तारणहार बनते कैरेक्टर कलाकार
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-अमित कर्ण हाल की कुछ फिल्मों पर नजर डालते हैं। खासकर ‘ बजरंगी भाईजान ’ , ‘ दिलवाले ’ , ‘मसान’, ‘ बदलापुर ’ , ‘ मांझी- द माउंटेनमैन ’ , ‘ हंटर ’ , पर। उक्त फिल्मों में एक कॉमन पैटर्न है। वह यह कि उन्हें लोकप्रिय करने में जितनी अहम भूमिका नामी सितारों की थी, उससे कम उन फिल्मों के ‘कैरेक्टर आर्टिस्ट‘ की नहीं थी। ‘ बजरंगी भाईजान ’ और ‘ बदलापुर ’ से नवाजुद्यीन सिद्यीकी का काम गौण कर दें तो वे फिल्में उस प्रतिष्ठा को हासिल नहीं कर पाती, जहां वे आज हैं। ‘मसान’ के किरदार आध्यात्मिक सफर की ओर ले जा रहे होते हैं कि बीच में पंकज त्रिपाठी आते हैं। शांत और सौम्य चित्त इंसान के किरदार में दिल को छू जाते हैं। ‘ दिलवाले ’ में शाह रुख-काजोल की मौजूदगी के बावजूद दर्शक बड़ी बेसब्री से संजय मिश्रा का इंतजार कर रहे होते हैं। थोड़ा और पीछे चलें तो ‘नो वन किल्ड जेसिका’ में सिस्टम के हाथों मजबूर जांच अधिकारी और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ में दत्तों के भाई बने राजेश शर्मा की अदाकारी अाज भी लोगों के जहन में है। ‘विकी डोनर’ की बिंदास दादी कमलेश गिल और सिंगल मदर बनी डॉली अहलूवालिय