‘आमिर’ होने में कोई बुराई नहीं ......................................
आमिर के जन्मदिन के मौके पर कनिष्क क यह लेख चवन्नी के पाठकों के लिए है.आप भ चाहें तो यहाँ लिख सकते हैं.अपने लेख chavannichap@gmail.com पर पोस्ट करें.साथ इस लेख पर अपनी राय दें.युवा लेखक को प्रोत्साहन मिलेगा। 14 मार्च जन्मदिन पर विशेष
- कनिष्क राज सिंह चौहान परफ़ेक्शनिस्ट और भेरोसेमंद के इतर आमिर के लिए अब ज़िम्मेदार या ज़वाबदेह जुमले का इस्तेमाल किया जाए तो ज़्यादा बेहतर होगा. पिछले 10 सालों में आई उनकी फ़िल्में उन्हें ज़्यादा ज़वाबदेह साबित करती है. जवाबदेही दर्शकों , सिनेमा और बाज़ार के प्रति. और कुछ हद तक समाज के लिए भी. आमिर के चाहने वालों की तादाद में अचानक से काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है ख़ासकर युवा वर्ग ने एक रोल मॉडल की तरह उसे अख्तियार किया है. इसकी वजह उसकी फ़िल्मों से ज़्यादा उसका परसोना है , जो दृढ़ , विश्वसनीय और नैतिक है. इसी व्यक्तित्व को दर्शक उसके किरदारों से भी जुड़ा पाते हैं. होली से इडियट्स तक उसने गज़ब की तरक्की की है. शुरुआती अंतराल में कुछ ' डिज़ाज़्टर ' भी उसके नाम रही लेकिन संभलते हुए आगे दोहराव से बचा रहा. उसे कबूलने में भी हर्ज़ न