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फिल्‍म समीक्षा - काबिल

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फिल्म रिव्‍यू काबिल इमोशन के साथ फुल एक्शन -अजय ब्रह्मात्‍मज     राकेश रोशन बदले की कहानियां फिल्मों में लाते रहे हैं। ‘ खून भरी मांग ’ और ‘ करण-अर्जुन ’ में उन्होंने इस फॉर्मूले को सफलता से अपनाया था। उनकी फिल्मों में विलेन और हीरो की टक्कर और अंत में हीरो की जीत सुनिश्वित होती है। हिंदी फिल्मों के दर्शकों का बड़ा समूह ऐसी फिल्में खूब पसंद करता है, जिसमें हीरो अपने साथ हुए अन्याय का बदला ले। चूंकि भारतीय समाज में पुलिस और प्रशासन की पंगुता स्पष्‍ट है, इसलिए असंभव होते हुए भी पर्दे पर हीरो की जीत अच्छी लगती है। राकेश रोशन की नयी फिल्म ‘ काबिल ’ इसी परंपरा की फॉर्मूला फिल्म है, जिसका निर्देशन संजय गुप्ता ने किया है। फिल्म में रितिक रोशन हीरो की भूमिका में हैं।     रितिक रोशन को हम ने हर किस्म की भूमिका में देखा और पसंद किया है। उनकी कुछ फिल्में असफल रहीं, लेकिन उन फिल्मों में भी रितिक रोशन के प्रयास और प्रयोग को सराहना मिली। 21वीं सदी के आरंभ में आए इस अभिनेता ने अपनी विविधता से दर्शकों और प्रशंसकों को खुश और संतुष्‍ट किया है। रितिक रोशन को ‘ काबिल ’ लोकप्रियता के नए

फिल्‍म समीक्षा # जज्‍़बा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज       संजय गुप्‍ता की ‘ जज्‍बा ’ दक्षिण कोरियाई फिल्‍म ‘ सेवन डेज ’ की अधिकृत रीमेक है। दक्षिण कोरिया में यह फिल्‍म आठ साल पहले रिलीज हुई थी। संजय गुप्‍ता अपनी अनधिकृत रीमेक के लिए बदनाम रहे हैं,इस बार उन्‍होंने अधिकार लेकर हिंदी फिल्‍म बनाई है। उनकी फिल्‍मों में एक्‍शन के साथ जांबाज मर्दों की खास मौजूदगी रहती है। यहां भी एक मर्द है योहान,लेकिन इस बार एक्‍शन के साथ फिल्‍म के सेंटर में है एक महिला। अनुराधा वर्मा पेशे से वकील हैं। वह कोई भी केस नहीं हारतीं। अपनी वकालत में व्‍यस्‍त होने के साथ ही वह मां भी हैं। वह मां के सारे दायित्‍व निभाती हैं। आम फिल्‍मों की तरह निर्देशक ने यह नहीं दिखाया है कि कामकाजी महिला होने की वजह से वह पारिवारिक जिम्‍मेदारियों के प्रति लापरवाह हैं।       अनुराधा वर्मा और योहान की भूमिका निभा रहे ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन और इरफान की अनोखी जोड़ी हैरान करती है। भारतीय दर्शक दोनों ही एक्‍टर की पृष्‍ठभूमि जानते हैं और उनके करिअर ग्राफ से परिचित रहे हैं। इस फिल्‍म में दोनों का साथ बेमेल तो नहीं है,लेकिन दोनों की सार्वजनिक छवि फिल्‍म के संयुक्

अभिनय में पिरोए निजी जिंदगी के अनुभव : ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन

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-अजय ब्रह्मात्‍मज     2010 के आखिरी महीनों में ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन की ‘ गुजारिश ’ रिलीज हुई थी। अगले साल 2011 के नवंबर में उन्‍होंने बेटी आराध्‍या को जन्‍म दिया। मां बन फिल्‍म साइन नहीं की। हवा फैली कि अब ऐश्‍वर्या भी जया भादुड़ी बच्‍चन की तरह छिटपुट रूप से ही फिल्‍मों में दिखेंगी। ऐश्‍वर्या ने कभी कोई सफाई नहीं दी। वह चुपचाप अपने प्रोफेशनल दायित्‍व निभाती रहीं। उन्‍होंने प्रोडक्‍ट एंडोर्समेंट से लेकर सामाजिक गतिविधियों तक में शिरकत जारी रखी। फिल्‍मों में सक्रिय नहीं होने पर भी वह सुर्खियों में रहीं। फिर जब खबर आई कि उन्‍होंने संजय गुप्‍ता की ‘ जज्‍बा ’ के लिए हां कह दी है तो सभी हैरत में आ गए। पांच सालों के बाद फिल्‍मों में लौट रही ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन की वापसी संजय गुप्‍ता की फिल्‍म से होगी ? इस हैरत की वजह इतनी भर थी कि संजय गुप्‍ता पुरुषों पर केंद्रित एक्‍शन फिल्‍में बनाते रहे हैं। -संजय गुप्‍ता की फिल्‍म ‘ जज्‍बा ’ के लिए हां कहने की मुख्‍य वजह क्‍या रही ? 0 आप इतने सालों से मुझे व्‍यक्तिगत तौर से जानते हैं। फिल्‍मों की मेरी पसंद से भी आप वाकिफ हैं। इस फिल्‍म को