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दरअसल : राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी

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-अजय ब्रह्मात्मज     हिंदी फिल्मों के इतिहास में सलीम-जावेद की जोड़ी मशहूर रही है। दोनों ने अनेक सफल फिल्मों का लेखन किया। दोनों बेहद कामयाब रहे। उन्होंने फिल्मों के लेखक का दर्जा ऊंचा किया। उसे मुंशी से ऊंचे और जरूरी आसन पर बिठाया। उनके बाद कोई भी जोड़ी बहुत कामयाब नहीं रही।  लंबे समय के बाद राजकुमारी हिरानी और अभिजात जोशी की जोड़ी कुछ अलग ढंग से वैसी ही ख्याति हासिल कर रही है। अभी देश का हर दर्शक राजकुमार हिरानी के नाम से परिचित है। ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’, ‘लगे रहो मुन्नाभाई’, ‘3 इडियट’ और इस हफ्ते आ रही ‘पीके’ के निर्देशक राजकुमार हिरानी ने हिंदी फिल्मों को नई दिशा दी है। उन्होंने मनोरंजन की परिभाषा बदल दी है। उन्होंने अपनी तीनों फिल्मों से साबित किया है कि मनोरंजन के लिए आसान और आजमाए रास्तों पर ही चलना जरूरी नहीं है। लकीर छोडऩे पर भी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।     अभिजात जोशी उनके सहयोगी लेखक हैं। ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ से दोनों साथ आए। दोनों के बीच संयोग से मुलाकात हुई। 1992 में अयोध्या में घटना के बाद अहमदाबाद में हुए सांप्रदायिक दंगों के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने ‘शैफ्ट ऑफ सनलाइट

फिल्‍म समीक्षा : पीके

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-अजय ब्रह्मात्‍मज .. ..बहुत ही कनफुजिया गया हूं भगवान। कुछ तो गलती कर रहा हूं कि मेरी बात तुम तक पहुंच नहीं रही है। हमारी कठिनाई बूझिए न। तनिक गाइड कर दीजिए... हाथ जोड़ कर आपसे बात कर रहे हैं...माथा जमीन पर रखें, घंटी बजा कर आप को जगाएं कि लाउड स्पीकर पर आवाज दें। गीता का श्लोक पढ़ें, कुरान की आयत या बाइबिल का वर्स... आप का अलग-अलग मैनेजर लोग अलग-अलग बात बोलता है। कौनो बोलता है सोमवार को फास्ट करो तो कौनो मंगल को, कौनो बोलता है कि सूरज डूबने से पहले भोजन कर लो तो कौनो बोलता है सूरज डूबने के बाद भोजन करो। कौनो बोलता है कि गैयन की पूजा करो तो कौनो कहता है उनका बलिदान करो। कौना बोलता है नंगे पैर मंदिर में जाओ तो कौनो बोलता है कि बूट पहन कर चर्च में जाओ। कौन सी बात सही है, कौन सी बात लगत। समझ नहीं आ रहा है। फ्रस्टेटिया गया हूं भगवान... पीके के इस स्वगत के कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के पेशावर में आतंकवादी मजहब के नाम पर मासूम बच्चों की हत्या कर देते हैं तो भारत में एक धार्मिक संगठन के नेता को सुर्खियां मिलती हैं कि 2021 तक वे भारत से इस्लाम और ईसाई