इंस्टैंट खुशी का धमाल
- अजय ब्रह्मात्मज यह ऐसी फिल्म है जिसके पोस्टर और परदे से हीरोइन नदारद है। इंद्र कुमार ने एक प्रयोग तो कर लिया। हो सकता है सिर्फ हीरोइनों के नाम पर फिल्म देखने वाले दर्शक निराश हों। धमाल चार बेवकूफ किस्म के लड़कों की कहानी है जो जल्द से जल्द अमीर बनना चाहते हैं। उनकी बेवकूफियों के चलते हाथ आया हर काम बिगड़ जाता है। उन्हें अचानक एक ऐसा व्यक्ति मिलता है जो मरते-मरते दस करोड़ रुपयों का सुराग बता जाता है। संयोग से उसी व्यक्ति के पीछे इंस्पेक्टर कबीर नाइक भी लगा हुआ है। काफी देर तक इनकी लुका छिपी चलती है। 10 करोड़ हासिल करने के चक्कर में वो एक-दूसरे को धोखा देने से बाज नहीं आते। आखिरकार रुपये हासिल करने में कामयाब होते हैं और पैसे आपस में बांट लेते हैं। तभी वो लाइमलाइट में आते हैं और घोषणा होती है कि एक चैरिटी संस्था में रकम देने आये हैं। उन पर भी नेकनीयती हावी होती है और वे बगैर मेहनत से अर्जित धन को दान कर संतुष्ट हो जाते हैं। इंद्र कुमार की यह फिल्म चुटकुलों, हास्यपूर्ण परिस्थितियों और किरदारों की बेवकूफियों के कारण हंसाती है। थोड़ी देर के बाद आप तैयार हो जाते हैं कि उन चारों को कोई न को