डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी एक सधी हुई परिघटना है - अविनाश दास
-अविनाश दास सबसे अच्छी कहानी वो होती है, जो खुद के कहे जाने तक खामोशियों का छिड़काव करती रहे। क्योंकि सिनेमा सिर्फ कहानी नहीं होता, वहां प्रकाश से लेकर कला और अभिनय के तमाम पहलू इस छिड़काव में हाथ बंटाते हैं। इस लिहाज से डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी 2015 में सिनेमा की एक सधी हुई परिघटना है। इस फिल्म को देखने से पहले मैं उन तमाम समीक्षाओं से गुज़र चुका था, जिसमें इसे बड़ा बकवास और भारी ब्लंडर घोषित किया जा चुका था। सबसे पहली समीक्षा मैंने केआरके उर्फ कमाल राशिद खान की समीक्षा देखी, जिसमें वे डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी को डिजास्टर बता रहे थे और बाद में सोशल मीडिया पर एक-दो को छोड़ कर तमाम बुद्धिजीवी मित्र इस फिल्म से मुतास्सिर और मुतमइन नहीं थे। चूंकि दिबाकर बनर्जी मेरे प्रिय फिल्मकारों में से हैं, लिहाजा मैं समझ नहीं पा रहा था कि उनसे कहां चूक हुई होगी। मैंने फिल्म देखा, तो मुझे झटका लगा कि केआरके की सिनेमाई समझ और मेरे अधिकांश मित्रों की सिनेमाई समझ में रत्तीभर भी फर्क नहीं है। और यही सबसे बड़ा डिजास्टर है कि हम सिनेमा को क्या समझ बैठे हैं। ब्योमकेश बख्श