिखा यह विशेष लेख वहां अनूदित होकर अग्रेजी में प्रकाशित हुआ है। चवन्नी के पाठकों के लिए मूल लेख प्रस्तुत है। आप बताएं कि और किन फिल्मों पर ऐसे लेख पढ़ना चाहते हैं। इरादा है कि खास फिल्मों पर विस्तार से लिखा जाए। -अजय ब्रह्मात्मज सन् 1973 में आई एम एस सथ्यू की ‘ गर्म हवा ’ का हिंदी सिनेमा के इतिहास में खास महत्व है। यह फिल्म बड़ी सादगी और सच्चाई से विभाजन के बाद देश में रह गए मुसलमानों के द्वंद्व और दंश को पेश करती है। कभी देश की राजधानी रहे आगरा के ऐतिहासिक वास्तु शिल्प ताजमहल और फतेहपुर सिकरी के सुंदर , प्रतीकात्मक और सार्थक उपयोग के साथ यह मिर्जा परिवार की कहानी कहती है। हलीम मिर्जा और सलीम मिर्जा दो भाई हैं। दोनों भाइयों का परिवार मां के साथ पुश्तैनी हवेली में रहता है। हलीम मुस्लिम लीग के नेता हैं और पुश्तैनी मकान के मालिक भी। सलीम मिर्जा जूते की फैक्ट्री चलाते हैं। सलीम के दो बेटे हैं बाकर और सिकंदर। एक बेटी भी है अमीना। अमीना अपने चचेरे भाई कासिम से मोहब्बत करती है। विभाजन की वजह से उनकी मोहब्बत कामयाब नहीं ह