फिल्म रिव्यू : डॉली की डोली
  -अजय ब्रह्मात्मज    हंसी के साथ तंज भी   ***1/2 साढ़े तीन स्टार   अभिषेक डोगरा और उमाशंकर सिंह की लिखी कहानी पर अभिषेक डोगरा निर्देशित  'डॉली की डोली' ऊपरी तौर पर एक लुटेरी दुल्हन की कहानी लगती है, लेकिन  लेखक-निर्देशक के संकेतों पर गौर करें तो यह परतदार कहानी है। लेखक और  निर्देशक उनके विस्तार में नहीं गए हैं। उनका उद्देश्य हल्का-फुल्का  मनोरंजन करना रहा है। वे अपने ध्येय में सफल रहे हैं, क्योंकि सोनम कपूर के  नेतृत्व में कलाकारों की टीम इस प्रहसन से संतुष्ट करती है।     डॉली (सोनम कपूर) की एक टीम है, जिसमें उसके भाई, पिता, मां और दादी हैं।  ये सभी मिल कर हर बार एक दूल्हा फांसते हैं और शादी की रात जेवर और  कपड़े-लत्ते लेकर चंपत हो जाते हैं। यही उनका रोजगार है। डॉली की टीम अपने  काम में इतनी दक्ष है कि कभी सुराग या सबूत नहीं छोड़ती। डॉली का मामला  रॉबिन सिंह (पुलकित सम्राट) के पास पहुंचता है। वह डॉली को गिरफ्तार करने  का व्यूह रचता है और उसमें सफल भी होता है, लेकिन डॉली उसे भी चकमा देकर  निकल जाती है। वह फिर से अपनी टीम के साथ नई मुहिम पर निकल जाती है।     लेखक-निर्देशक आदर...