फ़िल्म समीक्षा:रामचंद पाकिस्तानी
पाकिस्तान से आई एक सहज फ़िल्म -अजय ब्रह्मात्मज पाकिस्तान की फिल्म रामचंद पाकिस्तानी पिछले कुछ समय से चर्चा में है। यह फिल्म विदेशों मेंकई फिल्म समारोहों में दिखाई जा चुकी है। इस फिल्म का महत्व सिनेमाई गुणवत्ता से अधिक इस बात के लिए है कि यह पाकिस्तानी सिनेमा में आ रहे बदलाव की झलक देती है। भारतीय दर्शकों ने कुछ समय पहले पाकिस्तान की खुदा के लिए देखी थी। इस बार मेहरीन जब्बार ने एक सच्ची घटना को लगभग ज्यों का त्यों फिल्मांकित कर दिया है। भारतीय सीमा के करीब रहने वाला रामचंद एक छोटी सी बात पर अपनी मां से नाराज होकर निकलता है। उसे अंदाजा नहीं रहता और वह भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाता है। रामचंद को सीमा पार करते देख उसका पिता उसके पीछे भागता है। वह भी भारतीय सीमा में आ जाता है। भारत में सीमा पर तैनात सुरक्षा अधिकारी उन्हें गिरफ्तार कर लेते हैं। दोनों बाप-बेटे खुद को निर्दोष साबित करने में असफल रहते हैं। उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। दोनों के नाम किसी रजिस्टर में नहीं दर्ज किए जाते। उन्हें अपनी एक छोटी सी भूल के लिए लगभग सात साल भारतीय जेल में रहना पड़ता है। उधर रामचंद की मां की जिंदगी बि