विशाल भारद्वाज के मन की फिल्म है हैदर - रश्मि रवीजा
हैदर -रश्मि रवीजा जब एक ईमानदार कोशिश की जाती है तो वह लोगों तक पहुँचती है . विशाल भारद्वाज ने समीक्षकों,आलोचकों, दर्शकों किसी को ध्यान में रख कर नहीं बल्कि सिर्फ अपने मन की कही है. हाउसफुल थियेटर, हर उम्र के दर्शक और गहन शान्ति . लोग स्तब्ध होकर परदे पर कश्मीर के परिदृश्य देख रहे थे .निकलते वक़्त दो युवाओं को कहते सुना, 'इतनी पावरफुल मूवी है ,एक बार और देखेंगे' 'हैदर' जैसे कश्मीर का प्रतीक, कवि ह्रदय ,संवेदनशील ,साहित्य प्रेमी. जब उसके सगे ही निहित स्वार्थ के लिए उसके अज़ीज़ पिता को गायब करवा देते हैं तो उन्हें वह पागलों की तरह ढूंढता है.पर इस क्रम में वह समझ नहीं पाता किसका विश्वास करे ,अपने सगों का या दुश्मनों के नुमाइंदों का .दोनों ही उसे कभी सही और कभी गलत लगते हैं और भयंकर खून खराबे के बाद वह विजयी तो होता है, पर उसके पास कुछ नहीं बचता .सब कुछ तबाह हो गया होता है. उसकी माँ गजाला का भी कश्मीर सा ही हाल है .जहर ख़ूबसूरत हैं ,पर उनके अपने, उनकी परवाह नहीं करते ,अपने आप में मशगूल रहते हैं . इसका फायदा उठा आस्तीन का सांप ,उन्हें प्यार का भुलावा देता ...