फिल्म समीक्षा : कोचडयान
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तकनीक और टैलेंट का उपयोग -अजय ब्रह्मात्मज चेन्नई, हैदराबाद और मुंबई ़ ़ ़ फिल्म निर्माण के हर केंद्र में मसाला एंटरटेनमेंट पर जोर है। अगर आप के पास पापुलर स्टार हैं तो किसी प्रकार के प्रयोग की जरूरत ही नहीं महसूस होती। रजनीकांत की बेटी सौंदर्या आर अश्विन ने ‘कोचडयान’ में इस सुरक्षा कवच को तोड़ दिया है। उन्होंने परफारमेंस कैप्चरिंग तकनीक में सुपरस्टार रजनीकांत को लेकर ‘कोचडयान’ का निर्देशन किया है। यहां रजनीकांत अपने अंदाज और स्टाइल में हैं,लेकिन एनिमेटेड रूप में। धैर्य, मेहनत और सोच से बनाई गई यह फिल्म भारतीय फिल्मों के इतिहास में एक नई पहल है। पहली कोशिश की हिम्मत की तारीफ होनी ही चाहिए। सौंदर्या ने ‘कोचडयान’ में तकनीक और टैलेंट का सही उपयोग किया है। सौंदर्या आर अश्विन ने स्पष्ट किया था कि यह एक काल्पनिक कहानी है। कोचडयान और उनके बेटों राणा और धर्मा को लेकर गुंथी हुई कहानी में राष्ट्रप्रेम और प्रजाहित पर जोर दिया गया है। परिवेश के मुताबिक दो राष्ट्रों कलिंगपुर और कोट्टायपट्टनम के द्वेष और कलह के बीच राणा के योद्धा व्यक्तित्व,राजनीति और राष्ट्रप्रेम को भव्य तरीके से चित्र