रोज़ाना - एक दूसरे के पूरक,फिर भी मायानगरी में 'पांच' हो गया 'पान्च'
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रोजाना ‘ पांच ’ हो गया ‘ पान्च ’ - अजय ब्रह्मात्मज हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी सिनेमा में हिंदी की बात करना उचित है। देश में कहीं न कहीं दस पर परिचर्चा या बहस चल रही होगी। हिंदी सिनेमा में हिंदी के उपयोग,प्रयोग और दुरुपयोग पर लोगों की राय भिन्न हो सकती है,लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं करेगा कि हिंदी सिनेमा के विकास में हिंदी की बड़ी भूमिका रही है। कभी इसे हिंदुस्तानी कहा गया,कभी उर्दू मिश्रित हिंदी तो कभी कुछ और। इसके साथ यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि हिंदी के प्रचार-प्रसार में हिंदी फिल्मों का उल्लेखनीय योगदान है। देश के अंदर और विदेशों में हिंदी फिल्मों के माध्यम से दर्शकों ने बोलचाल की व्यावहारिक हिंदी सीखी है। हालांकि कोई भी हिंदी फिल्म यह सोचकर नहीं नहीं बनाई गई कि उससे हिंदी भाषा का प्रचार किया जाएगा, फिर भी ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएंगे जहां अहिंदीभाषी दर्शकों ने हिंदी फिल्मों से अपनी हिंदी परिमार्जित की। विदेशी विश्वविद्यालयों में नई पीढ़ी के शिक्षक विद्यार्थियों को हिंदी सिखाने के लिए हिंदी फिल्मों का टूल के रूप में इस्तेमाल करते हैं। कहत