करीब करीब सिंगल होती है दिलों से मिंगल : प्रतिभा कटियार
करीब करीब सिंगल होती है दिलों से मिंगल प्रतिभा कटियार प्रतिभा कटियार ने फेसबुक पर 'करीब करीब सिंगल' देखने के बाद एक टिप्पणी की थी। मुझे लगा कि उन्हें थोड़ा विस्तार से लिखना चाहिए। इस फिल्म के बारे में और भी सकारात्मक टिप्पणियां दिख रही हैं। अगर आप भी कुछ लिखें तो brahmatmaj@gmail.com पर भेज दें। लंबे समय के बाद आई यह फिल्म अलग तरीके से सभी को छू रही है। संवादों के इस शोर में , लोगों की इस भीड़ में कोई अकेलापन चुपके से छुपकर दिल में बैठा रहता है, अक्सर बेचैन करता है. जीवन में कोई कमी न होते हुए भी ‘कुछ कम’ सा लगता है. अपना ख्याल खुद ठीक से रख लेने के बावजूद कभी अपना ही ख्याल खुद रखने से जी ऊब भी जाता है. वीडियो चैटिंग, वाट्सअप मैसेज, इंटरनेट, दोस्त सब मिलकर भी इस ‘कुछ कम’ को पूर नहीं पाते. करीब करीब सिंगल उस ‘कुछ’ की तलाश में निकले दो अधेड़ युवाओं की कहानी है. जया और योगी यानी इरफ़ान और पार्वती. योगी के बारे में फिल्म ज्यादा कुछ कहती नहीं हालाँकि योगी फिल्म में काफी कुछ कहते हैं. लेकिन जया के बहाने समाज के चरित्र की परतें खुलती हैं. दोस्त उनके अकेले होने का