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बॉक्स ऑफिस:१७.१०.२००८

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सफल नही रही हैलो मुंबई में हैलो की सक्सेस पार्टी हो चुकी है। निर्माता और निर्देशक इसे कामयाब घोषित करने में लगे हैं। दावा तो यह भी है कि इसकी ओपनिंग जब वी मेट से अच्छी थी। जब भी किसी नयी रिलीज की तुलना पुरानी कामयाब फिल्म से की जाती है तो शक बढ़ जाता है। फिल्म हिट हो चुकी हो तो बताने की क्या जरूरत है? वह तो सिनेमाघरों में दिखाई पड़ने लगता है और सिनेमाघरों को देख कर हैलो को सफल नहीं कहा जा सकता। हैलो का आरंभिक कलेक्शन 30 से 40 प्रतिशत रहा। पिछले हफ्ते वह अकेले ही रिलीज हुई थी और उसके पहले रिलीज हुई द्रोण एवं किडनैप को दर्शकों ने नकार दिया था। फिर भी हैलो देखने दर्शक नहीं गए। लगता है चेतन भगत का उपन्यास वन नाइट एट कॉल सेंटर पढ़ चुके दर्शकों ने भी फिल्म में रुचि नहीं दिखाई। सलमान खान और कैटरीना कैफ आकर्षण नहीं बन सके। पुरानी फिल्मों में द्रोण और किडनैप फ्लॉप हो चुकी हैं। इस हफ्ते हिमेश रेशमिया की कर्ज रिलीज हो रही है। उसके साथ एनीमेशन फिल्म चींटी चींटी बैंग बैंग और लंदन के बम धमाकों पर आधारित जगमोहन मूदंड़ा की शूट ऑन साइट भी आ रही है।

फ़िल्म समीक्षा: हैलो

दर्शकों को बांधने में विफल -अजय ब्रह्मात्मज दावा है कि वन नाइट एट काल सेंटर को एक करोड़ से अधिक पाठकों ने पढ़ा होगा। निश्चित ही यह हाल-फिलहाल में प्रकाशित सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास रहा है। इसी उपन्यास पर अतुल अग्निहोत्री ने हैलो बनाई है। इस फिल्म के लेखन में मूल उपन्यास के लेखक चेतन भगत शामिल रहे हैं, इसलिए वे शिकायत भी नहीं कर सकते कि निर्देशक ने उनकी कहानी का सत्यानाश कर दिया। फिल्म लगभग उपन्यास की घटनाओं तक ही सीमित है, फिर भी यह दर्शकों को उपन्यास की तरह बांधे नहीं रखती। अतुल अग्निहोत्री किरदारों के उपयुक्त कलाकार नहीं चुन पाए। सोहेल खान की चुहलबाजी उनके हर किरदार की गंभीरता को खत्म कर देती है। हैलो में भी यही हुआ। शरमन जोशी पिछले दिनों फार्म में दिख रहे थे। इस फिल्म में या तो उनका दिल नहीं लगा या वे किरदार को समझ नहीं पाए। अभिनेत्रियों के चुनाव और उनकी स्टाइलिंग में समस्या रही। गुल पनाग, ईशा कोप्पिकर और अमृता अरोड़ा तीनों से ही कुछ दृश्यों के बाद ऊब लगने लगती है। उनकेलिबास पर ध्यान नहीं दिया गया। ले-देकर दिलीप ताहिल और शरत सक्सेना ही थोड़ी रुचि बनाए रखते हैं। जाहिर सी बात है कि द