सिनेमालोक : लाहौर के दूसरे प्राण भी नहीं रहे
सिनेमालोक लाहौर के दूसरे प्राण भी नहीं रहे -अजय ब्रह्मात्मज देश के विभाजन के बाद लाहौर के दो प्राण वहां से निकले – प्राण सिकंद और प्राण नेविले. प्राण सिकंद मुंबई आये.उन्होंने लाहौर में ही एक्टिंग आरम्भ कर दी थी. मुंबई आने के बाद वे प्राण के नाम से मशहूर हुए.पहले खलनायक और फिर चरित्र भिनेता के तौर पर अपनी अदाकारी से उन्होंने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. दूसरे प्राण दिल्ली में रुके. उन्होंने भारतीय विदेश सेवा की नौकरी की.कला,संगीत और फिल्मों में उनकी खास रूचि रही.उन्होंने लाहौर की यादों को सह्ब्दों में लिखा और भारतीय संगीत में ठुमरी और फ़िल्मी संगीत पर अनेक निबन्ध और पुस्तकें लिखीं. उन्हें के एल सहगल खास पसंद रहे.उन्होंने के एल सहगल मेमोरियल सर्किल की स्थापना की और सहगल की यादों और संगीत को जोंदा रखा. उन्होंने भारत सरकार की मदद से सहगल की जन्म शताब्दी पर खास आयोजन किया और उनके ऊपर एक पुस्तक भी लिखी. पिछले गुरुवार को दिल्ली में उनका निधन हुआ.उनके निधन की ख़बरें अख़बारों की सुर्खिउयाँ नहीं बन पायीं.हम नेताओं , अभिनेताओं और खिलाडियों की ज़िन्दगी के इर्द-गिर्द ही मंडराते रहते हैं.ह