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मैं देसवा के साथ क्यों नहीं हूं...-अमितेश कुमार

अमितेश कुमार भोजपुरी फिल्‍मों के सुधी और सचेत दर्शक हैं। उनकी चिंताओं का कुछ लोगों ने मखौल उड़ाया और उन्‍हें हतोत्‍साहित किया। मैंने उनसे आग्रह किया था कि वे अपना पक्ष रखें। यह भोजपुरी समाज,फिल्‍म और प्रकारांतर से 'देसवा' के हित में है। इसी उद्देश्‍य से इसे मैं उनके ब्‍लॉग से लेकर यहां प्रकाशित कर रहा हूं...आपकी प्रतिक्रियाओं का स्‍वागत है।अमितेश के ब्‍लॉग पर लेख का पता... http://pratipakshi.blogspot.com/2011/05/blog-post_25.html यह देसवा की समीक्षा नहीं है, और वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज की प्रेरणा से लिखी गयी है, इसीलिये उन्हीं को समर्पित. इसमें आवेग और भावना की ध्वनि मिले तो इसके लिये क्षमाप्रार्थी हूं. ये मेरे लिये साल के कुछ उन दिनों में था जिसमें मैं अपने नजदीक होना चाहता हूं, ये एक अजीब प्रवृति है मेरे लिये. उस दिन मेरा जन्मदिन था…गर्मी से लोगो को निज़ात देने के लिये आंधी और बारिश ने मौसम को खुशनुमा बना दिया था. दिन पूरी तरह अकेले बिता देने के बाद शाम को हम चार लोग देसवा देखने निकले. हमारे जरूरी कामों की लिस्ट में ये काम कई दिनों से शामिल था. देसवा के बारे मे

गुलज़ार :गीत यात्रा के पांच दशक-अमितेश कुमार

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‘ गंगा आये कहां से ’ ‘ काबुलीवाला ’ के इस गीत के साथ गुलजार का पदार्पण फ़िल्मी गीतों के क्षेत्र में हुआ था। ‘ बंदिनी ’ के गीत ‘मोरा गोरा अंग लईले’ से गुलज़ार फ़िल्म जगत में प्रसिद्धी पा गये। लगभग पांच दशकों से वे लगातार दर्शकों को अपनी लेखनी से मंत्रमुग्ध किये हुए हैं। इस सफ़लता और लोकप्रियता को पांच दशकों तक कायम रखना निश्चय ही उनकी असाधारण प्रतिभा का परिचय़ देता है। इस बीच में उनकी प्रतिस्पर्धा भी कमजोर लोगो से नहीं रही। जनता और प्रबुद्ध दोनों वर्गों मे उनके गीत लोकप्रिय हुए। उनका गीत देश की सीमाओं को लांघ कर विदेश पहुंचा और उसने आस्कर पुरस्कार को भी मोहित कर लिया और ग्रैमी को भी | गुलज़ार बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं। फ़िल्मों मे निर्देशन, संवाद और गीत लेखन के साथ अदबी जगत में भी सक्रिय हैं। गुलज़ार का फ़िल्मकार रूप मुझे हमेशा आकर्षित करता रहा है। लोकप्रिय सिनेमा की सरंचना में रहते हुए उन्होंने सार्थक फ़िल्में बनाई हैं। उनके द्वारा निर्देशित फ़िल्मों की सिनेमा के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण जगह है। मेरे अपने, कोशिश, मौसम, आंधी, खुशबु, परिचय, इजाजत, माचिस इत्यादि उनके द्वार