फिल्म समीक्षा : औरंगजेब
-अजय ब्रह्मात्मज अरसे बाद अनेक किरदारों के साथ रची गई नाटकीय कहानी पर कोई फिल्म आई है। फिल्म में मुख्य रूप से पुरुष किरदार हैं। स्त्रियां भी हैं, लेकिन करवाचौथ करने और मां बनने के लिए हैं। थोड़ी एक्टिव और जानकार महिलाएं निगेटिव शेड लिए हुए हैं। फिल्म में एक मां भी हैं, जो यश चोपड़ा की फिल्मों की मां [निरुपा राया और वहीदा रहमान] की याद दिलाती हैं। सपनों और अपनों के द्वंद्व और दुविधा पर अतुल सभरवाल ने दिल्ली के गुड़गांव के परिप्रेक्ष्य में क्राइम थ्रिलर पेश किया है। यशराज फिल्म्स हमेशा से सॉफ्ट रोमांटिक फिल्में बनाता रहा है। यश चोपड़ा और आदित्य चोपड़ा की देखरेख में इधर कुछ सालों में कॉमेडी या रॉमकॉम भी आए, लेकिन अपराध की पृष्ठभूमि पर बनी यशराज फिल्म्स की यह प्रस्तुति नयी और उल्लेखनीय है। अतुल सभरवाल ने हमशक्ल जुड़वां अजय और विशाल के लिए अर्जुन कपूर को चुना है। दूसरी फिल्म में ही डबल रोल करते अर्जुन कपूर के एक्सप्रेशन की सीमाओं को नजरअंदाज कर दें तो उन्होंने एक्शन और मारधाड़ दृश्यों में अच्छा काम किया है। अजय बिगड़ैल और दुष्ट मिजाज का लड़का है और विशाल सौम्य और सभ्य दिमाग का..