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प्रोड्यूसर भी होते हैं क्रिएटिव

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-अजय ब्रह्मात्‍मज हिंदी फिल्मों में प्रोड्यूसर की भूमिका खास और अहम होती है। सामान्य शब्दों में प्रोड्यूसर वह व्यक्ति होता है, जो दो पैसे कमाने की उम्मीद में किसी और के सपने में निवेश करता है। फिल्म पूरी तरह से निर्देशक का माध्यम है। निर्देशक को फिल्म रूपी जहाज का कप्तान भी कहा जाता है, लेकिन निर्देशक के हाथों में जहाज सौंपने का काम निर्माता ही करता है। लेकिन हिंदी फिल्मों ने निर्माताओं की अजीब छवि बना रखी है। फिल्मों में प्रोड्यूसर को काइयां किस्म का व्यक्ति दिखाया जाता है। उसके हाथ में एक नोटों से भरा ब्रीफकेस होता है। शूटिंग समाप्त होने के बाद वह रोजाना सेट पर आता है और सभी के पारिश्रमिक का एक हिस्सा मारने की फिक्र में रहता है। प्रोड्यूसर की यह छवि कोरी कल्पना नहीं है। ऐसे प्रोड्यूसर आज भी दिख जाते हैं जो सिर्फ पैसे मारने और कमाई की फिक्र में रहते हैं। हिंदी फिल्मों को उद्योग का दर्जा मिलने के बाद एक परिवर्तन साफ दिख रहा है। अब फिल्मों के निवेश, व्यय और आय में पारदर्शिता आई है। फिल्म कंपनियों के पब्लिक इश्यू आने के बाद उनकी जवाबदेही बढ़ी है। सालाना जेनरल बॉडी मीटिंग में इन कंपनियों