तमाशा और जादू का स्कूल - ममता सिंह
ममता सिंह ने अपने बेटे जादू के बचपन,मस्ती और व्यवहार से जोड़ते हुए 'तमाशा' को अलग अंदाज में समझा है। इम्तियाज अली की मंशा यही थी कि कुछ लोग भी अगर इस फिल्म से प्रेरित होकर नैसर्गिक जिंदगी जी सकें तो काफी होगा। अब हमें जादू के रूप में एक आजाद बालक मिलेगा,जो बड़े होने पर भी किसी हद में नहीं बंधेगा। ममता ने अपनी बात बहुत सादगी से सरल शब्दों में रखी है। -ममता सिंह जिंदगी भी कई बार किस तरह से आइना दिखाती है। पिछले शनिवार को अजीब इत्तेफाक हुआ। सुबह जादू के स्कूल गए , पैरेन्ट - टीचर - मीटिंग में , जिसे ओपन - हाउस भी कहते हैं। उम्मीद तो यही थी कि शिकायत सुनने को मिलेगी कि जादू बहुत मस्ती करते हैं , He is very naughty but he is good at studies. लेकिन इस बार दो टीचर्स ने एक ही बात कही , nowadays he is very quiet. He does very good behavior. मेरा माथा थोड़ा ठनका। इंग्लिश टीचर ने आश्चर्य भी जताया कि आजकल वो बड़ा शांत रहने लगा है। लेकिन मैथ टीचर , जो क्लास - टीचर भी है - इस बात से खुश थी कि जादू आजकल शांत बैठने लगा है। पहले उसकी मस्ती और शरारतों से पूरी क्लास