हिंदी फिल्मों का पंजाबीपन
-अजय ब्रह्मात्मज हिंदी फिल्म का नायक यदि ' चरण स्पर्श ' या ' पिताजी पाय लागूं ' कहते हुए पर्दे पर दिखे तो ज्यादातर दर्शक हंस पड़ेंगे। वहीं नायक जब पर्दे पर ' पैरी पौना बाउजी Ó कहता है तो हम विस्मित नहीं होते। यह हमें स्वाभाविक लगता है। दरअसल , हिंदी फिल्मों में पंजाब की निरंतर मौजूदगी से हम पंजाबी लहजे , संगीत और संवाद के आदी हो गए हैं। हिंदी फिल्मों का बड़ा हिस्सा पंजाबी संस्कृति और प्रभाव से आच्छादित है। कभी करीना कपूर का जब वी मेट में पंजाबी स्टाइल देश भर की लड़कियों का जुनून बन गया तो कभी गदर में तारा सिंह की भूमिका में सनी देओल बने गबरू जवानों का पैमाना। यही नहीं , देश में सबसे ज्यादा चलने वाली फिल्म का रिकार्ड भी दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के नाम है , जो विशुद्ध रूप से पंजाबी-एनआरआई समीकरण पर आधारित फिल्म थी। चाहे वह विकी डोनर , बैंड बाजा बारात , पटियाला हाउस , खोसला का घोंसला , दो दूनी चार जैसी मल्टीप्लेक्स फिल्में हों ; सिंह इज किंग , दिल बोले हडि़प्पा , यमला पगला दीवाना , सन आफ सरदार जैसी शुद्ध मसाला मूवीज या माचिस और पिंजर जैस