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तमाशा : एक में पाया सपना,दूजे ने बस प्रेम -प्रदीप अवस्‍थी

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प्रदीप ने अपने परिचय मेंं बस इतना ही लिखा है.... मूलतः रामपुर(उत्तर प्रदेश ) का रहने वाला | इंजीनियरिंग में स्नातक,दिल्ली में रहकर थिएटर में अभिनय और लेखन | अभी मुंबई में लेखन और अभिनय में सक्रीय |  फिलहाल हम इसी से काम चलाएंगे। तमाशा देखकर निकला तो उलझन में डूबा रहा | इम्तियाज़ की फ़िल्में पसंद आती रहीं हैं,तो इस बार ऐसा क्या हुआ कि बाहर निकल कर उत्साह की जगह निराशा थी | जहाँ सब तमाशा की तारीफ़ में डूबे थे,किसको और कैसे बताऊँ कि फ़िल्म मुझे अच्छी नहीं लगी | यह जैसे ख़ुद में अपराध-बोध जैसा था | फिर सिलसिलेवार सोचना शुरू किया तो पाया कि फ़िल्म कई बातें सिर्फ़ ऊपर-ऊपर से करती है और निकल आती है | या तो यह इम्तियाज़ की ज़िद है कि मैं कहानी दोहराऊँगा और उसे कुछ अलग रँग देकर पेश करूँगा और साबित करूँगा कि एक ही कहानी अलग-अलग तरह से दिखाने पर भी वह सफल फ़िल्म हो सकती है | इस की भूमिका वे फ़िल्म के शुरूआती बीस मिनट में बाँधते हैं | यह जैसे फ़िल्म शुरू होने से पहले उनका उद्घोष है कि दुनिया में सारी कहानियाँ एक ही तो हैं,तब फिर मुझपर यह इल्ज़ाम क्यों ? यहीं वे अपनी कहानी के लिए एक बचाव ढूँढते न