फिल्म समीक्षा : फोर्स 2
चुस्त और फास्ट फोर्स 2 -अजय ब्रह्मात्मज अभिनय देव की ‘ फोर्स 2 ’ की कहानी पिछली फिल्म से बिल्कुल अलग दिशा में आगे बढ़ती है। पिछली फिल्म में पुलिस अधिकारी यशवर्द्धन की बीवी का देहांत हो गया था। फिल्म का अंत जहां हुआ था,उससे लगा था कि अगर भविष्य में सीक्वल आया तो फिर से मुंबई और पुलिस महकमे की कहानी होगी। हालांकि यशवर्द्धन अभी तक पुलिस महकमे में ही है,लेकिन अपने दोस्त हरीश की हत्या का सुराग मिलने के बाद वह देश के रॉ डिपाटमेंट के लिए काम करना चाहता है। चूंकि वह सुराग लेकर आया है और उसका इरादा दुष्चक्र की जड़ तक पहुंचना है,इसलिए उसे अनुमति मिल जाती है। रॉ की अधिकारी केके(सोनाक्षी सिन्हा) के नेतृत्व में सुराग के मुताबिक वह बुदापेस्ट के लिए रवाना होता है। फिल्म की कहानी चीन के शांगहाए शहर से शुरू होती है। फिर क्वांगचओ शहर भी दिखता है। पेइचिंग का जिक्र आता है। हाल-फिलहाल में किसी फिल्म में पहली बार इतने विस्तार से चीन का रेफरेंस आया है। बदलाव के लिए चीन की झलकी अच्छी लगती है। फिल्म में बताया जाता है कि चीन में भारत के 20 रॉ ऑफिसर काम में लगे