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सिनेमालोक : गुरु-शिष्य संबधों पर दुर्वा सहाय की ‘आवर्तन’

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सिनेमालोक गुरु-शिष्य संबधों पर दुर्वा सहाय की ‘आवर्तन’. - अजय ब्रह्मात्मज दुर्वा सहाय हिंदी की लेखिका हैं. उनकी कहानियां ‘हंस’ समेत तमाम पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है. ‘रफ्तार’ नाम से उनका एक कहानी संग्रह भी है. लेखन के साथ फिल्मों में भी उनकी रुचि रही है. 1993 में आई गौतम घोष की ‘पतंग’ की वह सहनिर्माता थीं. इसे उस साल सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. हाल-फिलहाल में उन्होंने कुछ शार्ट फिल्में बनाईं,जिन्हें लेकर वह कान फिल्म महोत्सव तक गयीं. इन फिल्मों के लिए उनकी प्रशंसा हुई. प्रशंसा और सराहना से उनकी हिम्मत बढ़ी और अब उन्होंने ‘आवर्तन’ नाम की फीचर फिल्म पूरी की है. उन्होंने स्वयं ही इसका लेखन और निर्देशन किया है. गुरु-शिष्य परंपरा और संबंध के नाजुक पहलुओं को उकेरती यह फिल्म स्नेह, राग, द्वेष, ईर्ष्या और कलह के मनोभावों को अच्छी तरह से दर्शाती है. भावना सरस्वती कत्थक की मशहूर नृत्यांगना हैं. वह युवा प्रतिभाओं को नृत्य का प्रशिक्षण भी देती हैं. उनकी एक शिष्या निरंतर अभ्यास और लगन से दक्ष होती जाती है. उसके नृत्य प्रतिभा से प्रभावित होकर भावना सरस्वती