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फ़िल्म समीक्षा:मान गए मुगलेआज़म

छेल हुए फेल कैसे मान लें कि जो अच्छा लिखते और सोचते हैं, वे अच्छी फिल्म नहीं बना सकते? मान गए मुगलेआजम देख कर मानना पड़ता है कि संजय छैल जैसे संवेदनशील, चुटीले और विनोदी प्रकृति के लेखक भी फिल्म बनाने में चूक कर सकते हैं। फिल्म की धारणा भी आयातित और चोरी की है, इसलिए छैल की आलोचना होनी ही चाहिए। ऐसी फिल्मों के लिए निर्माता से ज्यादा लेखक और निर्देशक दोषी हैं। गोवा के सेंट लुईस इलाके में कलाकार थिएटर कंपनी के साथ जुड़े कुछ कलाकार किसी प्रकार गुजर-बसर कर रहे हैं। अंडरव‌र्ल्ड पर नाटक करने की योजना में विफल होने पर वे फिर से अपना लोकप्रिय नाटक मुगलेआजम करते हैं। अनारकली बनी (मल्लिका सहरावत) शबनम का एक दीवाना अर्जुन (राहुल बोस) है। जब भी उसके पति उदय शंकर मजूमदार (परेश रावल) अकबर की भूमिका निभाते हुए पांच मिनट का एकल संवाद आरंभ करते हैं, अर्जुन उनकी पत्नी से मिलने मेकअप रूम में चला जाता है। बाद में पता चलता है कि वह रा आफिसर है। इंटरवल तक के विवाहेतर संबंध के इस मनोरंजन के बाद ड्रामा शुरू होता है। रा आफिसर थिएटर कंपनी के कलाकारों की मदद से आतंकवादियों की खतरनाक योजना को विफल करता है। ट्रीट